जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जनसंगठन देंगे 27 नवम्बर को राजभवन के सामने धरना

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झारखंड की राजधानी रांची के स्थानीय एचआरडीसी में संपन्न हुई भोजन का अधिकार अभियान एवं झारखण्ड नरेगा वाच की दो दिवसीय संयुक्त बैठक में केन्द्रीकृत किचन एवं स्कूलों को बंद रखने जैसी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ रसोईया संघों व अन्य जनसंगठनों के साथ मिलकर राजभवन के समक्ष 27 नवम्बर को विशाल धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया। बैठक में राज्य के विभिन्न जिलों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

बैठक में पेंशन योजनाओं में जमीनी स्तर पर प्रभावित लोगों की समस्या पर कई लोगों ने बताया कि ऐसी विधवा महिलाएं जिनके पति की मृत्यु 2 साल पूर्व हो गई है, उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में काफी कठिनाई हो रही है। कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें मृतक का आधार कार्ड भी आवेदन के साथ मांग की जाती है, जो कि कई समुदायों और विधवा महिलाओं के लिए संभव नहीं हो पाता है। आधार कार्ड में नाम, वोटर कार्ड में नाम सहित बैंक खाते में नामों में वर्तनी में अंतर होने पर भी आवेदकों के आवेदन को सरकारी अधिकारियों द्वारा अस्वीकृत कर दिये जाते हैं। बहुत मामले ऐसे भी आते हैं, जिनमें पेंशनधारियों के जीवित रहते हुए भी उनका भुगतान बंद कर दिया जाता है। यह भी सामने आया कि आवेदन के साथ अनावश्यक रूप से कई तरह के दस्तावेज मांगे जाते हैं, जिन्हें हासिल करना योग्य आवेदक होने के बावजूद संभव नहीं होता है। सबसे बड़ी परेशानी विधवा पेंशन में कोटा का अभाव बताया गया।

पेंशन सम्बन्धी मामलों से सरकार को रु-ब-रू कराने एवं नीति में बदलाव लाने हेतु लोहरदगा जिले में जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय जनसुनवाई करने का निर्णय लिया गया। इसी प्रकार मध्याह्न भोजन योजना में केंद्रीकृत किचन के मामले पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस व्यवस्था से निजी ठेकेदारों व कम्पनियों को सरकार पिछले दरवाजे से घुसाना चाहती है। इससे लाखों ग्रामीण, दलित, आदिवासी रसोईया लोगों के रोजगार पर संकट पड़ेगा। निकट भविष्य में कुपोषण को दूर करने एवं ग्रामीण अर्थववस्था को बढ़ाने से दीदी बाड़ी और पशुपालन योजना को सरकार जो बढ़ावा दे रही है, इससे महिला उत्पादकों के जरिये आंगनबाड़ी एवं स्कूलों के साथ जोड़ने के मंसूबे पर भी पानी फिर जायेगा।

बैठक में केन्द्रीकृत किचन एवं स्कूलों को बंद रखने जैसी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ रसोईया संघों व अन्य जनसंगठनों के साथ मिलकर राजभवन के समक्ष 27 नवम्बर को विशाल धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया। प्रधानमन्त्री मातृत्व वंदन योजना, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का हिस्सा है और जिसके जरिये गर्भवती /धात्री माताओं को सहायता राशि देने का प्रावधान है, की स्थिति पर भी विमर्श किया गया। यह निर्णय लिया गया कि इस मुद्दे पर सर्वेक्षण किया जाएगा और राज्य स्तरीय सुनवाई के माध्यम से इसके मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जायेगा।
मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार और बिचौलियों तथा ठेकेदारों के वर्चस्व को समाप्त करने के लिए रांची में मनरेगा दिवस, 2 फ़रवरी को मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जायेगा, जिसमें जवाब दो, हिसाब दो, कार्यक्रम के तहत अन्य मुद्दों के साथ-साथ सामजिक अंकेक्षण में उभरे मुद्दों पर अपेक्षित कार्रवाई की स्थिति पर भी मजदूर सवाल उठाएंगे और राज्य सरकार से जवाब मांगेंगे, इस कार्यक्रम में पच्चीस हज़ार मजदूर भाग लेंगे और अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे।

बैठक में भोजन का अधिकार अभियान के संयोजक अशर्फी नन्द प्रसाद, बलराम जी, विश्वनाथ सिंह, आरती बोदरा, तारामणि साहू, अफसाना खातून, शानियारो देवी, अनिमा पन्ना, नीतू देवी, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, मनोज भुइयां, मुन्नी देवी, अफजल अनिश, सुखराम बिरहोर आदि लोगों ने भाग लिया।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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