Sunday, October 1, 2023

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भक्ति कविता कौशल से नहीं बल्कि आचरण से पैदा हुई कविता है: सदानंद शाही

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आयोजित में ‘भक्तिकाल और भारत का स्वप्न’विषयक एकल व्याख्यान में प्रोफेसर गोपेश्वर सिंह ने कहा कि भक्तिकाल में जो कविताएं रची गईं वे कवि कौशल से लिखी गई कविताएं नहीं हैं,...

रामचरितमानस: साहित्यिक रचना या पौराणिक आख्यानॽ

इसी वर्ष जनवरी के मध्य में बिहार के शिक्षा मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता श्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस संबंधी बयान पर जिस तरह चौतरफा हमला हुआ और उन्हें तरह-तरह की धमकियां दी गयीं, यह बताने के लिए...

बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष: बुद्ध धम्म और भारत में प्रतिरोध की बहुजन-श्रमण प्रगतिशील परंपरा

मार्क्स ने कहा था "अब तक विद्यमान सभी समाजों का लिखित इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है।" यह वर्ग-संघर्ष विचारों के संघर्ष के रूप में भी मुखर रूप से सामने आता है। भारत में वर्ग-संघर्ष ने खुद को वर्ण-संघर्ष...

पेरियार जयंती: सच्ची रामायण का विरोध धार्मिक से कहीं ज्यादा राजनीतिक है

(ई.वी. रामासामी नायकर ‘पेरियार’ (17 सितंबर, 1879—24 दिसंबर, 1973) बीसवीं शताब्दी के महानतम चिंतकों और विचारकों में से एक हैं। उन्हें वाल्तेयर की श्रेणी का दार्शनिक, चिंतक, लेखक और वक्ता माना जाता।‘  भारतीय समाज और भारतीय व्यक्ति का मुकम्मल...

उनके राम और अपने राम

संघ संप्रदाय अपनी यह घोषणा दोहराता रहता है कि अयोध्या में जल्दी ही श्रीराम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। बीच-बीच में यह खबर भी आती रहती है कि अयोध्या के बाहर मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम तेजी...

राष्ट्रवाद के साथ धर्म भी बन गया है धूर्तों के चेहरे का मुखौटा!

जिस किसी ने भी कहा था कि राष्ट्रवाद धूर्तों की आख़िरी पनाहगाह है, उसे उस दूसरी चोर गुफा का अंदाजा नहीं रहा होगा, जिसे धर्म, रिलिजन या मजहब कहते हैं। कहीं कोई इन दोनों का कॉकटेल बनाने की सवाई...

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आरएसएस और भाजपा लोगों को आपस में लड़ा रहे हैं, महिला आरक्षण एक जुमला: अरुंधति रॉय

नई दिल्ली। न्याय, बराबरी, महिला आजादी और अधिकारों को लेकर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) का 9वां अधिवेशन दिल्ली...