अंग्रेजों ने इतिहास लेखन के जरिए भारत में बोया सांप्रदायिकता का बीज
(आज, हमारे आस-पास, नफरत का जो माहौल है, उसकी एक वजह, घृणित इतिहास लेखन भी है। और इसकी शुरुआत औपनिवेशिक काल से होती है। शायद [more…]
(आज, हमारे आस-पास, नफरत का जो माहौल है, उसकी एक वजह, घृणित इतिहास लेखन भी है। और इसकी शुरुआत औपनिवेशिक काल से होती है। शायद [more…]
13 अप्रैल, 1919, बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट के विरोध में सभा कर रहे विशाल जनसमूह पर जनरल रेगीनाल्ड डायर [more…]
पिछले दिनों इस देश के अन्नदाताओं को दिल्ली के वर्तमान क्रूर, असहिष्णु , बदमिजाज, अमानवीय, फॉसिस्ट, तानाशाही प्रवृत्ति के निजाम के जबरन रोकने की वजह [more…]
‘कस ली है कमर अब तो,कुछ करके दिखाएंगे, आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा लेंगे…’ ( काकोरी केस के वीर शहीदों की पुण्य [more…]
19 वीं सदी का आधा समय बीत जाने पर जब भारत गुलामी की बेड़ियों की जकड़न से उबरने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन के जरिये अंग्रेजी [more…]
पैंडोरा पेपर्स के खुलासे पर द इंडियन एक्सप्रेस लगातार खोजी रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी 14वीं रिपोर्ट में एक और बड़े [more…]
सावरकर सन् 1911 से लेकर सन् 1923 तक अंग्रेज़ों से माफी मांगते रहे, उन्होंने छः माफीनामे लिखे और सन् 1923 के बाद वह लगातार ही [more…]
गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के नाम पर एक नशेड़ी, गरीब, दलित सिख लखबीर सिंह को जिस बेरहमी से निहंगों ने मारा, हाथ काटे और [more…]
इसे स्थिति का व्यंग्य कहा जाए या व्यंग्य की स्थिति कि जो व्यक्ति महात्मा गांधी की हत्या का मास्टर माइंड माना गया था लेकिन अदालत [more…]
सबसे पहले तो इस किताब के शीर्षक में ‘क्रांति’ शब्द पर ध्यान जाता है। अपने देश में सन् 1857 के ब्रिटिश हुकूमत-विरोधी जन-विद्रोह को तरह-तरह [more…]