जन्मदिवस पर विशेष: जाति, पितृसत्ता और ब्राह्मणवादी राष्ट्रवाद के विध्वंसक पेरियार
हम, खासकर उत्तर भारत के लोग ई.वी. रामासामी नायकर ‘पेरियार’ (17 सितंबर 1879 – 24 दिसंबर 1973) के बारे में नहीं जानते हैं या बहुत [more…]
हम, खासकर उत्तर भारत के लोग ई.वी. रामासामी नायकर ‘पेरियार’ (17 सितंबर 1879 – 24 दिसंबर 1973) के बारे में नहीं जानते हैं या बहुत [more…]
बढ़ रहे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे सरकार भले ही झुक गई हो, पर 15 जून को चार्जशीट दाखिल होने पर ही समझ में आएगा सरकार [more…]
इस समस्त कवायद का उद्देश्य यही है यह बात अच्छी तरह साफ़ हो कि जिसे हम भारतीय सन्दर्भ में पितृसत्ता कहते है वो केवल पितृसत्ता [more…]
इंदौर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की स्वतंत्रता और समाज में भागीदारी के अवसरों पर देश-विदेश में कई कार्यक्रम हुए। इसी कड़ी में इंदौर के [more…]
हम सभी पुरुष प्रधान/पितृसत्तात्मक समाज में रहते हैं, जहां अभी भी एक महिला को अपने मूल अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है और अगर वह अपनी [more…]
मुंडा आदिवासी समुदाय में भी अन्य आदिवासी समाज की तरह एक ही किलि में शादी करना निषेध है। लेकिन अगर ऐसा हो जाता रहा है [more…]
नई दिल्ली। हाथरस और बलरामपुर में दलित लड़कियों के साथ हुई वीभत्स घटनाओं के खिलाफ विरोध की लहर अब सात समुंदर पार भी पहुंच गयी [more…]
कांग्रेस (1885) द्वारा ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संघर्ष शुरू करने से करीब एक दशक पहले जोतीराव फुले (11 अप्रैल, 1827-28 नवंबर, 1890) ने वर्ण-जाति व्यवस्था [more…]