Friday, March 29, 2024

democracy

हामिद अंसारी और भारतीय बहुलवाद को खतरे

भारत का उदय विविधता का सम्मान करने वाले बहुलवादी प्रजातंत्र के रूप में हुआ था। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हमारे संविधान में समुचित प्रावधान किये गए, जिनका खाका सरदार पटेल की अध्यक्षता वाली संविधान सभा की अल्पसंख्यकों पर...

लोकतंत्र की गणित और आंदोलन का अर्थशास्त्र

आंदोलन समाज में सुधार के लिए प्रेरित होते हैं या नीतिगत निर्णयों के प्रति एक सशक्त असहमति व्यक्त करते हैं। मूल रूप से लोकतंत्र में आंदोलन का उद्गम इन्हीं कारणों पर आधारित होता है। समाज में हमेशा से आंदोलन...

न्यूज़क्लिक पर हमले के खिलाफ संगठित हों पत्रकारिता और लोकतंत्र के पक्षधर लोग: नंदिता हक्सर

मैं पत्रकारों पर हमले, कार्यकर्ताओं और लेखकों की गिरफ़्तारी के बारे में पढ़ती रही हूँ और देख रही हूँ कि असहमति के सभी लोकतांत्रिक जगहों को कैसे समाप्त किया जा रहा है। 2010 से 2020 के बीच 150 से अधिक...

इतिहास के खतरनाक मोड़ पर खड़ा हो गया है राजनीतिक लोकतंत्र

इस अर्थ में कि वहां उसके सभी स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चौथा खंभा प्रेस भी उतना ही मुस्तैद है। पर पिछले चुनावों के दौरान वहां जो हुआ, वह एक अर्थ में पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सीमा का आईना...

महज चुनाव में वोट देने भर से नहीं, आंदोलनों से जिंदा रहता है लोकतंत्र

प्रधानमंत्री ने आंदोलन करने वाले किसान नेताओं को आंदोलनजीवी कहा है। उनका मानना है कि आंदोलन करना कुछ लोगों का धंधा है। यह बयान उनकी नासमझी दर्शाता है। असल में इंसानी समाज आंदोलन से ही आगे बढ़ा है। रोम...

कायरता ही सरकार की बन गई है बहादुरीः महुआ मोईत्रा

संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस चल रही है, जिसमें विपक्ष सरकार पर बुरी तरह हमलावर है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने 'घृणा और कट्टरता' को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया और आरोप लगाया...

सत्ता पक्ष को भारी पड़ेगा किसानों का अपमान और उनके लिए गाली-गलौच की भाषा

किसान नेताओं और किसान संगठनों को चाहे वे राष्ट्रव्यापी हैं चाहे क्षेत्रीय नेता हैं उनको गाली गलौज वाले  गंदे से गंदे शब्दों में कोसा जा रहा है बदमाश, खालिस्तानी, आतंकवादी और ना जाने किन-किन शब्दों से व्याख्या की जा...

तन्मय के तीर

(लोकतंत्र को कीलतंत्र में बदलने वाली मोदी सरकार दरअसल अपने पितृ पुरुषों के बताए आदर्शों पर ही चल रही है। उन्हें न तो कभी अहिंसा रास आयी और न ही उन्होंने कभी गांधी को पसंद किया। जीवन भर उन्होंने...

लोकतंत्र में लोक के निर्णय को राजा सुनता है, आज राजा का निर्णय लोक को मानना पड़ रहाः शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद

द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने कहा है कि सरकार को किसान आंदोलन का तत्काल हल निकालना चाहिए। किसानों का पानी रोका जा रहा है। यह कैसी सरकार है? नोटबंदी, किसान बिल लाकर सरकार केवल एक पक्षीय निर्णय...

सरकारी कंपनियों की बिक्रीः कारपोरेट गणतंत्र बनाम लोकतंत्र

दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों के चारों ओर सीमेंट के कांटेदार अवरोध खड़े कर दिए गए हैं, कांटे के बाड़ लगा दिए गए हैं, इंटरनेट बंद कर दिया गया है, और इन्हें पुलिस छावनी में तब्दील...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...