Saturday, April 20, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: जंगलों में आग से नष्ट हो रहे हैं जंगल और जीव-जंतु, साजिश या महज संयोग?

ग्राउंड रिपोर्ट। साल 2021 के मार्च महीने में ड्रमंडगंज वन रेंज के जंगल में लगी आग का विकराल रूप रामसजीवन को आज भी बख़ूबी याद है। जंगल में लगी इस आग ने दो जनपदों के साथ दो राज्यों के जंगल को सुलगा दिया था। प्रयागराज जनपद के रामपुर कलां गांव निवासी रामसजीवन साफ तौर पर कहते हैं कि “जंगलों में आग लगने के बाद उनपर काबू पाने के आज भी मुक्कमल बंदोबस्त वन विभाग के पास नहीं है। जंगल में आग लगने के बाद “सांप जाने के बाद लकीर पीटने” के तर्ज पर वन विभाग सक्रिय हो जाता है और डंडे से आग बुझाने का काम करता है।”

वह सवाल दागते हैं “जंगल में आग लगती कैसे है, लगाता कौन है?” रामसजीवन के शब्दों में दर्द चुभन के साथ चिंतन भी साफ तौर पर झलकता है, पर बेबसी ऐसी कि वह खुलकर बोल नहीं सकते हैं। उन्हें जैसे ही पता चलता है कि मैं पत्रकार(जनचौक संवाददाता) हूं तो वह विनम्रता के साथ हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते हैं और आगे बोलते हैं “कुछ छापियेगा मत वरना बेवजह वन विभाग के लोग पीछे पड़ जायेंगे।” रामसजीवन की बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वन संरक्षण में जन आवाज को कुचल दिया जाता है, यदि ऐसा न होता तो शायद रामसजीवन के जुबान पर उपरोक्त शब्द न होते। 

उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थिति मिर्जापुर जनपद का ड्रमंडगंज वन क्षेत्र घने जंगलों, पहाड़ों से घिरा हुआ समृद्धशाली हरा भरा वन्य जीवों से गुलजार रहने वाले ‘वन सेंचुरी एरिया’ में हाल के कुछ वर्षों में बढ़ती आग की घटनाओं ने न केवल कई सुलगते सवाल खड़े किए हैं, बल्कि वीरान होते जंगलों की पटकथा भी लिखना शुरू कर दिया है। वनों के संरक्षण में लगा वन विभाग भी आग की घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है जिससे हर वर्ष बेशकीमती पेड़-पौधों के बर्बाद होने से लाखों का नुक़सान होता आ रहा है। सबसे ज्यादा दुख की बात तो यह है कि जंगलों में आग लगने का सिलसिला थमने के बजाय जारी है।

जंगल में आग से परेशान रामसजीवन

ग्रामीणों की सूचना पर जागता है वन विभाग

मिर्ज़ापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 65 किमी दूर मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ ड्रमंडगंज वन क्षेत्र एरिया काफी दूर तक फैला हुआ है। मध्य प्रदेश का रीवा जनपद और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की सरहदें ड्रमंडगंज वन क्षेत्र एरिया से जुड़ी हुई हैं। ड्रमंडगंज वन क्षेत्र के कैमूर पहाड़ के बबुरा रघुनाथ सिंह गांव के सगहा जंगल में 27 अप्रैल 2023 को सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई।

पहाड़ पर धुआं उठता देख ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। सूचना पर ड्रमंडगंज रेंज के रेंजर वीरेन्द्र कुमार तिवारी, वन रक्षक सर्वेश पटेल, संजीव कुमार पटेल ‘वाचरों’ के साथ जंगल में पहुंचते तो जरूर हैं और घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह देर शाम तक जंगल में तेजी से बढ़ रही आग पर काफी हद तक काबू पा लेने का दावा करते हैं। लेकिन ग्रामीणों की मानें तो अभी भी पहाड़ पर जगह-जगह धुआं सुलग रहा है जिसे बुझाने में वनकर्मी जुटे हुए हैं।

तेज हवाओं के कारण आग धीरे-धीरे जंगल में फैलने लगती है जिसे बुझाने में वनकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। आग की चपेट में आने से करीब चार हेक्टेयर के दायरे में स्थित हरे-भरे पौधे और वन्यजीव जलकर नष्ट हो गये है। जंगल में बढ़ रही आग पर काबू पाने में वन विभाग की टीम लगी हुई है। रेंजर ने ग्रामीणों को वनों की सुरक्षा को देखते हुए सतर्कता बरतने के लिए कहा है।

ड्रमंडगंज के जंगल में आग

वन क्षेत्राधिकारी ड्रमंडगंज वीरेन्द्र कुमार तिवारी बताते हैं कि “बबुरा रघुनाथ सिंह वन क्षेत्र के सगहा पहाड़ पर संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई थी। ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर वन कर्मियों के साथ पहुंचकर आग बुझाने का प्रयास करते हुए आग को लगभग काबू में कर लिया गया है। जगह-जगह सुलग रही आग को बुझाने का प्रयास तेजी से जारी है। रेंजर ने जंगल में चरवाहों के बीड़ी आदि पीकर फेंकने या बांस के पेड़ों के आपस में घर्षण होने से उठी चिंगारियों से आग लगने की संभावना जताई है।”

अब रेंजर के इन बातों पर गौर करें तो सवाल उठता है कि जंगल में आग लगने के बाद इतनी जल्दी चरवाहे अपने मवेशियों के साथ जंगल से बाहर कैसे निकल आते हैं? दूसरे वन क्षेत्र एरिया की सुरक्षा में जो ‘वाचर’ और अन्य लोग लगाये गये हैं वह कहां होते हैं जब जंगल में आग लगने की घटना सामने आती है?

मुख्यालय से देर से पहुंचता है दमकल

गर्मी का मौसम शुरू होते ही खेत-खलिहानों से लेकर घरों, जंगलों में आगजनी की घटनाएं शुरु हो जाती हैं। हलिया, ड्रमंडगंज वन क्षेत्र से जिला मुख्यालय की दूरी 65/70 किलोमीटर है। ऐसे में आगजनी की घटनाएं होने पर जिला मुख्यालय से फायर ब्रिगेड की गाड़ी के मौके पर पहुंचने तक सब कुछ जलकर राख में तब्दील हो जाता है।

राख में तब्दील हुआ जंगल

ऐसे में आगजनी से बचाव के उचित प्रबंध नहीं होने से हर वर्ष गर्मी के मौसम में किसानों से लेकर वन विभाग को जहां काफी नुक़सान होता है वहीं इन क्षेत्रों में आग लगने के बाद जंगल में पहुंचने का सुगम मार्ग भी नहीं है। जिससे जंगलों में आग वाली जगह तक पहुंच पाना मुश्किल होता है। गर्मी के दिनों में पठारी क्षेत्र के नदी नालों के साथ तालाबों में भी पानी नहीं होने के कारण आग लगने की सूचना पर फायर बिग्रेड की गाड़ी जिला मुख्यालय या छोटी गाड़ी तहसील मुख्यालय से पहुंचने तक सबकुछ जलकर राख हो जाता है।

ड्रमंडगंज क्षेत्र के युवा पत्रकार अभिनेष प्रताप सिंह “जनचौक को बताते हैं कि जंगल में आग लगने की बढ़ती घटनाओं के लिए काफी हद तक वन विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं। वे बताते हैं कि आग रोकने में वन विभाग के पास संसाधनों का अभाव तो है ही, उससे कहीं ज्यादा लापरवाही भी बेशुमार बरती जाती है। मसलन ‘बीट गश्त’ से लेकर चौकसी का अभाव।”

जंगलों को आग से बचाने के नहीं हुए जतन

मिर्ज़ापुर के हलिया, ड्रमंडगंज, मड़िहान सहित छानबे क्षेत्र के विजयपुर मोर्चा पहाड़ी पर पूर्व में आग लगने से व्यापक पैमाने पर वन संपदा को नुक़सान हुआ है। छानबे क्षेत्र के विजयपुर मोर्चा पहाड़ी पर आग लगने से जंगली झाड़ियां और वन तुलसी के सूखे झाड़ जलकर नष्ट हो चुके हैं तो हलिया, ड्रमंडगंज, मड़िहान के जंगल में बेशकीमती पेड़-पौधे नष्ट हुए हैं, बावजूद इन्हें बचाने का जतन वन विभाग अभी तक नहीं कर पाया है।

ड्रमंडगंज क्षेत्र के युवा पत्रकार अभिनेष प्रताप सिंह

मिर्ज़ापुर के वरिष्ठ पत्रकार और ‘विंध्य बचाओ अभियान’ के सदस्य शिवकुमार उपाध्याय कहते हैं  “जंगलों में आग लगने वाली घटनाएं संयोग नहीं साजिश हैं। जानबूझकर चरवाहों को मोहरा बना दिया जाता है, ताकि सच्चाई पर पर्दा पड़ा रहे।” वह कहते हैं वन माफिया और शिकारियों का गठजोड़ इसमें संलिप्त हो सकता है, बशर्ते विभाग जांच तो करें।” 

ड्रमंडगंज वनरेंज के कैमूर पहाड़ पर धधकती रही है आग

साल 2021 में ड्रमंडगंज वनरेंज के कैमूर पहाड़ के जंगल में एक सप्ताह से लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी। वन विभाग द्वारा जहां एक तरफ आग बुझाई जा रही थी तो वहीं दूसरी ओर आग फैलकर पहाड़ के कई हिस्सों में जा रही थी। 27 मार्च 2021 को बबुरा रघुनाथ सिंह पहाड़ पर लगी आग को कड़ी मशक्कत के बाद पूरी रात वन विभाग की टीम ने बुझाकर काबू में किया तो दूसरे दिन लहुरियादह पहाड़ में भीषण आग लग गई।

इसके बाद करनपुर पहाड़ में लगी आग बेकाबू हो उठी जो फैलकर मड़वा धनावल, इंद्रवार, बंजारी, सोनगढ़ा गांव स्थित कैमूर पहाड़ के अलग-अलग हिस्सों में फैल गई थी। आग से हजारों पेड़-पौधे जलकर राख हो गए थे तो वन्यजीवों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगा था। पहाड़ की ऊंची चोटियों पर आग लगने से वन विभाग को आग बुझाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। 

जंगल में आग से उठती धुएं का गुबार

बुलानी पड़ी थी एनडीआरएफ की टीम 

2021 के मार्च महीने में करनपुर पहाडों के जंगल में लगी आग के कारण किसानों के खेत-खलिहान में लगे फसल तक जलकर राख हो गये थे। जीवन बचाने के प्रयास में काफी संख्या में जीव-जंतु भी आग की भेंट चढ़ चुके थे। बताया गया था कि तेज हवाओं के कारण मध्य प्रदेश की तरफ से कैमूर पहाड़ पर आग फैली हुई थी। आग बुझाने के लिए एनडीआरएफ की टीम बुलानी पड़ी थी। तब कहीं जाकर एक सप्ताह के बाद जंगल में लगी आग पर काबू पाया जा सका था।

उस समय जंगल में लगी आग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हलिया, ड्रमंडगंज के जंगल से होकर आग का दायरा प्रयागराज जिले के अंतिम गांव कोरांव स्थित संसारपुर के जंगल तक फ़ैल गई थी। इससे जंगली जीव-जंतुओं की जान पर शामत आ गई थी। संसारपुर के जंगल में तेंदूपत्ता के पौधे बहुतायत में हैं, जिन्हें आग से काफी नुकसान हुआ था। 

उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है संसारपुर

प्रयागराज जनपद का संसारपुर गांव उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह गांव प्रयागराज जनपद मुख्यालय से लगभग 72 किमी दूर है। इस गांव से सटा हुआ विशाल जंगल है। विंध्य पर्वत श्रेणी माला से सटे इस जंगल में आग की लपटें उठती देख आसपास के लोग खौफजदा हो उठे थे। 

आग बुझाने की कोशिश करता वन कर्मचारी

आग से जंगली जीवों के जीवन पर बढ़ा संकट

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर-प्रयागराज जनपद के सरहदी गांवों के जंगल पहाड़ों पर आग लगने से व्यापक पैमाने पर नुक़सान मध्य प्रदेश के रीवा जनपद में भी होता है। 2021 में एक सप्ताह तक लगी आग मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जंगल तक पहुंच गई थी। इससे जंगल में रहने वाले जीव-जंतुओं के जीवन पर संकट के बादल मंडराने लगे थे।

काफी संख्या में बारहसिंगा, जंगली सुअर और भालू आदि जंगली जानवर इधर-उधर-भागते देखे गए। जलते जंगल में झुलस रहे मोर और पक्षियों की आवाजें भी सुनाई देने लगी थीं। प्रयागराज के संसारपुर गांव से लगे जंगल से आसपास के एक दर्जन से ज्यादा गांवों के लोगों की आजीविका चलती है। दरअसल, यहां तेंदूपत्ता ज्यादा होता है, जिसे वन विभाग और वन निगम ठेके पर तुड़ाई कराता है। जंगल में आग दर आग लगने से तेंदूपत्ते को काफी नुकसान होने से मजदूरों की आजीविका पर बुरा असर पड़ता है।

बहरहाल, पूर्व के वर्षों की तरह इस वर्ष भी जंगल में आग लगने का सिलसिला शुरू हो चुका है जो कब तक चलेगा और कब तक थमेगा, कह पाना मुश्किल है। वहीं सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि जंगल में आग लगने की घटनाएं महज संयोग है या फिर साजिश?

(मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।)

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