Saturday, April 20, 2024

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार गिराने में हुआ था पेगासस का इस्तेमाल

अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि चंगेज खां, तैमूरलंग, अलाउद्दीन खिलजी जैसे विदेशी आक्रान्ताओं से भारत के राजा, महाराजा क्यों पराजित हो जाते थे, कैसे बाबर ने बाहर से आकर मुगल सल्तनत कायम किया और 350 सालों से भी अधिक समय तक मुगलों ने राज किया, इसका जवाब इतिहासकार विस्तार से देंगे पर मेरी नजर में विदेशी आक्रान्ता युद्ध की तात्कालिक आधुनिक तकनीक से लैस थे, उनके हथियार भारतीयों से ज्यादा आधुनिक थे, मजबूत कद काठी के थे और युद्ध और प्यार में सब कुछ जायज होने के सिद्धांत पर चलते थे। वैसे तो जासूसी कांग्रेस राज की देन है पर वे पुराने ढर्रे पर चलते थे और घर के भेदिये उनकी पोल समय-समय पर खोल देते थे, लेकिन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी का पुरानी रणनीति में विश्वास नहीं है और उन्होंने विपक्ष, राजनेता, जज, मंत्री, सांसद, विधायक, राज्य सरकारों के मुखिया, पत्रकारों, कारोबारियों की अत्याधुनिक तकनीक से जासूसी करायी और पेगासस खुलासे के बावजूद अभी तक निर्णायक रूप से मोदी सरकार को दोषी ठहराने के ठोस साक्ष्य नहीं हैं।

इस जासूसी के लिए पहले एक देश एक पहचान के नाम पर आधार कार्ड अनिवार्य किया गया, फिर किसी भी लेन देन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य किया गया, फिर आधार कार्ड और पैन कार्ड को आपस में जोड़ने की अनिवार्यता की गयी यानि नागरिकों के निजता के अधिकार को पूरी तरह बेमानी बना दिया गया। आधार कार्ड को मोबाइल सिम लेने के लिए अनिवार्य बनाया गया, यानि आधार कार्ड से किसी का नम्बर सरकार के पास हो जिसकी चाहे सर्विलांस जासूसी करा ले। कोई कह रहा है कि उसने कई फोन और सिम बदले पर सिम तो आधार कार्ड से ही मिला होगा, फिर जासूसी की जद से वह कैसे बचेगा।       

अब कर्नाटक में तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस की सरकार को गिराने में मोदी सरकार पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल कर रही थी और उसने सेंध लगाकर सरकार गिरा दिया और भाजपा सरकार बनवा दी। कांग्रेस मुंह ताकती रह गयी। मोदी सरकार के दौर में आखिर आयकर विभाग, ईडी, सीबीआई को कैसे पता चल जाता है कि लोकतंत्र में वोट खरीदने, वोट बचाने और चुने हुए नुमाइंदों की खरीद फरोख्त के लिए पैसा कहां रखा है, कहां से बंट रहा है और कौन बांट रहा है? तत्काल से फ़ौरन छापे शुरू हो जाते हैं और बड़ी रकम पकड़ में भी आ जाती है। विपक्ष का खेल ख़राब हो जाता है।     

इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के अज्ञात भारतीय क्लाइंट की दिलचस्पी वाले फोन नंबरों के रिकॉर्ड की द वायर द्वारा की गई समीक्षा में सामने आया है। जिसमें बताया गया है कि कर्नाटक में विपक्ष की सरकार गिरने से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के फोन नंबर को संभावित हैकिंग के लिए बतौर टारगेट चुना गया था। ये नंबर फ्रांस की मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज़ द्वारा एक्सेस की गई और पेगासस प्रोजेक्ट के तहत काम कर रहे कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के साथ साझा किए गए डेटाबेस का हिस्सा है।

रिकॉर्ड्स दिखाते हैं कि वरिष्ठ नेताओं के नंबरों को तब चुना गया था जब साल 2019 में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार और भाजपा के बीच सत्ता की खींचतान चल रही थी और सत्तारूढ़ गठबंधन के 17 विधायकों ने अचानक इस्तीफ़ा देकर सदन को विश्वास मत के लिए मजबूर कर दिया। संयोगवश, यह वही समय था जब राहुल गांधी ने अपना पुराना नंबर, जो 2018 से स्पायवेयर के निशाने वाली सूची में था, को बदलकर नया नंबर इस्तेमाल करना शुरू किया था और इसे भी निशाने पर लिया गया।

द वायर द्वारा लीक हुए डेटा के विश्लेषण में पाया गया कि 2019 के मध्य में कुमारस्वामी के निजी सचिव सतीश से जुड़े दो नंबरों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया था। यह वही समय था जब कांग्रेस-जेडीएस बागी विधायकों को मनाने के प्रयास में लगी थीं। जब द वायर ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी, तब उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। हालांकि उन्होंने यह पुष्टि की कि लीक हुए डेटाबेस में मिला नंबर 2019 में उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया था।

इसी दौरान कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिव वेंकटेश के फोन नंबर को भी चुना गया था। पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी सूत्र बताते हैं कि सिद्धारमैया कई सालों से कोई निजी फोन इस्तेमाल नहीं करते हैं और बातचीत आदि के लिए उनके सहयोगियों के फोन पर निर्भर रहते हैं। यही वजह है कि इस समय पर इस लिस्ट में वेंकटेश के नंबर का पाया जाना बेहद महत्वपूर्ण है।

सिद्धारमैया के साथ 27 वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे वेंकटेश ने द वायर से पुष्टि की है कि लीक डेटाबेस में पाए गए नंबर को वे इस्तेमाल करते थे, साथ ही संभावित निगरानी को लेकर उन्होंने हैरानी भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि मेरा फोन जासूसी के लिए निशाने पर था। मैं बस यह कह सकता हूं कि मैंने कुछ गैर क़ानूनी नहीं किया है। हालांकि उन्होंने निजता का हवाला देते हुए द वायर के उनके फोन की फॉरेंसिक जांच करवाने के प्रस्ताव से इंकार कर दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के प्रमुख एचडी देवगौड़ा की सुरक्षा में लगे एक पुलिसकर्मी मंजुनाथ मुड्डेगौड़ा का नंबर भी लीक हुए रिकॉर्ड्स में शामिल है। द वायर द्वारा संपर्क किए जाने पर उन्होंने इस बारे में बात करने से मना कर दिया। उनके नंबर को 2019 के मध्य में संभावित टारगेट के बतौर चुना गया था।

समान तरीके से कांग्रेस के उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर को भी इसी राजनीतिक उठापटक के बीच संभावित निशाने के रूप में चुना गया था। द वायर द्वारा संपर्क करने पर उन्होंने पुष्टि की कि वे 2019 में उस नंबर का प्रयोग कर रहे थे, लेकिन कई महीनों से उसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया है।

गौरतलब है कि मई 2018 में बनी कांग्रेस-जेडीएस सरकार 14 महीने बाद जुलाई 2019 में लंबे सियासी घमासान के बाद गिर गई थी। सदन में हुए विश्वास मत में भाजपा के 105 वोटों के मुकाबले कांग्रेस-जेडीएस को केवल 99 वोट हासिल हुए थे।

कांग्रेस ने कथित पेगासस सॉफ्टवेयर के खुलासे को लेकर केन्द्र सरकार पर मंगलवार को एक बार फिर से हमला बोलते हुए लोकतंत्र के अपहरण का आरोप लगाया। कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार के गिराने में पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि क्या गृह मंत्री को पद पर रहने का अधिकार है? कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने ऑपरेशन कमल के माध्यम से लोकतंत्र का अपहरण और प्रजातंत्र का चीरहरण किया है।

उन्होंने कहा कि इसकी क्रोनोलॉजी ये है कि चुनी हुई सरकार की खरीद फरोख्त करने में पैगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया ताकि कांग्रेस की सरकार गिराई जा सके। उन्होंने कहा कि आगे पता चलेगा कि मध्य प्रदेश सहित किन-किन राज्यों में सरकार गिराई गई और सत्ता का उलटफेर किया गया। इसीलिए संसद में बहस नहीं कराना चाहते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और केसी वेणुगोपाल, कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

इससे पहले, पेगासस खुलासे पर कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। कपिल सिब्बल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करार दिया है। सिब्बल ने कहा कि पेगासिस पर सच्चाई सामने नहीं आ रही है। वो सिर्फ सरकार को देती है। सरकार के द्वारा ये लेने के लिए पैसे भी दिए गए। सरकार ने नहीं दिए तो फिर ये किसने दिए ये बात सरकार को बतानी होगी। सिब्बल ने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर का लिंक देते हैं तो उससे पता चलता है कि आप क्या कर रहे हो। सरकार को ये बताना चाहिए कि उन्होंने कभी इसका इस्तेमाल किया या नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर इसका इस्तेमाल नहीं किया तो फिर किसने किया क्योंकि सरकार को अलावा तो वो किसी को बेचते ही नहीं है।

शुभेंदु की चेतावनी

पेगासस स्पायवेयर मामले में भाजपा पर उठ रहे सवालों के बीच बंगाल में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में वे अपने समर्थकों को बता रहे हैं कि उनके पास तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी और राज्य के पुलिस अधिकारियों के बीच हुई बातचीत का सारा ब्यौरा है। अगर यह बातचीत सामने आ गई तो पुलिस अफसरों को कोई बचा नहीं पाएगा। इस मामले में खास बात यह है कि पेगासस के टारगेट्स की सूची में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम भी शामिल है।

इस वीडियो में भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी राज्य पुलिस को निशाना बनाते हुए कहते हैं कि जो आपको भतीजे के दफ्तर से फोन करते हैं, मेरे पास उनके फोन नंबर, कॉल रिकॉर्ड्स और सब कुछ है। अगर आपके पास राज्य सरकार है, तो हमारे पास केंद्र सरकार है।’

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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