Friday, March 29, 2024

कांग्रेस ने पूछा- 350 करोड़ रुपये सालाना लाभ देने वाली कोनकोर को आखिर क्यों बेचना चाहती है सरकार?

नई दिल्ली। कांग्रेस ने कोनकोर को बेचे जाने पर कड़ा एतराज जाहिर किया है। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आज एक स्पेशल प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि सरकार न तो रेलवे बेच सकती है और न ही कोनकोर, न ही दूसरी कोई सार्वजनिक संपत्ति। क्योंकि ये सारी संपत्तियां जनता के पैसे से बनी हैं और इन्हें औने-पौने दामों पर अपने चहेतों को नहीं लुटाया जा सकता है। अगर उन्हें बेचा ही जाना है तो फिर उन लोगों को दिया जाना चाहिए जिनसे कौड़ी के भाव खरीदा गया था। या फिर ऐसे लोगों को दिया जाना चाहिए जिन्होंने उसे दान दिया था।

उन्होंने कहा कि “जब रेलवे को बेच रहे हैं तब अब कोनकोर को बेचने में क्या बड़ी बात है, प्रो. गौरव वल्लभ ने कहा कि रेलवे नहीं बिक रहा है, ट्रेनें बिक रही हैं, स्टेशन बिक रहे हैं। ये जमीन है, ये भारत के किसानों की जमीन है, ये भारत के किसानों ने रेलवे को रियायती दर पर और कई जगह मुफ्त में दी थी। आप उनकी जमीन को कोई प्राईवेट पार्टी को कॉमर्शियल यूज करके प्रॉफिट कमाने के लिए नहीं दे सकते। ये जमीन भारत के किसानों ने भारतीय रेलवे को मॉर्डनाइजेशन के लिए, एक्सपैंशन के लिए दी थी। अगर आप मॉर्डनाइजेशन औऱ एक्सपैंशन नहीं करते हो तो उनकी जमीन उनको वापस लौटाइए”।

गौरव वल्लभ ने कहा कि ये 35 साल की एडवांस लीज करके फिर कोनकोर को किसी और के हवाले करने की जो साजिश है, उसका पर्दाफाश किया जाएगा। कोनकोर कौन खरीदेगा, इसमें मुझे और हिंदुस्तान के किसी व्यक्ति को कोई संदेह नहीं है, सबको पता है, क्योंकि ये तो बिना खरीदे ही वहां के स्टेटमेंट आ रहे हैं, उनके सीईओ साहब के कि it is like a breeze, हम तो इजिली स्ट्रेटजिक एक्वीजीशन कर लेंगे, कोनकोर का। ये अभी चालू भी नहीं हुआ प्रोसेस उससे पहले ही इस तरह के बयान आने शुरू हो गए। उन्होंने कहा कि मेरा मुख्य सवाल ये है कि जब आपने कोई कंपनी डिसइंवेस्टमेंट के लिए चिन्हित कर दी, तो अब आप उसके टर्म एंड कंडीशन्स एडवर्सिली इंपैक्ट कर रहे हैं, 6 प्रतिशत लीज रेंट जो उस जमीन की है, उसको 2 प्रतिशत कर रहे हैं और 2 प्रतिशत करके भी ये कह रहे हैं कि उस 35 साल की लीज हमें अपफ्रंट दे दी जाए, क्यों? आप क्यों करना चाहते हैं ऐसा?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ये सीरीज ऑफ इंवेंट्स दिखाते हैं कि किस तरह से एक प्रॉफिट मेकिंट कंपनी है। कंसीस्टेंटली प्राफिट कमा रही है। ये कंपनी हर साल 350 करोड़ का डिविडेंड दे रही है। ये कंपनी स्ट्रेटिजकली इंपॉर्टेंट है। ये कंपनी भारत के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लॉजिस्टिक्स के लिए मार्केट लीडर है अभी। आप इस कंपनी को क्यों दूसरों के हवाले करना चाहते हैं? ये बड़ा सवाल हमने पूछा है, इन पांच सवालों के माध्यम से।

इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो. वल्लभ ने कहा कि मैं तो आपको डाटा, आंकड़ा दे रहा हूँ कि ये आपने कभी सुना। मकान बेचने की आपने घोषणा कर दी, अब मकान बेचने से पहले जब आपने मकान को उस व्यवस्था में बेचने की घोषणा कर दी, उसके बाद में आप मकान को मॉर्डनाइज और रिनोवेट कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं, क्योंकि आपने तो घोषणा कर दी, अब क्यों कर रहे हैं, उसको क्यों उसकी टर्म्स एंड कंडीशन्स को चेंज कर रहे हैं, ताकि कोई नया आदमी उसको खरीदे, उसको फायदा मिले।

क्यों आप उस मकान में 6 प्रतिशत मान लो, 6 प्रतिशत प्रति वर्ष उस मकान का भाड़ा देते थे, अब नया आदमी आया उससे पहले आपने कहा कि भाड़ा अब 2 प्रतिशत दे जाओ। ये क्यों? डिसइंवेस्टमेंट का टार्गेट घोषित होने के बाद टर्म्स एंड कंडीशन्स को आप चेंज कर रहे हैं। क्या कभी ऐसा होता है। यही बात दिखाती है कि आपके मन में क्या है। आप किनको फायदा पहुंचाना चाहते हैं।

मैं आपको ये कह रहा हूँ कि एक कंपनी जिसका नाम एपीएसईजेड है, वो कहती है “Acquiring CONCOR will be a breeze.” वो कोट करती है कि “It can easily acquire strategic target CONCOR.” क्यों भाई? आप ऐसे ईजिली आपको क्या हिंट मिला, किसने हिंट दिया, कब हिंट दिया और ये कैसे हिंट मिल गई आपको कि आप ईजिली आपके लिए हवा का झोंका है, कोनकोर खरीदना। वो कंपनी जो पिछले 35 साल से, 40 साल से देश के एक्सपोर्ट, इंपोर्ट के लॉजिस्टिक्स को हैंडल कर रहा है, उसको आप कह रहे हैं कि उसको तो हम यूं ही चलते फिरते खरीद लेंगे, don’t worry. जो कंपनी कंसिस्टेंटली गवर्मेंट को डिविडेंट्स दे रही है, उसको आप क्यों बेचना चाह रहे हैं और बेचने का आपने निर्णय कर लिया तो आप अपने ही 2020 का ये मैं आपको लेटर एनेक्जर में दे रहा हूँ, (पत्र दिखाते हुए) ये 2020 के लेटर में लिखा हुआ है, 6 प्रतिशत लीज रेंटल मिलेगा, अब आप 2 से 3 प्रतिशत करना चाह रहे हैं, ये आपकी सोच है। ये लेटर दोनों रेलवे बोर्ड के भारत सरकार के लेटर्स हैं।

इसमें लिखा हुआ है कि 6 प्रतिशत लीज रेंटल मिलेगा। तो ये क्या दर्शाता है- ये दर्शाता है कि जो राहुल गांधी ने बार-बार कहा कि बड़ी मोनोपॉलीज को आप जन्म देना चाहते हैं। भारत के सारे संसाधनों को, भारत के सारे रिसोर्सेस को 1 या 2 या कुछ लोगों के हवाले करना चाहते हैं और जब ये कुछ लोगों के हवाले हो गया, मैं बोलता हूँ, जब पोर्ट्स आपके पास आ गए, एयरपोर्ट्स आपके पास आ गए, ड्राइ पोर्ट्स आपके पास आ गए, अब आप बताइए, अगर मैं एक्सपोर्ट, इंपोर्ट की लॉजिस्टिक रोक दूं, तो जो माल, सामान है, कंज्यूमर के लिए, उसके भाव बढ़ेंगे कि घटेंगे? बढ़ जाएंगे।

उन्होंने कहा कि ऐसे में प्राइसेस को डिसाइड करने की पावर मेरे पास आ गई। आज जैसे भारत में पाम ऑयल या जो खाने का तेल मलेशिया से, इंडोनेशिया से इंपोर्ट होता है, अब मैं उसको रोक दूं, 10 दिन के लिए, प्राइस शूट अप कर जाएंगे। आपने भारत के पूरे आयात-निर्यात के जो लॉजिस्टिक हैं, वो एक कंपनी के हवाले या कुछ लोगों के हवाले क्यों करना चाहते हैं? जबकि वो कंपनी, जो भारत सरकार, रेलवे मंत्रालय के अधीन काम कर रही है, जो नवरत्न है, जो प्रॉफिट भी कमा रही है और कंसिस्टेंट प्रॉफिट कमा रही है और कंसिस्टेंट डिविडेंड दे रही है। हमने बार-बार एक सवाल पूछा, जब आपने कहा कि हम 30 से 50 सालों के लिए मॉनेटाइज कर देंगे, तो ये 30 से 50 साल आपको डिविडेंड  नहीं मिलेगा, उसकी गणना की आपने?

आप बार-बार कहते हैं, हम 6 लाख करोड़ रुपया ले लेंगे, मॉनेटाइजेशन के द्वारा पर जिन कंपनियों को आप मॉनेटाइज करेंगे, उससे आने वाली आय 6 लाख करोड़ से बहुत ज्यादा है, क्या उसकी गणना की आपने? ये उसका एक उदाहरण है, ये कोनकोर एक उदाहरण है, उनका पूरा ब्लू प्रिंट दिखाने के लिए कि इनके मन में क्या है। ये ऐसे ही एक-एक कंपनी को टार्गेट करेंगे। उस कंपनी को वीक करेंगे, प्रॉफिट मेकिंग कंपनी को वीक करके, उसमें डैट घुसाकर, उसके वैल्यूएशन को कमजोर करके औने-पौने दाम पर बेच देंगे।

उन्होंने कहा कि मैं आपसे एक सवाल पूछता हूँ और बहुत महत्वपूर्ण सवाल है कई लोगों ने मेरे से पूछा कि ये एनएमपी अभी कोविड के मध्य ही क्यों आया, इसका क्या कारण है? इसका कारण ये है कि अभी कैपसिटी यूटिलाइजेशन देश का निम्नतम स्तर पर है, डिमांड लोएस्ट स्तर पर है, लोगों का प्रॉफिट लोएस्ट स्तर पर है। जब प्रॉफिट लोएस्ट स्तर पर होगा, तो आपका जो वैल्यूएशन होगा कंपनी का वो लोएस्ट स्तर पर होगा। जब वैल्यूएशन लोएस्ट स्तर पर होगा, तो आप कंपनी को पकड़ा दोगे। ये राइट टाइम है आपका जिसको हम क्लियरेंस सेल कह रहे हैं, क्यों क्लियरेंस सेल कह रहे हैं, क्योंकि आप पहले वैल्यूएशन को कम करते हो, फिर आगे कंपनियों को पकड़ा देते हो और ये कोनकोर उसका एक नमूना है।

क्यों आप अपने ही 2020 के जो ऑर्डर हैं, उसके खिलाफ जाकर आप सोच रख रहे हैं कि हम 2 से 3 प्रतिशत कर देंगे, लीज लाइसेंसिंग फीस। ध्यान रहे, कोनकोर के लिए लीज लाइसेंसिंग फीस और कोई भी लॉजिस्टिक बिजनेस के लिए लीज लाइसेंसिंग फीस, जो कि जमीन, जो लॉजिस्टिक के लिए यूज करता है, ड्राई पोर्ट जो जमीन यूज करता है, वो मेजर कॉस्ट कंपोनेंट होता है। तो मेजर कॉस्ट कंपोनेंट तो आपने आधे से कम करके दे दिया, अपने मित्रों को और कौन लेगा, मैं इसके बारे में आज टिप्पणी नहीं कर रहा, पर एपीएसईजेड बोलता है कि हमारे लिए तो ये हवा का झोंका है। कैसे है भाई, आपके लिए हवा का झोंका?

एपीएसईजेड के सीओ साहब बोलते हैं, एमडी साहब बोलते हैं, कोनकोर को खरीदना बहुत इजी है, हमारे लिए परजेच करना। क्यों साहब, ऐसा आपको क्या इंडीकेशन मिले? पहली बात तो प्रॉफिट मेकिंग कंपनी का डिसइंवेस्टमेंट क्यों? दूसरी बात, आपने डिसइंवेस्टमेंट कर दिया, तो आप उस कंपनी को वीक क्यों कर रहे हैं? उस कंपनी के जो कॉस्ट स्ट्रक्चर्स हैं, उसको नीचे क्यों ला रहे हैं? क्यों आप इंडियन रेलवे को जो 6 प्रतिशत लीज लाइसेंसिग फीस मिलती थी, उसको 2 प्रतिशत पर लाकर बेचना चाह रहे हैं, क्यों? क्यों आप 5 साल के लीज पीरियड को 35 साल करना चाहते हैं? क्यों आप 35 साल की लीज जो है, उसकी लीज को अपफ्रंट आज ही सारा पेआउट करना चाहते हैं? क्यों कोनकोर जिसमें एक रुपए का भी डैट नहीं है, उसमें 3,500 करोड़ का डैट लेकर आप उस कंपनी की वैल्यूशन को कमजोर करना चाहते हो? इन सवालों का जवाब भारत सरकार को देना पड़ेगा।

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