Saturday, April 20, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

भाजपा को हीरो से जीरो बनाने के लिए, बीआरएस कांग्रेस से गठबंधन को तैयार

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2024 के मद्देनजर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास के बीच तेलंगाना की ‘भारत राष्ट्र समिति’ (बीआरएस) ने बड़ा बयान दिया है। बीआरएस ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल हो सकता है लेकिन गठबंधन के नेता के रूप में उसे राहुल गांधी स्वीकार नहीं होंगे।

विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से कोशिश कर रहे हैं। इस कड़ी में सोमवार को उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी से मुलाकात की। इसके बाद नीतीश यूपी के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मिले। ममता-अखिलेश ने सैद्धांतिक रूप से बीजेपी को रोकने की जरूरत और विपक्ष को एकजुट होने के बारे में सहमति व्यक्त की है।

इस बैठक के बाद ममता बनर्जी ने कहा “अगर विजन और मिशन साफ है तो हम साथ में लड़ेंगे, ये तय है। किस आधार पर होगा ये समय पर तय होगा। मैंने तो पहले ही कह दिया है कि मुझे इससे कोई एतराज नहीं है। बीजेपी बहुत बड़ी हीरो बन गई है, अब उसको जीरो बनाना है। हम साथ-साथ आगे बढ़ेंगे। हमारा कोई व्यक्तिगत अहंकार नहीं है, हम साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।”

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

इससे पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने दिल्ली में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी।

ममता बनर्जी पहले लोकसभा चुनाव-2024 अकेले लड़ने का ऐलान किया था। लेकिन राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद वह राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने की वकालत करते देखी गईं थीं। बीआरएस ने भी पहले “गैर भाजपा” “गैर कांग्रेस” गठबंधन की वकालत की थी।

विपक्षी दलों की कोशिश रही है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी गठबंधन में आएं। लेकिन राज्य में बीआरएस और कांग्रेस में ही जमीनी लड़ाई है। बीआरएस को लगता है कि कांग्रेस के साथ राष्ट्रीय गठबंधन में शामिल होने के बाद राज्य में उसका आधार खिसक सकता है।

‘भारत राष्ट्र समिति’ (बीआरएस) कुछ दिन पहले तक 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए एक गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी “संघीय मोर्चे” का राग अलापती रही है। लेकिन अब बदली हुई परिस्थिति में उसे कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने पर कोई ऐतराज नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीआरएस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि विपक्षी गठबंधन में शामिल होने से उसे परहेज नहीं है, लेकिन विपक्ष के चेहरे के रूप में राहुल गांधी के बारे में आपत्ति है।

विपक्षी दलों के नेता

बीआरएस और केसीआर इस समय राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका निभाने को लेकर उत्साहित हैं। ऐसे में जब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर है और भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत है तो यह स्वाभाविक है कि उसकी महत्वाकांक्षा विपक्षी एकता में ही सुरक्षित हो सकती है। इसीलिए अब वह विपक्षी गठबंधन में शामिल होने को लेकर सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक बीआरएस की यह पहल केंद्र सरकार द्वारा क्षेत्रीय दलों पर डाले जा रहे दबाव के कारण हैं।

बीआरएस के वरिष्ठ नेता ने कहा, “जिस तरह केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से विपक्षी नेताओं और विरोध के किसी भी स्वर को दबाया जा रहा है, बहुत जल्द हम पाकिस्तान बन जाएंगे। वहां जब इमरान खान सत्ता में थे तो विपक्षी नेताओं को देश छोड़कर भागना पड़ा था। जब वे सत्ता में आए तो खान अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह विकट स्थिति है और सभी को एक साथ आना होगा। यह अब 2019 नहीं है। हमें मतभेदों को खत्म करना होगा और देश को बचाने के लिए भाजपा को हराना प्राथमिकता बनाना होगा।”

केसीआर की बेटी और पूर्व सांसद के कविता दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रही हैं।

‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ (टीआरएस) ने जबसे अपना नाम बदलकर ‘बीआरएस’ रखा तब से यह विभिन्न राज्यों (महाराष्ट्र में नवीनतम) में रैलियां और राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है, लेकिन अपने गृह राज्य तेलंगाना में इसका कांग्रेस से सीधा संघर्ष है।

बीआरएस के वरिष्ठ नेता और केसीआर के करीबी ने कहा कि पार्टी चाहती है कि कांग्रेस अपनी कमजोर राष्ट्रीय ताकत का एहसास करे और चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत करे।

उन्होंने कहा, “हम बस इतना कह रहे हैं कि कांग्रेस जहां मजबूत है, उसे अपना उचित हिस्सा मिलना चाहिए। लेकिन जहां अन्य क्षेत्रीय दल मजबूत हैं, वहां कांग्रेस को रास्ता बनाना चाहिए। विपक्षी गठबंधन के काम करने और अंततः प्रभावी होने का यही एकमात्र तरीका है।”

नेता ने कहा कि पार्टी 2024 के लिए नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी के नैरेटिव को लेकर भी सहज नहीं थी। 2019 में इसका परीक्षण किया गया था। विपक्ष के भीतर ऐसे लोग हैं। जो नेतृत्व कर सकते हैं। जैसे (बिहार के सीएम) नीतीश कुमार और (पश्चिम बंगाल की सीएम) ममता बनर्जी, जिन्होंने अपना कुशल नेतृत्व साबित किया है। राहुल गांधी ने क्या हासिल किया है? वह अपनी पार्टी के आधिकारिक नेता भी नहीं हैं। न ही उनमें खुद को पीएम कैंडिडेट घोषित करने की हिम्मत है।

सूत्रों ने कहा कि बीआरएस “अर्थपूर्ण” गठबंधनों के लिए उत्सुक है और विपक्ष को एक साथ लाने के लिए काम करेगा। अगले कुछ महीनों में विभिन्न पक्षों के बीच चर्चा के दौरान कई चीजों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

हाल ही में दिल्ली की यात्रा के बाद, जहां नीतीश ने कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के नेताओं से मुलाकात की, बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह विपक्षी गठबंधन बनाने के लिए बीआरएस सहित अन्य क्षेत्रीय दलों से बात करेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव

केसीआर के करीबी नेता ने कहा कि उनकी प्राथमिकता इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। “इन परिणामों से गठबंधन की दिशा को बल मिलेगा।”

सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस और बीआरएस के बीच घोर दुश्मनी बनी हुई है। पिछले साल अक्टूबर में, राहुल ने टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस करने का मज़ाक उड़ाया था, और कहा कि अगर केसीआर चाहें तो अपनी पार्टी को “अंतर्राष्ट्रीय” कहने के लिए स्वतंत्र हैं। तब केसीआर के बेटे और राज्य मंत्री के तारक रामा राव या केटीआर ने पलटवार करते हुए कहा था कि “वानाबे पीएम” को पहले अमेठी जीतनी चाहिए (वह पारिवारिक सीट जहां से राहुल पिछले साल स्मृति ईरानी से हार गए थे)।

बीआरएस नेताओं का कहना है कि 2024 के चुनावों में उठाए जाने वाले प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टियों के बीच मतभेद एक और बाधा है। जबकि राहुल अडानी समूह पर लगातार हमले करने के अपने इरादे से पीछे नहीं हट रहे हैं। बीआरएस का कहना है कि यह उन कई बिंदुओं में से एक है जिसे वह उजागर करना चाहता है।

हमें भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करना है। हमें जनता को सच्चाई से अवगत कराना है। हमें लोगों को बताना होगा कि भाजपा अपने किए गए सभी वादों पर वास्तव में कैसे विफल रही है। हमें बेनकाब करना होगा कि चीन सीमा पर किसकी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया है।

बीआरएस नेता के. कविता

भाजपा की संगठनात्मक ताकत और सोशल मीडिया पर पकड़ को देखते हुए, बीआरएस अपनी सोशल मीडिया को मजबूत कर रहा है। जिससे भाजपा के नैरेटिव को जवाब दिया जा सके। पार्टी प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में आईटी सेल स्थापित किए हैं जिनका प्रबंधन विधायक या स्थानीय नेता करते हैं। उनका प्राथमिक काम भाजपा के दुष्प्रचार का मुकाबला करना और लोगों को सच बताना होगा।

संयोग से, कुछ साल पहले तक केसीआर उन गिने-चुने क्षेत्रीय दलों में से एक था, जिन्हें भाजपा शासन के प्रति तटस्थ माना जाता था। केसीआर ने बड़े पैमाने पर संसद में सरकार द्वारा लाए गए विधेयकों और प्रस्तावों का समर्थन किया और केंद्र ने तेलंगाना सरकार द्वारा मांगी गई सहायता प्रदान की। हालांकि तेलंगाना में भाजपा के कदम बढ़ाने के साथ, दोनों पक्षों के बीच लगातार जुबानी जंग तेज होती रही है। तेलंगाना पुलिस ने हाल ही में राज्य के बीजेपी अध्यक्ष बी संजय कुमार को 10वीं कक्षा के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था।

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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