Tag: poetry
पत्रकारिता के बीच देखी संवेदनहीन समाज की आवाज़ है ‘प्रतिरोध के स्वर”
समदर्शी प्रकाशन से प्रकाशित ‘प्रतिरोध के स्वर’ काव्य संग्रह के कवि वरिष्ठ लेखक पत्रकार प्रमोद झा हैं। उनका यह तीसरा काव्य संकलन है।एक पुस्तक हिंदी [more…]
वादियों के गोशे-गोशे से संवाद करती कश्मीर कोकिला हब्बा खातून और उनके गीत
हब्बा खातून का जीवनकाल 1554 से 1609 तक का था। लगभग यही कार्यकाल मुग़ल बादशाह अकबर का भी था। जिस तरह अकबर की बादशाहत मशहूर [more…]
स्मृति शेष: अपने हाकिम की फ़क़ीरी पर तरस आता है-राहत इंदौरी
राहत इंदौरी बेहद आन-बान और शान वाले शायर थे। पूरे तीन दशक तक मुशायरों में उनकी बादशाहत क़ायम रही। एक दौर था, जब उनका नाम [more…]
मनोज कुमार झा का लेख: कविता राजनीति की आत्मा है, यह हमेशा से संसद का हिस्सा रही है
भारत की संसद के पवित्र हॉल में, जहां कानून बनाये जाते हैं और नियति को आकार दिया जाता है, हमेशा शब्दों का निर्विवाद प्रभाव रहा [more…]
साहित्य अकादमी पुरस्कार: अनामिका, कस्बाई यथार्थ की एक कवयित्री
दरवाजा मैं एक दरवाजा थी मुझे जितना पीटा गया मैं उतना खुलती गई अंदर आए आने वाले तो देखा_ चल रहा है एक वृहद चक्र_ [more…]
बेटी विंकल संधु की नज़रों में पिता पाश
(‘उसके छोटे-छोटे हाथ केक नहीं काट पा रहे थे। वह मोमबत्तियों के पहले जलने और फिर बुझ जाने के दृश्य को देखकर अचंभित थी।’’ उस [more…]
चंद्रकांत देवताले की पुण्यतिथिः ‘हत्यारे सिर्फ मुअत्तिल आज, और घुस गए हैं न्याय की लंबी सुरंग में’
हिंदी साहित्य में साठ के दशक में नई कविता का जो आंदोलन चला, चंद्रकांत देवताले इस आंदोलन के एक प्रमुख कवि थे। गजानन माधव मुक्तिबोध, [more…]
सोचिये लेकिन, आप सोचते ही कहां हो!
अगर दुनिया सेसमाप्त हो जाता धर्मसब तरह का धर्ममेरा भी, आपका भीतो कैसी होती दुनिया न होती तलवार की धारतेज़ और लंबीन बनती बंदूकेनहीं बेवक्त [more…]
इतिहास, कविता और अनुवाद से लेकर प्रशासन बेहद विस्तृत था वीरेंद्र बरनवाल का फलक
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और आधुनिक भारत के राजनीतिक व्यक्तित्वों के गंभीर अध्येता, साहित्यकार-अनुवादक वीरेंद्र कुमार बरनवाल का कल 12 जून को निधन हो गया। वीरेंद्र [more…]
कहीं भी कोई दुःखी नहीं है!
आज कहीं भी कोई दुःखी नहीं है भारत में चतुर्दिक सुख का राज्य है किसान सोने के हल से जोत रहे हैं खेत उनकी आत्म [more…]