‘शववाहिनी गंगा’ कविता लिखने वाली गुजराती कवि पारुल खाखर ‘अराजक’ हैं और इस कविता को सराहने वाले ‘साहित्यिक नक्सली’! ये…
उपन्यास, आलोचना और वीरेंद्र यादव का समाज-बोध
मार्क्सवादी साहित्यालोचक वीरेंद्र यादव के कुछ लेख और टिप्पणियां मैंने पढ़ी थीं। पर उनकी आलोचनात्मक पुस्तक पढ़ने का पहला मौका…
रेणु की जन्मशती पर सिमराहा से लेकर दिल्ली तक कार्यक्रमों की झड़ी
नई दिल्ली। हिंदी के अमर शब्द शिल्पी एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सहयोगी फणीश्वरनाथ रेणु की सौवीं जयंती पर कल…
‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?
बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में दलित समाज की वेदना और उत्पीड़न को दलित साहित्य के माध्यम से दुनिया के समक्ष…
इंदिरा गांधी नहीं गायत्री देवी से प्रेरित होकर मैंने लिखी थी ‘आंधी’: कमलेश्वर
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कमलेश्वर की 27 जनवरी को यानी बीते कल 14वीं पुण्यतिथि थी। 6 जनवरी, 1932 को उत्तरप्रदेश…
बांग्ला साहित्य की विद्रोही दलित चेतना का हिंदी दीप
जब बांग्ला साहित्य और समाज की उदार और विद्रोही चेतना को हिंदी इलाके के संकीर्ण राष्ट्रवाद और बंगाल में पहले…
जयंती पर विशेष: ‘नई कहानी’ और ‘समांतर कहानी’ आंदोलन के जनक कमलेश्वर
हिन्दी साहित्य में कथाकार कमलेश्वर का शुमार उन साहित्यकारों में होता है, जिन्होंने कहानी को नई दिशा प्रदान की। हिन्दी…
जयंतीः मधुशाला कविता से आगे समाज और इंसानियत के उच्च मुकाम का पैमाना बन गई
जीवित है तू आज मरा सा, पर मेरी यह अभिलाषाचिता निकट भी पहुंच सकूं अपने पैरों-पैरों चलकर यह पक्तियां दर्शाती…
टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में दुनिया के मशहूर लेखक नोम चोमस्की का भाषण अचानक स्थगित
सितंबर 2020, में मुंबई (टाटा) लिटरेचर फेस्टिवल में विश्व प्रसिद्ध लेखक और चिंतक नोम चोमस्की और पत्रकार विजय प्रसाद को…
पुण्यतिथिः साहित्य में दलित और स्त्री को विमर्श तक ले आने वाले राजेंद्र यादव विवादों से कभी हारे नहीं
हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो…