Friday, April 19, 2024

झारखंड: धनबाद रेलवे की लापरवाही ने ली 6 मजदूरों की जान, सभी घर के एकलौते कमाने वाले थे

धनबाद। 29 मई को झारखंड के धनबाद-गोमो रेलखंड के निचितपुर हॉल्ट तथा तेतुलमारी स्टेशन के बीच झारखोर रेलवे क्रॉसिंग के पास बिजली का पोल लगाने के क्रम में करंट लगने से 6 ठेका मजदूरों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी। खबर के मुताबिक मजदूर पोल गाड़ रहे थे और उन्होंने शटडाउन नहीं लिया था। काम के दौरान पोल डगमगा कर 25,000 वोल्ट के ओवरहेड तार से छू गया। जिसके बाद करंट की चपेट में आने से मौके पर 6 मजदूरों की मौत हो गई जबकि एक दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए।

दरअसल, एचओइ के लिए पोल लगाने के समय ना ही शटडाउन लिया गया और ना ही काम कराने के लिए वहां टीआरडी का इंजीनियर मौजूद था, जबकि नियम के मुताबिक काम के दौरान टीआरडी के एक इंजीनियर का वहां मौजूद रहना अनिवार्य है और शटडाउन लेकर काम कराया जाना है, काम पूरा होने के बाद इंजीनियर को शटडाउन वापस करना है। इसके बाद लाइन को चालू किया जाना चाहिए। लेकिन रेलवे की ओर से इसका पालन नहीं किया गया, जिसका खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ा। बताया जा रहा है कि अलग-अलग जगहों पर एजेंसी द्वारा छह माह से काम किया जा रहा है। बिना शटडाउन के ही काम होता आ रहा है।

बता दें कि बिना किसी प्रकार के उपकरण का इस्तेमाल किए काम किया जा रहा था। जबकि पोल झुके नहीं या फिर ओवर हेड तार को नुकसान पहुंचाए बिना काम हो इसके लिए क्रेन समेत अन्य उपकरण होना चाहिए था, जो नहीं था। केवल मजदूरों के भरोसे ही काम हो रहा था।

फाटक के गेटमैन प्रफुल्ल मंडल ने बताया कि “पोल को यहां गाड़ा जा रहा था। मजदूर काम पर लगे थे। सबकुछ ठीक चल रहा था। 11 बजकर 22 मिनट हो रहा होगा। उसी समय डाउन लाइन में हो रहे कार्य के दौरान अचानक पोल रेलवे के 25 हजार वोल्ट के ओवरहेड तार में जा गिरा। ऐसी आवाज और आग की लपटें उठीं कि उसका बयां नहीं कर सकते हैं। मैं दौड़ा-दौड़ा फाटक से बाहर निकल कर निचितपुर के स्टेशन मास्टर को सूचना देकर पावर को कट करवाया। तब तक 6 मजदूरों की जान चली गयी थी।”

बताते चलें कि इस घटना में मारे गए मजदूर झारखंड के लातेहार, पलामू व यूपी के इलाहाबाद के हैं। मृतकों में गोविंद सिंह व भाई श्यामदेव सिंह, सुरेश मिस्त्री, श्याम भुइया, संजय राम व धर्मनाथ भुइयां शामिल हैं।

स्थानीय लोग घटना के लिए ठेकेदार और रेलवे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर रेलवे प्रशासन लापरवाही नहीं करता तो ये दुर्घटना नहीं होती।

प्रत्यक्षदर्शियों में शामिल अनिता देवी और रीना देवी ने बताया कि एक घंटे तक आग धधकती रही। इससे आस पास के इलाकों में हड़कंप मच गया। घटना की सूचना मिलने पर बाघमारा एसडीपीओ निशा मुर्मू, रामकनाली ओपी प्रभारी वीके चेतन सहित अन्य थानों की पुलिस पहुंची और मामले की छानबीन की। इस संबंध में जब डीआरएम से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बगैर पावर ब्लॉक के यह काम चल रहा था। घटना की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

दुर्घटना के शिकार सतबरवा, पलामू के श्यामदेव सिंह कमाने धनबाद इसलिए आये थे कि वे अपनी बेटी की शादी कर सकें। इसी साल उनकी बेटी की शादी होनी थी। पलामू में ही रिश्ता तय हुआ था। अब उनके शव को बेटी के पास कैसे ले जायें, यह कहते-कहते श्यामदेव के ससुर गरीबा सिंह पोस्टमार्टम हाउस में फूट-फूट कर रोने लगे। वह अपने दामाद और उनके छोटे भाई गोविंद सिंह का शव लेने के लिए यहां पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि छोटे भाई गोविंद सिंह ने ही श्यामदेव को सिक्का इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम दिलवाया था।

बता दें कि मजदूरों के शव को लेने पहुंचे अन्य परिजनों का भी यही हाल था। उनकी चीत्कार से पूरा पोस्टमार्टम हाउस गूंज रहा था।

बरवाडीह, लातेहार के मीरवाइकला गांव के रहने वाले मृतक संजय राम की शादी दो साल पहले हुई थी और उसकी एक साल की बेटी है। कुछ दिन पहले ही वह गांव से लौटे थे। उसके शव को लेने पहुंचे चचेरे भाई संदीप राम ने बताया कि संजय की मौत की खबर मिलने के बाद से पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। शव को भाभी के पास ले जाने के लिए वो हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

वहीं हादसे में मृतक राम सुरेश मिस्त्री इलाहाबाद के रहने वाले थे। उसके शव को लेने के लिए उसके भाई रवि शंकर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि राम सुरेश मिस्त्री घर में अकेले कमाने वाले थे। हादसे में उनकी मौत के बाद घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। पढ़ाई से लेकर घर का सारा खर्च राम सुरेश द्वारा भेजे गए पैसों से चलता था।

हादसे का शिकार झालदा, पुरुलिया का रहने वाले धर्मनाथ भुइयां की हुई मौत से बूढ़े बाप का सहारा छिन गया। उसके 70 वर्षीय पिता सुबल भुइयां शव को लेने के लिए पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि धर्मनाथ उनके इकलौते पुत्र थे। उसके तीन बच्चे हैं और पूरे परिवार की जिम्मेदारी धर्मनाथ के कंधे पर थी। उनकी मौत के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा है।

मृतकों का शरीर करंट से बुरी तरह जल चुका था। ऐसे में शवों के पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों को काफी परेशानी हुई। शरीर के कई हिस्से गल गये थे। ऐसे में थैली में शरीर से निकला हिस्सों को बांध कर उनके परिजनों को दिया गया।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट)

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