यूपी पुलिस का एक बार फिर बर्बर चेहरा सामने आया है। यूपी को हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाने में जुटे योगी और उनकी पुलिस ने आजमगढ़ में शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कहर बरपाया है। यहां के लोग सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। अहम बात यह है कि पुलिस की बर्बर कार्रवाई डीएम की मौजूदगी में हुई है।
आज़मगढ़ में बिलरियागंज के मौलाना जौहर अली पार्क में सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं पर तड़के सुबह पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आसूं गैस के गोले दागे। यूपी पुलिस किसी भी कीमत पर सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी नहीं होने देना चाहती है।
मौलाना जौहर अली पार्क में महिलाएं नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ़ धरने पर बैठी थीं और लोकतांत्रिक तरीक़े से विरोध दर्ज करा रही थीं। यहां शांतिपूर्ण धरना चल रहा था और किसी भी तरह की अव्यवस्था भी नहीं थी। इसके बावजूद पुलिस ने यहां पर बर्बरता की है। आधी रात के बाद तीन बसों में भर कर पुलिस आई और पूरे पार्क को घेर लिया। पुलिस ने वहां मौजूद लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया।
पार्क में मौजूद महिलाओं को भी वहां से जाने को कहा गया। महिलाओं ने संविधान और लोकतंत्र की बात की तो पुलिस वाले बिगड़ गए। उसने अचानक ही लाठीचार्ज शुरू कर दिया। रबर की गोलियां, वाटर कैनन से लेकर आंसू गैस के गोले तक अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया। पुलिस के इस हमले में कई लोग जख्मी हुए हैं।
इसके बावजूद जब कुछ महिलाओं ने शांतिपूर्ण तरीके से धरना देना जारी रखा तो पुलिस ने पार्क में पानी भर दिया। पुलिस ने आसपास के घरों में सो रहे लोगों को जबरन बाहर निकलवाया और उन्हें पकड़ ले गई। पुलिस ने पकड़े गए लोगों के मोबाइल भी स्विच ऑफ करा दिए। नतीजे में घर वाले संपर्क भी नहीं कर पा रहे हैं। इस घटन के बाद से पूरे जिले में भय का माहौल है।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिलाओं के खिलाफ पुलिस बर्बता की हर तरफ निंदा हो रही है। रिहाई मंच ने भी घटना की निंदा की है। रिहाई मंच ने डीएम और कप्तान के खिलाफ करवाई की मांग की है। मंच ने कहा कि देर रात से ही डीएम की मौजूदगी में पुलिस बर्बरता करती रही।
रिहाई मंच ने कहा है कि पुलिसिया दमन में महिलाओं, बच्चे-बच्चियों और पुरुषों को काफी चोटें आईं हैं। सूचना मिल रही है की रबर की गोली से तीन लोग घायल और एक महिला सरवरी ज़ख्मी हुई हैं। ये पूरी घटना अमानवीय तो है ही लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जिलाधिकारी की मौजूदगी ने बहुत से सवाल उठा दिए हैं।
रिहाई मंच ने सवाल उठाय है कि क्या जिलाधिकारी और पुलिस को महिलाओं के द्वारा संविधान और लोकतंत्र की बातें करना अच्छा नहीं लगा? क्या ये दमन सरकार के इशारे पर किया गया? क्या जिलाधिकारी भी अपनी शपथ भूल गए हैं?
रिहाई मंच ने कहा है कि ये घटनाक्रम बहुत शर्मनाक, अमानवीय है। रिहाई मंच ने घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए तत्काल जिन लोगों को पुलिस उठा ले गई है उनकी रिहाई की मांग की है। साथ ही पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की है।
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