Sunday, April 28, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के मसले पर राहुल गांधी का मोदी पर हमला, कहा- केंद्र ने खत्म किए प्रतिवर्ष 2 लाख नौकरियां

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहाकि हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार ने प्रतिवर्ष दो लाख से अधिक स्थायी नौकरियों को खत्म किया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में पहले से सृजित पदों पर भर्तियों को रोककर मोदी सरकार कंपनियों के निजीकरण की साजिश रच रही है। स्थायी पदों पर अब संविदा नियुक्ति की जा रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में नए पदों को सृजित करने की कौन कहे, पहले के पदों पर नियुक्ति को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

राहुल ने रविवार को ट्वीट किया “पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां) भारत का गौरव थे और हर युवा इन कंपनियों में नौकरी पाने का सपना देखता था। लेकिन आज पीएसयू सरकार की प्राथमिकता नहीं हैं। देश के पीएसयू में नौकरियां 2014 में 16.90 लाख से घटकर 2022 में 14.60 लाख हो गई हैं।” क्या यह संभव है कि एक प्रगतिशील देश में रोजगार के अवसर इस तरह घटें?

जबकि दो सबसे बड़े पीएसयू भर्तीकर्ताओं- सशस्त्र बलों और रेलवे में लाखों रिक्तियों को भरने के नाम पर पिछले कई वर्षों से भारत के युवाओं को परेशान किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेलवे और सशस्त्र बलों में रिक्तियों को भरने की बजाय हजारों नौकरियों के लिए रोजगार मेले का तमाशा बनाने के लिए मोदी सरकार की लगातार आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को 30 लाख मौजूदा रिक्तियों को भरना चाहिए। अब राहुल गांधी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में दो लाख नौकरियों के गायब होने पर सवाल उठाया है।

राहुल गांधी ने कहा कि “बीएसएनएल में 1,81,127, सेल में 61,928, एमटीएनएल में 34,997, एसईसीएल में 29,140, एफसीआई में 28,063, ओएनजीसी में 21,120 नौकरियां घटीं। हर साल दो करोड़ नई नौकरियां पैदा करने का झूठा वादा करने वालों ने मौजूदा नौकरियों में दो लाख का सफाया कर दिया।”

कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार के कई गलत फैसलों- नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी जैसे फैसलों ने निजी क्षेत्रों में भी लाखों मौजूदा नौकरियों को खत्म कर दिया।

राहुल गांधी ने कहा कि “इससे भी बुरी बात यह है कि इन कंपनियों में ठेके पर नौकरियां दोगुनी कर दी गई हैं। क्या ठेके पर नौकरियां बढ़ाने का फैसला आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को छीनने की चाल नहीं है? क्या यह इन कंपनियों के निजीकरण की साजिश है?” उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर रहे हैं और सरकारी उद्यमों में नौकरियों का सफाया किया जा रहा है। यह कैसा अमृत काल है?

प्रधानमंत्री ने निर्णय के लिए ठोस कारण बताए बिना इस चरण को “अमृत काल” कहा है। किसी अन्य प्रधानमंत्री ने पिछले सात दशकों के दौरान किसी भी चरण को विशेष अवधि के रूप में वर्णित नहीं किया। जब आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं, जब पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार हो गया है, पहली बार रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 1,100 रुपये हो गई है, बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर है, तब विपक्षी दलों ने “अमृत काल” के चरण को उपहास बताया है।

राहुल ने रविवार को बढ़ती बेरोजगारी के संदर्भ में ‘अमृत काल’ पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “अगर यह वास्तव में ‘अमृत काल’ है, तो नौकरियां इस तरह क्यों गायब हो रही हैं? देश रिकॉर्ड बेरोजगारी से क्यों जूझ रहा है? बेरोजगारी इसलिए बढ़ रही है क्योंकि सरकार अपने कुछ चुनिंदा पूंजीवादी मित्रों के लाभ के लिए लाखों युवाओं के सपनों को कुचल रही है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के पीएसयू नौकरियां पैदा करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सक्षम हैं, अगर उन्हें सरकार से पर्याप्त समर्थन मिलता है। “सार्वजनिक उपक्रम देश के लोगों की संपत्ति हैं। उन्हें संरक्षित और विकसित किया जाना चाहिए ताकि वे विकास की दिशा में भारत के गति को बनाए रख सकें।”

जहां 2024 के आम चुनाव में क्रोनी कैपिटलिज्म और बढ़ती बेरोजगारी कांग्रेस का मुख्य चुनावी मुद्दा होने जा रहा है, वहीं पीएसयू के कमजोर होने के आरोप में दोनों मुद्दे शामिल हैं।

अडानी समूह और कुछ अन्य व्यावसायिक घरानों को बहुमूल्य राष्ट्रीय संपत्ति –बंदरगाह, हवाई अड्डों, रेलवे, सड़क, बिजली, खुदरा क्षेत्र, डेटा और कृषि व्यापार को सौंपने पर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमला कर रही है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles