आज संसद में चौथे दिन भी सरकार और विपक्ष के बीच में मणिपुर हिंसा के संदर्भ में किस नियम के तहत चर्चा की जानी चाहिए और पीएम मोदी की सदन में उपस्थिति को लेकर गतिरोध और पूरा दिन हंगामे की भेंट चढ़ जाने के आसार को देखते हुए, विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने आखिरी हथियार के बतौर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बनाया है। आज सदन शुरू होने से पहले विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक मुख्य विपक्षी दल नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चैम्बर में हुई।
इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायन्स (INDIA) की इस बैठक में कांग्रेस के जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी, आम आदमी पार्टी से राघव चड्ढा और तृणमूल कांग्रेस से डेरेक ओ ब्रायन सहित अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे। विपक्ष मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बयान देने और नियम 267 के तहत विस्तार से चर्चा कराने पर अड़ा है। कल राज्यसभा में इसी मुद्दे पर हंगामे के बीच जब विपक्ष के नेता विरोध स्वरूप वेल में आ गये और सभापति के निर्देश के बावजूद अपनी सीट पर नहीं बैठे, तो आप पार्टी नेता संजय सिंह को शेष मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था।
उधर भाजपा संसदीय दल की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला है। यह बैठक सदन की कार्रवाई को सुचारू रूप से चलाने और लंबित बिलों को पारित कराने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई। बैठक में पीएम मोदी ने विपक्ष की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि उन्होंने ऐसा दिशाहीन विपक्ष आजतक नहीं देखा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि पीएम मोदी के अनुसार केवल इंडिया नाम लगा देने से कुछ नहीं होता। ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन के नाम में भी इंडिया लगा हुआ है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के नाम में भी इंडिया लगा हुआ है। जिन मुद्दों को विपक्ष उठा रहा है, उन पर पहले ही बात हो चुकी है।
विपक्षी दलों के द्वारा लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी के संदर्भ में भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लायें तो सही, चर्चा तो करें, हम भी जवाब देंगे। सदन में बहस तो करें, बात निकलेगी तो बहुत दूर तक जायेगी। उधर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस बारे में अपने जवाब में कहा कि हमारे पिछले कार्यकाल के अंतिम दिनों में भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था। इसका कुल नतीजा यह हुआ कि हमारी सीटें 282 से बढ़कर 303 हो गई थीं। इस बार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आयेंगे तो 2024 में यह बढ़कर 350 हो जायेंगी।
आज संसद के चौथे दिन की शुरुआत भी हंगामे की भेंट चढ़ गई। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में भारी हंगामे की स्थिति देखी गई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुझे डांटना नहीं आता। आप नेता राघव चड्ढा ने संजय सिंह के निलंबन का विरोध करते हुए राज्यसभा में कहा कि मतदान कराकर ही निलंबन की कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने सदन में शोरशराबे के बीच वोट डिवीजन की मांग की। सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें नए सांसद और अनुभवहीनता का हवाला देते हुए बैठने के लिए कहा, लेकिन राघव चड्ढा इस मुद्दे पर अड़े रहे, जिसे देखते हुए 12 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष द्वारा रोज सदन के भीतर प्लेकार्ड लाकर प्रदर्शन करने को उचित नहीं बताया। उन्होंने यह कहते हुए कि, “आप सदन नहीं चलाना चाहते, प्रश्न काल नहीं चलाना चाहते, सदन की कार्रवाई 2 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है” सदन स्थगित कर दिया।
विपक्ष कह रहा है कि चर्चा से पहले पीएम मोदी सदन में आकर बयान दें। सरकार कह रही है कि गृहमंत्री इसके लिये तैयार हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को निलंबित किये जाने के पीछे कहा जा रहा है कि दिल्ली से संबंधित अध्यादेश को ध्यान में रखते हुए ही संजय सिंह को निशाने पर लिया गया है। जबतक सरकार नियम 267 के तहत चर्चा कराने की इजाजत नहीं देती, तब तक सदन नहीं चलने दिया जायेगा। राज्यसभा की कार्यवाही 12 बजे और लोकसभा की कार्रवाई 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
मणिपुर हिंसा में वायरल वीडियो के बाद अनेकों मामले निकलकर आ रहे हैं, जो वहां की भयावह स्थिति को बयां कर रहे हैं। स्पष्ट है कि सरकार मणिपुर पर संक्षिप्त चर्चा कर लंबित मामलों को निपटाने की फ़िराक में है। एक तरफ पीएम मोदी विपक्ष की कड़ी आलोचना कर रहे हैं, दूसरी तरफ राजनाथ सिंह द्वारा विपक्ष के शीर्ष नेतृत्व से फोन पर संसद में गतिरोध खत्म करने का प्रयास किया गया। वहीं सरकार की योजना हंगामे के बीच में जरूरी अध्यादेश और कानून पारित कराने की दिखती है।
सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार के अनुसार मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अपने पद पर बने रहेंगे। सत्ता पक्ष का आकलन है कि उक्त वायरल वीडियो की घटना मणिपुर हिंसा के शुरुआत में ही हो गई थी, जिसे 75 दिन बीत चुके हैं। राज्य में हिंसा का वातावरण काफी हद तक खत्म हो चुका है, और सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। ऐसे में विपक्ष द्वारा इस प्रश्न को उठाकर सिर्फ राजनीति की जा रही है। सरकार का आकलन है कि विपक्ष इस मुद्दे पर पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा कर नैरेटिव बदलने और चुनावी फसल काटने की तैयारी में है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)
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