डॉ.परमानंद सिंह यानी पीएन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके जाने से सचमुच शदीद रंज-ओ-मलाल है। वे आला मार्क्सवादी…
नॉर्थ-ईस्ट डायरी: स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के केंद्र के कदम का पूर्वोत्तर में हो रहा विरोध
समूचे पूर्वोत्तर ने इस क्षेत्र पर हिंदी को “थोपने” के केंद्र के कदम के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है।…
हिंदी पट्टी की बहुजन राजनीति को कैसे निगल रही है भाजपा
हिंदी पट्टी में राजनीतिक वर्चस्व भारत की केंद्रीय सत्ता पर राजनीतिक वर्चस्व का रास्ता खोलता है। हिंदी पट्टी की घनी…
उत्तर और दक्षिण के बीच पुराना है सांस्कृतिक रिश्ता
यह एक विडंबना है कि हिंदी पट्टी के लोग भारत की संस्कृति और भाषा का दायरा बस उतना ही मानते…
हिंदी का लेखक-प्रकाशक विवाद: साहित्य और जीवन के भ्रम और यथार्थ
सोशल मीडिया पर हिंदी के लेखकों और प्रकाशकों के बीच संबंध के बारे में अभी जो बहस उठी है, वह…
हिंदी प्रकाशक चुरा रहे हैं लेखकों की मेहनत की कीमत
हिंदी के अप्रतिम लेखक विनोद कुमार शुक्ल के ऑडियो और वीडियो से उनके प्रकाशकों द्वारा उनका शोषण किये जाने की…
हिंदी पट्टी कैसे हुई गोबर पट्टी में तब्दील?
5 दिन पहले फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित बाथ विश्वविद्यालय के संतोष मेहरोत्रा का यह लेख, अंग्रेजी हलकों में चर्चा का…
विश्व हिंदी दिवस पर विशेष: हिन्दी के नाम पर केवल सियासत हुई, समाधान नहीं हुआ
एक बार अंग्रेज़ी के वरिष्ठ लेखक कार्लाइल ने अंग्रेजी साहित्य के विद्वान विलियम शेक्सपीयर को श्रध्दांजलि देते हुए कहा था-…
खोई हुई परंपरा को सामने लाना स्त्रीवादी आलोचना की जिम्मेदारी
हिंदी साहित्य का इतिहास लिखे जाने के क्रम में महिला साहित्यकारों और उनके साहित्य की कई तरह से अनदेखी होती…
डॉ.लोहिया की पुस्तक ‘एक्शन इन गोवा’ के हिंदी, मराठी और कोंकणी वर्जन का लोकार्पण
डॉ. राममनोहर लोहिया की 54 वीं पुण्यतिथि पर उनकी लिखी पुस्तक एक्शन इन गोवा का हिन्दी के साथ ही कोंकणी…