Thursday, April 25, 2024

Premchand

फटे जूते वाले प्रेमचंद !

प्रेमचंद जब अपनी लेखनी से गुलाम जनता में आज़ादी का मानस जगा रहे थे तब कुबेर का खज़ाना उनके पास नहीं था सत्ता की दी हुई जागीरदारी नहीं थी। यह तथ्य बताता है की साहित्य रचने के लिए धन...

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की दृष्टि में मध्यवर्ग और किसान

सामान्यत: यह माना जाता है कि मध्य वर्ग की किसी भी आंदोलन, क्रांति और विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। मध्यवर्ग का एक हिस्सा शासन का पैरोकार और दूसरा हिस्सा आंदोलनों की आवश्यकता का हिमायती होता है। यह दूसरा...

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की परम्परा एक सामूहिक प्रगतिशील परम्परा थी

जिस प्रेमचन्द के निधन पर उनके मुहल्ले के लोगों ने कहा कि कोई मास्टर था जो मर गया, जिस प्रेमचन्द की  अत्येंष्टि  में दस बारह लोग ही मुश्किल से शामिल हुए थे, वह प्रेमचन्द अपने निधन के 85 साल...

पुण्यतिथिः साहित्य में दलित और स्त्री को विमर्श तक ले आने वाले राजेंद्र यादव विवादों से कभी हारे नहीं

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर दीगर लेखन और विमर्शों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। कथाकार राजेंद्र यादव का...

पुण्यतिथि पर विशेष: बेहद उदात्त शख्सियत के मालिक थे मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचन्द के जीवन और व्यक्तित्व के बारे में जो भी तथ्य मिलते हैं उनसे अन्ततोगत्वा इसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि वे एस असाधारण साधारण इन्सान थे। शायद उनके व्यक्तित्व की इसी खूबी ने उन्हें आम-फहम नजर...

पुण्यतिथिः मुंशी प्रेमचंद मानते थे- किसानों को स्वराज की सबसे ज्यादा जरूरत

हिंदी-उर्दू साहित्य में कथाकार मुंशी प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल कर रख दी। देश में वे ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को रोमांस, तिलिस्म,...

नई शिक्षा नीति, सुल्ताना डाकू और प्रेमचंद में आखिर क्या हो सकता है रिश्ता?

140 वर्ष पूर्व पैदा हुए प्रेमचंद के लेखन और अब घोषित शिक्षा नीति में क्या संगत सम्बन्ध हो सकता है? गांधी के दांडी मार्च (12 मार्च-6 अप्रैल), सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समानांतर प्रेमचंद ने ‘हंस’ के अप्रैल 1930 अंक...

प्रेमचंद के फटे जूते

प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं। कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें चेहरे...

निर्णायक और नेतृत्वकारी भूमिका में रहे हैं प्रेमचंद के स्त्री पात्र

विवादों के कारण ही सही प्रेमचंद का साहित्य फिर से ज़ेरे बहस है। दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य कहा है, लेकिन स्त्री लेखन की ओर से अभी कोई गंभीर सवाल नहीं उठाया गया...

Latest News

सुप्रीम कोर्ट ने कहा चुनाव आयोग पर हमारा नियंत्रण नहीं, ईवीएम वीवीपैट पर फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ईवीएम वीवीपैट केस में फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 24 अप्रैल को कहा कि वह...