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बीच बहस

अंग्रेजों ने इतिहास लेखन के जरिए भारत में बोया सांप्रदायिकता का बीज

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(आज, हमारे आस-पास, नफरत का जो माहौल है, उसकी एक वजह, घृणित इतिहास लेखन भी है। और इसकी शुरुआत औपनिवेशिक काल से होती है। शायद [more…]

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बीच बहस

जन्मदिन पर विशेष: ‘सरदार ऊधम’ फिल्म के बहाने शहीद ऊधम सिंह की शख्सियत पर एक नज़र

13 अप्रैल, 1919, बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट के विरोध में सभा कर रहे विशाल जनसमूह पर जनरल रेगीनाल्ड डायर [more…]

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संस्कृति-समाज

जयंती पर विशेष: देश को मोदी जैसा किसान विरोधी नहीं, चरण सिंह जैसा किसानों का हमदर्द प्रधानमंत्री चाहिए!

पिछले दिनों इस देश के अन्नदाताओं को दिल्ली के वर्तमान क्रूर, असहिष्णु , बदमिजाज, अमानवीय, फॉसिस्ट, तानाशाही प्रवृत्ति के निजाम के जबरन रोकने की वजह [more…]

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संस्कृति-समाज

काकोरी के शहीद बताते हैं कि भीख नहीं कुर्बानियों से मिली है आजादी

‘कस ली है कमर अब तो,कुछ करके दिखाएंगे, आजाद  ही  हो  लेंगे, या सर  ही  कटा  लेंगे…’  ( काकोरी केस के वीर शहीदों की पुण्य [more…]

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ज़रूरी ख़बर

आजादी की लड़ाई में वंचितों की बहादुरी की कहानी बयां करता ऊदा देवी पासी का बलिदान

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19 वीं सदी का आधा समय बीत जाने पर जब भारत गुलामी की बेड़ियों की जकड़न से उबरने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन के जरिये अंग्रेजी [more…]

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राजनीति

पैंडोरा पेपर्स में रेमंड के चेयरमैन की ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में दो कंपनियां

पैंडोरा पेपर्स के खुलासे पर द इंडियन एक्सप्रेस लगातार खोजी रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी 14वीं रिपोर्ट में एक और बड़े [more…]

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बीच बहस

माफीनामों के वीर हैं सावरकर

सावरकर सन् 1911 से लेकर सन् 1923 तक अंग्रेज़ों से माफी मांगते रहे, उन्होंने छः माफीनामे लिखे और सन् 1923 के बाद वह लगातार ही [more…]

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बीच बहस

आखिर कौन हैं निहंग और क्या है उनका इतिहास?

गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के नाम पर एक नशेड़ी, गरीब, दलित सिख लखबीर सिंह को जिस बेरहमी से निहंगों ने मारा, हाथ काटे और [more…]

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बीच बहस

एक ऐतिहासिक विवाद का पटाक्षेप करने के लिए राजनाथ सिंह को धन्यवाद!

इसे स्थिति का व्यंग्य कहा जाए या व्यंग्य की स्थिति कि जो व्यक्ति महात्मा गांधी की हत्या का मास्टर माइंड माना गया था लेकिन अदालत [more…]

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बीच बहस

1857 की क्रांति, उर्दू पत्रकारिता और भारतीय पत्रकारिता का पहला शहीद

सबसे पहले तो इस किताब के शीर्षक में ‘क्रांति’ शब्द पर ध्यान जाता है। अपने देश में सन् 1857 के ब्रिटिश हुकूमत-विरोधी जन-विद्रोह को तरह-तरह [more…]