देवरिया। गरीबों के लिए पक्का मकान किसी बड़े सपने के सच होने जैसा ही होता है। अगर यह सपना साकार हो जाए तो उसके लिए एक बहुत बड़ी खुशी ही है, पर सियासत के खेल में इन गरीबों के...
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार की जमीन पर, सदियों से सताए दलित और पिछड़ों की राजनैतिक ऊर्जा को दक्षिणपंथी विचारधारा ने छल-बल, सत्ता, खौफ और धन की ताकत से कमजोर ही नहीं किया है, अपितु अपने हितों के अनुकूल...
पहचान व्यक्तित्व का एक ऐसा जरूरी हिस्सा है जो न सिर्फ हमारी लोकेशन को निर्धारित करता है बल्कि हमारे लिए ढेर सारे सकारात्मक और नकारात्मक अवसरों को भी उत्पन्न करता है। यह राष्ट्रीय, भाषाई, क्षेत्रीय,धार्मिक और जातीय किसी भी...
मायावती ने अपनी चिरपरिचित शैली में बसपा के दो कद्दावर नेताओं को एक बार फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पार्टी विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राम अचल राजभर, दोनों को 3 जून...
हाल में एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कहा है कि वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम काल है। वैसे आज अगर दलित राजनीति की दशा और दिशा देखी जाए तो यह कहीं से भी उसका स्वर्णिम काल...
हिंदी-भाषी क्षेत्र में बहुजन-राजनीति के नायक और बेमिसाल संगठक कांशीराम जी का आज परिनिर्वाण दिवस है। सन् 2006 में आज ही के दिन उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। एक संगठक और राजनीतिज्ञ के रूप में कांशीराम जी को...
आज 15 मार्च है यानि उत्तर भारत और देश की राजनीति को बदल देने वाले बहुजन आंदोलन के नेता कांशीराम का जन्मदिन। आज कांशीराम होते तो 80 वर्ष के होते। उनके द्वारा बनाई गई पार्टी भी 36 वर्ष की...
“क्योंकि दिल्ली का माहौल ख़राब है। हमारे लोगों के साथ ट्रैजेडी हुई है। हमारा ज़मीर ज़िन्दा है। हम अपने बहुजन समाज के लोगों से प्यार करते हैं। इसलिए बड़ी रैली ना करके एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में पार्टी की घोषणा...