Tag: Premchand
प्रेमचंद के बहाने :जाति चक्रव्यूह में फंसा देश
शायद आज़ादी के बाद यह पहला अवसर है जब संसद के भीतर और बाहर देश के जाति -यथार्थ को लेकर माहौल ज़बर्दस्त गर्माया हुआ है। [more…]
प्रलेस स्थापना दिवस: इजराइल के ज़ुल्मों के ख़िलाफ़ फ़िलिस्तीन की खुशहाली के ख़्वाब
इंदौर। प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई ने अपना स्थापना दिवस फिलिस्तीनी जनता के संघर्ष के नाम समर्पित किया। अभिनव कला समाज सभागार में आयोजित [more…]
प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना और प्रेमचंद
9 अप्रैल, प्रगतिशील लेखक संघ का स्थापना दिवस है। साल 1936 में इसी तारीख को लखनऊ के मशहूर ‘रिफ़ाह-ए-आम’ क्लब में प्रगतिशील लेखक संघ का [more…]
आजादी के पहले का भारत समझना है तो प्रेमचंद, आजादी के बाद का भारत समझना है तो परसाई को पढ़ें
इंदौर। आजादी के पहले का हिंदुस्तान समझने के लिए प्रेमचंद को पढ़ना जरूरी है। अंग्रेजों और उनसे पहले मुगलों ने भी भारत को समझने के [more…]
भक्ति आंदोलन में जो जगह कबीर की है, वही प्रेमचंद की भारतीय नवजगारण में है
जिस ऐतिहासिक कार्यसूची के इर्द गिर्द 19वीं 20वीं सदी के भारतीय नवजागरण का नक्शा उभर कर सामने आया था, शायद उसमें मध्यकालीन सरंचनाओं से बंधे [more…]
हिंदी पट्टी के सवर्ण राष्ट्रवाद के चश्में से दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और दक्षिण भारत को न देखें
क्या देश में हिंदुत्व नव-राष्ट्रवाद समग्र भारत का ‘स्थायी भाव व चरित्र’ बन चुका है? क्या हिंदी भारत में राजनैतिक हिंदुत्व उफान को शेष देश का भी हिंदुत्व उफान माना जाना चाहिए? [more…]
प्रेमचंद: किसान-मजदूर और पिछड़े-दलितों के प्रतिनिधि रचनाकार
आज महान कथा सम्राट और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का 143वां जन्मदिन है। महज 56 वर्ष की उम्र में 15 उपन्यास, 300 के लगभग कहानियां, 3 [more…]
पुन्नी सिंह का साहित्य प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाता है- वीरेन्द्र यादव
शिकोहाबाद। उत्तर प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की शिकोहाबाद इकाई ने वरिष्ठ कथाकार पुन्नी सिंह के नये उपन्यास ‘साज कलाई का, राग ज़िंदगी का’ के लोकार्पण [more…]
प्रगतिशील लेखक संघ और उसकी विरासत
साल 1936 में लखनऊ में अज़ीम उपन्यासकार प्रेमचंद की सदारत में एक बड़े जलसे के साथ ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की स्थापना हुई। उसके बाद पूरे [more…]
जयंती पर विशेष: वर्तमान में नहीं रही प्रेमचंद युग की पत्रकारिता
वाराणसी। प्रेमचंद जी कहते हैं कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग [more…]