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संस्कृति-समाज

पुस्तक समीक्षा: समतावादी आंदोलनों को नई ऊर्जा देने की कोशिश

हमारी सभ्यता अपनी कालगणना में जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का विमर्श पीछे छूटता जा रहा है। साथ ही छूटता [more…]

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बीच बहस

क्यों है मानवाधिकार आंदोलन को जन आंदोलन बनाने की ज़रूरत ?

10 दिसम्बर 1948 को‌ संयुक्त राष्ट्र संघ ने 30 सूत्री सार्वभौम मानवाधिकार चार्टर घोषित किया था। इस वर्ष इस घोषणा के 75वें वर्ष में हीरक [more…]

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ज़रूरी ख़बर

क्या न्याय की देवी में बदलाव से मिल सकेगा न्याय?

अभी तक तो भाजपा सरकार नामों और स्वरुप में थोड़ा बदलाव कर यश अर्जित कर वोट का इंतजाम करती रही है। गांव मेरा -नाम तेरा। [more…]

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बीच बहस

शिक्षा प्रणाली का पुनरुत्थान: समानता, स्वतंत्र चिंतन और वास्तविक ज्ञान की ओर

वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विकास की कहानी धार्मिक शिक्षा से शुरू होती है। इतिहास के पन्नों में झांकें तो हम पाते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा [more…]

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बीच बहस

समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज की राजकीय आकांक्षा व्यवस्था का मुख्य सवाल है   

रोजगार और निश्चित आय का अभाव अपने-आप में अन्याय और भयावह विषमता का कारण बन जाता है। पूरी दुनिया की वर्तमान व्यवस्थाएं विषमताओं से पीड़ित [more…]

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राजनीति

कैसे मनाएं महिला दिवस जब महिला ही न्याय से रह रही है वंचित

महिलाओं के सम्मान में हर साल आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। आधुनिकता और पूंजीवाद की बढ़ती ताकतों के बीच महिलाओं के [more…]

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ज़रूरी ख़बर

मौलिक समानता के संवैधानिक आदर्श को हासिल करने के लिए भौतिक संसाधनों का पुनर्वितरण जरूरी:जस्टिस चंद्रचूड़

उच्चतम न्यायालय के जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि आजादी के बाद आज भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार हैं। जांच अधिकारी [more…]

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ज़रूरी ख़बर

लोहिया की प्रासंगिकता और उनसे जुड़े सवाल

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महापुरूषों की स्मृति और मूल्यांकन से ही कोई समाज ऊर्जा ग्रहण कर निखर सकता है। गांधी जी के बाद डॉक्टर राममनोहर लोहिया ही सबसे प्रखर [more…]

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संस्कृति-समाज

‘कोरस’ की नाट्य प्रस्तुति: ‘नीच’ में दिखा समानता के लिए स्त्री का संघर्ष

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पटना। कोरोना महामारी के दौर में जहां सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियां लगभग ठप हैं, वैसे में ‘कोरस’ ने सामाजिक उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़ पटना के [more…]

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ज़रूरी ख़बर

अमेरिका और तालिबान के बीच कब्जे की फिक्सिंग!

तालिबान दुनिया के सबसे निकृष्ट लोगों में से एक हैं। जो न दूसरों की सुनना जानते हैं और न समझना। स्वतंत्रता-समता, लोकतंत्र इनके बंदूक के [more…]