यूपी में सीट बंटवारे पर बातचीत अटकी, सपा के ऑफर से कांग्रेस नाखुश

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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन के दलों में बातचीत शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है। दोनों दलों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन अभी कोई सहमति नहीं बनी है। क्योंकि समाजवादी पार्टी कांग्रेस को 2019 लोकसभा चुनाव में उसके प्रदर्शन को आधार बनाते हुए सीट देने की बात कर रही है।

जानकारी के मुताबिक सपा ने कांग्रेस को दस से भी कम सीटों की पेशकश की है, और दावा किया है कि आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस केवल चार सीटों की हकदार है; कांग्रेस से कहा कि अगर उसे और अधिक चाहिए तो वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से संपर्क करे। 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस रायबरेली सीट जीती थी तो अमेठी, फतेहपुर सीकरी और कानपुर में दूसरे स्थान पर थी।

सूत्रों को मुताबिक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तीन दौर की वार्ता संपन्न हो चुकी है। लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नही निकला है। तीसरे दौर की वार्ता 18 जनवरी को संपन्न को हुई, और सपा दस से भी कम सीटों की पेशकश कर रही है, जो कांग्रेस को अस्वीकार्य है। फिलहाल दोनों के बीच अभी भी बातचीत का सिलिसला थमा नहीं है।

दोनों दलों के शीर्ष नेता बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रो. रामगोपाल यादव ने कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति से कहा है कि, किसी भी अन्य रियायत के लिए, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सीधे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात करना होगा। रामगोपाल यादव के इस कथन से साफ जाहिर होता है कि सपा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा सीट न देने को भूली नहीं है।

समाजवादी पार्टी और रालोद में सीट बंटवारा

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का बंटवारा हो गया है। सपा ने रालोद के लिए 7 सीटें दी हैं। रालोद का पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आधार है। जाट और किसान जातियों में पार्टी का जनाधार है।

फिलहाल दोनों दलों के बीच जारी बातचीत में कांग्रेस के यूपी प्रदेश के नेताओं को शामिल नहीं किया गया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को बैठक से दूर रखा गया है। क्योंकि दोनों पक्षों के सूत्रों ने कहा कि अजय राय, अविनाश पांडे और सपा प्रतिनिधियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। यह बहस तब शुरू हुई जब एसपी प्रतिनिधिमंडल ने एक स्थानीय टेलीविजन चैनल में एक रिपोर्ट को हरी झंडी दिखाई, जिसमें उन सीटों का विवरण दिया गया था जिन पर कांग्रेस दावा कर रही है। कथित तौर पर एसपी प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस से स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम मीडिया के माध्यम से बातचीत नहीं कर सकते।”

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 15 सर्वोच्च प्राथमिकता वाली सीटों की सूची पेश करके बातचीत शुरू की, जो पिछले कुछ आम चुनावों में उनके प्रदर्शन के आधार पर तैयार की गई थी। दूसरी ओर, एसपी का शुरुआती बिंदु यह था कि कांग्रेस केवल चार सीटों पर अपना दावा करने की हकदार है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि  “कांग्रेस ने रायबरेली जीता और अमेठी, फ़तेहपुर सीकरी और कानपुर में दूसरे स्थान पर रही। इसलिए हम उन्हें केवल चार सीटें दे सकते हैं।”

कांग्रेस के राज्य प्रमुख अजय राय बलिया से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, इस सीट को सपा देने को तैयार नहीं है। सपा ने अपनी ओर से मांग की है कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश में उसे “सांकेतिक प्रतिनिधित्व” देना चाहिए, यह तर्क देते हुए कि यह दो कारणों से महत्वपूर्ण है। एक तो यह कि इससे हाल ही में मध्य प्रदेश में हुए सपा-कांग्रेस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा। विधानसभा चुनाव, जब कांग्रेस सपा को सीटें देने के आश्वासन से मुकर गई। दूसरा, सपा का तर्क है कि मप्र में उनकी मौजूदगी है। भाजपा के नवनियुक्त मुख्यमंत्री मोहन यादव का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, सपा की पेशकश बदली हुई राजनीतिक स्थिति को ध्यान में नहीं रख रही है। जबकि सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अल्पसंख्यक समूहों के बीच अपनी उपस्थिति मजबूत कर रही है, और इसलिए यह स्वीकार्य नहीं है।

इस बीच, 2024 का चुनाव अकेले लड़ने के बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के सार्वजनिक रुख के बावजूद, कांग्रेस ने उनके लिए दरवाजा खुला रखा है। बसपा के कैडर कांग्रेस से समझौता चाहते हैं। वार्ता में शामिल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि “बसपा पर हमारे साथ गठबंधन करने के लिए उसके नेताओं और कैडर का भी दबाव है। लेकिन अब तक, उन्होंने तीन राज्यों- राजस्थान, पंजाब और दिल्ली- में सीटें मांगते हुए बहुत ही अनुचित दावे किए हैं। और यूपी में उनकी मांग है कि उन्हें ज्यादा सीट चाहिए।”

फिलहाल कांग्रेस-सपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ गयी है। बहुजन समाज पार्टी से भी अंदरखाने बातचीत चल रही है।

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प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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