भोपाल।"मौजूदा निज़ाम अपनी नीतियों से सिर्फ आवाम की मुश्किलें ही नहीं बढ़ा रहा है, वह स्वतंत्रता आंदोलन की ढांचागत, राजनैतिक और वैचारिक हर तरह की उपलब्धियों को भी पलट रहा है।" शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान 2021 में बोलते हुए एसएफआई...
भारत में जब भी सांप्रदायिकता की बात चलती है तो उसका आशय हिन्दू-मुस्लिम सम्बंधों में आपसी द्वेष एवं घृणा से ही लिया जाता है। यदि सांप्रदायिक समस्या के समाधान की भी बात की जाती है तो भी हिन्दू-मुस्लिम विरोध...
भारत का विभाजन दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी त्रासदी था। विभाजन के पीछे मुख्यतः तीन कारक थे– पहला, ब्रिटिश सरकार की फूट डालो और राज करो की नीति, दूसरा, हिन्दू साम्प्रदायिकता, जो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहती...
डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत के उन नेताओं में अग्रणी रहे, जिन्होंने देश के नव-निर्माण को नई दिशा दी। जोतीराव फुले द्वारा शूद्रों-अतिशूद्रों के प्रबोधीकरण के लिए तैयार की गई जमीन को उन्होंने न केवल सींचा, बल्कि उसमें आधुनिक विचारों...
राजस्थान के नागौर में दलित युवकों के साथ की गई अमानवीय बर्बरता की कारुणिक चीख और रुदन कानों से जा ही नहीं रही है, लेकिन इस बर्बरता के बाद जब ये अपराधी घर पहुंचे होंगे, तो उनकी मांओं ने...