Saturday, April 27, 2024

फिलिस्तीन पर इजरायली हमला युद्ध नहीं जनसंहार है: दीपंकर भट्टाचार्य

बेतिया। पूरे देश में किसानों व खेत मजदूरों के आंदोलन के लिए इतिहास में नाम दर्ज कराने वाली चंपारण की धरती पर आज अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा का 7वां राज्य सम्मेलन शानदार ढंग से शुरू हुआ। बिहार के कोने-कोने से आए प्रतिनिधियों से खचाखच भरे बापू सभागार में सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने संगठन को देश के हर गांव-टोले में मजबूती से स्थापित कर देने का आह्वान किया। फिलिस्तीन पर इजराइल द्वारा जारी हमले के खिलाफ बिहार की धरती पर अबतक हुए सबसे बड़े प्रदर्शन के साथ इस सम्मेलन की शुरुआत हुई।

इस दौरान बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर प्रतिमा स्थल से भाकपा (माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य व खेग्रामस नेताओं की अगुआई में एक विशाल युद्ध विरोधी मार्च निकाला गया। यह मार्च तीन लालटेन चौक, लाल बाजार, सोवा बाबू चौक, अवन्तिका चौक होते हुए बापू सभागार पहुंचा।

इस युद्ध विरोधी प्रदर्शन में अपने हाथों में लाल झंडे व फिलिस्तीन पर इजरायली हमले को रोकने की मांग की तख्तियां लिए करीब 5 हजार से भी अधिक महिला-पुरुष शामिल हुए। प्रदर्शन में शामिल लोग ’फिलिस्तीन पर इजरायली हमला बंद करो’; गाज़ा पट्टी में बच्चों-महिलाओं की हत्या करना बंद करो’ और युद्ध नहीं शांति चाहिए’ आदि नारे लगा रहे थे।

इस दौरान दीपंकर ने कहा कि फिलिस्तीन पर विगत 7 अक्टूबर से जारी इजरायली हमला युद्ध नहीं जनसंहार है। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जब यूएनओ में इस युद्ध को रोकने का प्रस्ताव आया तो दुनिया के अधिकांश देश इस प्रस्ताव के समर्थन में खड़े हुए, लेकिन शर्मनाक यह रहा कि दुनिया भर को शांति व अहिसा का संदेश देनेवाले भारत की मोदी सरकार हमला जारी रखने के पक्ष में खडे़ अमरीका-इजरायल व चंद यूरोपीय देशों के साथ रही।

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन में अबतक 10 हजार से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है जिनमें अधिकांश बच्चे हैं, उनमें भी एक साल से कम उम्र के बच्चो की संख्या ही अधिक है। वहां खाद्य व दवा की आपूर्ति भी रोक दी गयी है तथा अस्पतालों, रिहायशी मकानों व पूजाघरों को भी बमबारी का निशाना बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने न केवल इस्रायल पक्षी विदेश नीति अपना ली है बल्कि संघ-भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर भारत में मुस्लिम समुदाय पर गन्दी राजनीति प्रेरित हमला शुरू कर दिया है। लोकतंत्र का गला घोंटते हुए देश में इजरायली हमले के विरोध में हो रहे नागरिक प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गयी है और पुलिस द्वारा दमन किया जा रहा है।

कामरेड दीपंकर ने कहा कि इजराइली हमले को रोक कर अमन कायम करने व फिलिस्तीन के लिए इंसाफ की मांग की आवाज दुनिया भर में उठ रही है। यूरोप व अमेरिका के बड़े-बड़े शहरों में विशाल नागरिक प्रदर्शन हो रहे हैं और यहां तक कि यहूदियों ने भी ’हमारे नाम पर युद्ध नहीं’ के नारे के साथ विरोध में विशाल प्रदर्शन किए हैं। उन्होंने तमाम अमन व इंसाफ़पसन्द नागरिकों से फिलिस्तीन पर इजरायली हमले व निहत्थे नागरिकों व मासूम बच्चों के कत्लेआम के खिलाफ आवाज बुलंद करने की अपील की।

झंडोत्तोलन व शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के साथ हुई सम्मेलन की शुरुआत

बापू सभागार के बाहर बने शहीद वेदी के पास भाकपा (माले) विधायक दल नेता व खेग्रामस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड महबूब आलम द्वारा संगठन का झंडा फहराने तथा भारतीय क्रांति के तमाम अमर शहीदों व दिवंगत नेताओं-का. चारु मजूमदार, का.जौहर, विनोद मिश्र, रामनरेश राम, मास्टर जगदीश, बूटन मुशहर, गम्भीरा साह, राजाराम आदि को श्रद्धाजंलि व शहीद वेदी पर पुष्पांजलि के साथ सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शुरुआत हुई।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज देश में लोकतंत्र, विविधता, गंगा-जमुनी तहजीब पर बड़ा खतरा मंड़रा रहा है। उम्मीद है कि यह सम्मेलन इस खतरे को दूर करने की राजनीतिक जरूरत को भी पूरा करेगा।

उन्होंने कहा कि मोदी राज में देश भारी आर्थिक संकट में चला गया है। हालिया भूख सूचकांक में 125 देशों की सूची में वह 111वें नम्बर पर है। अधिकांश बच्चे कुपोषित हैं और महिलाएं खून की कमी का शिकार। लेकिन मोदी सरकार व उनके मंत्री इसे झुठलाने व भारत को विश्वगुरु बनाने का दिवास्वप्न दिखा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अतीत में 2004 में भाजपा की वाजपेयी सरकार ने भी शाइनिंग इंडिया का नारा दिया था। उस दौर में ही किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ और वाजपेयी सरकार को जाना पड़ा।

उन्होंने कहा कि उसके बाद आई मनमोहन सिंह सरकार ने मनरेगा, वनाधिकार, खाद्य सुरक्षा व अन्य योजनाएं शुरू की लेकिन मोदी सरकार ने आते ही इन योजनाओं और अधिकारों को खत्म करना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने हमें संविधान के साथ-साथ शिक्षित होने, संगठित होने और संघर्ष करने की सीख दी। इस शिक्षा को आत्मसात करके हम न केवल अपने सारे अधिकार हासिल करेंगे बल्कि उस संविधान को भी बचा पाएंगे जिसे संघ-भाजपा मनुस्मृति लादकर खत्म कर देना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसान आंदोलन और एनआरसी विरोधी आंदोलन को बदनाम करने के लिए इसे विदेशी वित्त पोषित बता रही है और पत्रकारों व निष्पक्ष सोशल मीडिया पर साजिशाना हमले कर रही है। वह दंगा-फसाद फैलाकर आगामी चुनाव जीतना चाहती है। हमें सावधान रहना होगा और राम मंदिर के नाम पर उसकी चुनावी साज़िश को धूल चटाना होगा।

उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास ने देश की खस्ताहाल होती जा रही आर्थिक-सामाजिक व शैक्षणिक अवस्था का विस्तृत ब्यौरा दिया।

इस सत्र को ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, माले विधयक दल नेता महबूब आलम, आशाकर्मियों की राष्ट्रीय नेता शशि यादव, रसोइया संघ की नेता सरोज चौबे, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विधायक सत्यदेव राम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोज मंजिल और राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा के साथ ही बिहार प्रदेश खेतिहर मजदूर यूनियन के नेता भोला प्रसाद दिवाकर ने भी सम्बोधित किया। सिकटा से भाकपा (माले) के विधायक व खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)

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