शांति की बात अब विद्रोह है: युद्धोन्मादी राष्ट्रवाद का मनोविज्ञान

पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के बाद पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट दिखाई दिया। यह किसी भी देश…

स्पेशल रिपोर्ट: विभागाध्यक्ष बनने से रोकने के लिए जम्मू यूनिवर्सिटी में कर दी गयी दलित प्रोफेसर की संस्थानिक हत्या?

“सब सच है क्योंकि, कहानी ही झूठी है” – आखिर क्या है इन पंक्तियों के मायने जिन्हें अपनी सांस्थानिक हत्या…

सीपीएम नेत्री शैलजा का मैगसेसे को नकारने का फैसला कितना सही?

मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के विचारों में समाजवादी समाज और समाजवादी राज्य के अंगों की जो कटी-छँटी छवियाँ थीं, उन्हें…

डिप्रेशन में देश: समझ कम, इलाज नाकाफी  

यह एक विडम्बना है कि जिस देश की जड़ें तथाकथित आध्यात्मिकता में रहीं हैं, उसके धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान उसे…

निर्णायक और नेतृत्वकारी भूमिका में रहे हैं प्रेमचंद के स्त्री पात्र

विवादों के कारण ही सही प्रेमचंद का साहित्य फिर से ज़ेरे बहस है। दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य…

ताली, थाली, घण्टी और शंखनाद का मनोविज्ञान

बात सिर्फ़ अंधभक्तों की ही नहीं है। अंधभक्तों की आंखों पर तो पट्टियां बंधी ही हुई हैं लेकिन आज राष्ट्रपति,…