साम्प्रदायिक एकता गांधी जी के लिए महज एक आदर्श नहीं थी वह उनकी आत्मा में रची बसी थी। साम्प्रदायिक सद्भाव तथा समरसता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि अपने जीवन के...
'एक देश बारह दुनिया' पुस्तक अनूठे भाषा-प्रवाह और दृश्य-बिम्बों के कारण अपने पहले पन्ने से ही पाठकों को बांधकर आगे बढ़ती हुई नजर आती है। फिर भी पुस्तक की भाषा और भावपूर्ण प्रस्तुति इसकी दूसरा विशेषता कही जाएगी। इसकी...
कुछ साल पहले, जब में एण्डियन पर्वत श्रृंखला पर स्थित बोलिवियन राजधानी ला पाज़़ गया था, मैंने एक रेस्त्रां में लगा बोर्ड देखा, जिस पर स्पैनिश भाषा में लिखा था ‘सभी मानव बराबर हैं’। शहर में मैंने जो सप्ताह...