Thursday, April 25, 2024

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हिंदी जगत के 117 लेखकों ने बिहार के मतदाताओं से की सांप्रदायिक ताकतों को धूल चटाने की अपील

(हिंदी जगत के लेखकों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने बिहार के चुनाव पर पहल लेकर एक अपील जारी की है। इसमें उन्होंने मतदाताओं से सांप्रदायिक ताकतों को हराने और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों की जीत को सुनिश्चित करने की बात कही है।...

हिंदी टीवी ड्रामा के इतिहास में ‘मिर्ज़ापुर’ एक महत्वपूर्ण मोड़ का सूचक

कल एमेजन प्राइम पर बहुचर्चित टीवी ड्रामा ‘मिर्ज़ापुर।’ के दूसरे दौर की सारी कड़ियों को देखा। यूपी की राजनीति के शिखर-स्थान और हथियारों-नशीली दवाओं के व्यापार से जुड़े माफिया गिरोहों के बीच के रिश्तों और इनके घर-परिवार की बंद,...

भोजपुरी जो हिंदी नहीं है!

उदयनारायण तिवारी की पुस्तक है ‘भोजपुरी भाषा और साहित्य’। यह पुस्तक 1953 में छपकर आई थी। लेखक ने पुस्तक के पहले संस्करण में ‘दो शब्द’ में अपने समय में हिंदी और भोजपुरी को लेकर छायी हुई गलतफहमियों पर कुछ...

हिंदी दिवस सिर्फ एक फालतू कर्मकांड ही नहीं, राष्ट्रीय क्षति भी!

लंबे समय तक मैं हिंदी दिवस के कार्यक्रमों में जाया करता था। एक हिंदी पत्रकार होने के नाते मुझे इस मौके पर हर साल कभी कोई सरकारी संस्थान बुलाता, कभी किसी महाविद्यालय या विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग तो कभी...

जयंतीः राजेंद्र यादव ने साहित्य में दी अस्मिताओं के वजूद को नई पहचान

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर दीगर लेखन और विमर्शों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। कथाकार राजेंद्र यादव का...

रंज यही है बुद्धिजीवियों को भी कि राहत के जाने का इतना ग़म क्यों है!

अपनी विद्वता के ‘आइवरी टावर्स’ में बैठे कवि-बुद्धिजीवी जो भी समझें, पर सच यही है, इत्ते बड़े मुल्क में, एक सीधी सी बात को ऐसे खरेपन से कह देना, राहत इंदौरी के ही हिस्से में आया था। हिर्स करो,...

जयंती पर विशेष: नामवर थे, नामवर सिंह

हिन्दी साहित्य के आकाश में नामवर सिंह उन नक्षत्रों में से एक हैं, जिनकी विद्वता का कोई सानी नहीं था। साहित्य, संस्कृति और समाज का कोई सा भी विषय हो, वे धारा प्रवाह बोलते थे। उनको सुनने वाले श्रोता...

जन्मदिन पर विशेष: हिन्दी साहित्य के ठहरे जल में तूफ़ान लाने वाले ओमप्रकाश वाल्मीकि

(जानी-मानी लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट अनिता भारती ने यह लेख मशहूर हिन्दी लेखक-विचारक और हिन्दी में दलित साहित्य के प्रमुख स्तंभ ओमप्रकाश वाल्मीकि (30 June 1950-17 November 2013) के निधन के बाद लिखा था। वाल्मीकि जी को आज उनके...

कोविड 19 : हिंदी पट्टी में कोई सवाल क्याें नहीं है?

फरवरी, 2020 में जब अखबारों में दुनिया में एक नए वायरस के फैलने की सूचना आने लगी और मेरे सहकर्मियों के बीच इसकी चर्चा होने लगी तो मैंने इन खबरों के संबंध में प्रमाणिक सूचनाएं पाने के लिए विश्व...

पत्रकारिता दिवस के स्मरण का मतलब

आज हिंदी पत्रकारिता 194 वर्ष पुरानी हो गई। 30 मई 1826 को कलकत्ते से हिंदी के पहले साप्ताहिक अखबार `उदंत मार्तंड’ का प्रकाशन हुआ था। संपादक थे पंडित जुगल किशोर शुकुल। इस शब्द का अर्थ है समाचार-सूर्य। यह अखबार...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...