Monday, May 29, 2023

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जय श्रीराम; अभिवादन को युद्धघोष बनाने के पीछे आखिर क्या है मकसद?

पिछले पखवाड़े न दशहरा था न रामनवमी मगर पूरी हिंदी पट्टी में जय श्रीराम के ललकारों की बहार सी आयी पड़ी थी। कानपुर से इंदौर तक, उज्जैन से देवास होते हुए दूर पहाड़ों से लेकर बिहार के गंगा मैदान...

हिंदी पट्टी की विद्रूपताओं को खोल कर रख देती है ‘गाजीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल’

सबसे पहले उर्मिलेश सर आपको इस बात के लिए शुक्रिया कि आपके चलते मैंने कोई किताब पढ़ी। पिछले चार सालों से पोर्टल की व्यस्तता के चलते न तो अलग से समय निकाल सका और न ही इसके लिए कोई...

फटे जूते वाले प्रेमचंद !

प्रेमचंद जब अपनी लेखनी से गुलाम जनता में आज़ादी का मानस जगा रहे थे तब कुबेर का खज़ाना उनके पास नहीं था सत्ता की दी हुई जागीरदारी नहीं थी। यह तथ्य बताता है की साहित्य रचने के लिए धन...

जन्मदिन पर विशेष: अपने समय के अनूठे कथाकार पं चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

कहा जा सकता है जिन दिनों हिंदी कहानी घुटनों के बल सरक रही थी तब चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की मात्र तीन कहानियां पांव के बल चलकर चौकड़ी भरने में समर्थ थीं। हिंदी कथा जगत में गुलेरी जी मात्र तीन...

हिंदुत्ववादी ट्रोलरों की भेंट चढ़ गया एक पत्रिका का नवनियुक्त संपादक

अंग्रेजी के एक युवा पत्रकार और हिंदी के उभरते आलोचक आशुतोष भारद्वाज को भारतीय उच्च शोध संस्थान की पत्रिका "चेतना" के संपादक पद से  अलग होने का  निर्णय इसलिए दुखी मन से  लेना पड़ा कि कट्टर हिंदुत्ववादियों ने भारद्वाज...

यूपी शासन मॉडल को चुनौती देना भारतीय लोकतंत्र के लिए जरूरी

उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील के बराबर है और यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में इसके जबर्दस्त प्रभुत्व का कारण केवल आकार और जनसांख्यिकी का मामला नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजनीति का राष्ट्रीय प्रभाव...

साहित्य अकादमी पुरस्कार: अनामिका, कस्बाई यथार्थ की एक कवयित्री

दरवाजा मैं एक दरवाजा थी  मुझे जितना पीटा गया  मैं उतना खुलती गई  अंदर आए आने वाले तो देखा_  चल रहा है एक वृहद चक्र_  चक्की रूकती है तो चरखा चलता है,  चरखा रुकता है तो चलती है कैंची सुई  गरज यह है कि चलता ही रहता...

जयंती पर विशेष: ‘नई कहानी’ और ‘समांतर कहानी’ आंदोलन के जनक कमलेश्वर

हिन्दी साहित्य में कथाकार कमलेश्वर का शुमार उन साहित्यकारों में होता है, जिन्होंने कहानी को नई दिशा प्रदान की। हिन्दी कहानी का आज जो स्वरूप दिखाई देता है, उसमें उनका अमूल्य योगदान है। कहानी और नई कहानी का जब...

राजनीति को नया रास्ता दिखाता किसान आंदोलन और हिंदी-भाषी क्षेत्र की खतरनाक जड़ता

एक बनता हुआ राष्ट्र अगर भारत जैसा विशाल, विविधता और इस कदर असमानता-ग्रस्त हो तो उसकी चुनौतियां बड़ी और जटिल हो जाती हैं। आज के भारत में बेरोजगारी-बेहाली-महामारी का संकट सिर्फ प्रशासकीय कारणों से नहीं है। इसके मूल में...

हिंदी जगत के 117 लेखकों ने बिहार के मतदाताओं से की सांप्रदायिक ताकतों को धूल चटाने की अपील

(हिंदी जगत के लेखकों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने बिहार के चुनाव पर पहल लेकर एक अपील जारी की है। इसमें उन्होंने मतदाताओं से सांप्रदायिक ताकतों को हराने और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों की जीत को सुनिश्चित करने की बात कही है।...

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घर में नहीं हैं दाने, मामा चले हवाई तीर्थ कराके वोट भुनाने

बहुत ही घबराए और बिल्लियाये हुए हैं शिवराज सिंह चौहान और उतनी ही सिड़बिल्याई हुयी है भाजपा और जनादेश...