कल्पना कीजिए-आप चैटजीपीटी खोलते हैं और अचानक एक नया आइकन दिखता है: “Use More Intelligence”। आप इसे दबाते हैं, और यह नीला हो जाता है। नीला मतलब गहरा, नीला मतलब चिंतनशील। फिर आप कोई प्रश्न डालते हैं, और कुछ नया होता है-यह वास्तव में सोचता है! यह केवल शब्दों की गूंज नहीं दोहराता, यह तर्क करता है, यह जांचता है, यह निष्कर्ष निकालता है। यह AI के विकास में मील का पत्थर है। अब तक चैटबॉट्स केवल उत्तर देने की मशीन थे, लेकिन यह? यह तो चिंतन मनन कर रहा है।
चैटजीपीटी ने नया द्वार खोल दिया है-ऐसा द्वार, जो मशीन को सोचने की ओर ले जाता है। यह बदलाव महज़ फीचर ही नहीं है, बल्कि युगांतकारी संकेत है। क्या यह O1 मॉडल की झलक है? क्या यह सभी मॉडलों में तर्क करने की शक्ति जोड़ने की शुरुआत है? यह स्पष्ट नहीं, लेकिन संकेत बेहद रोमांचक हैं।
अब सवाल उठता है-क्या हम एक और संज्ञानात्मक क्रांति (Cognitive Revolution) के दरवाजे पर खड़े हैं? AI केवल हमारे प्रश्नों का दर्पण बनकर नहीं रहेगा, बल्कि किसी बौद्धिक साथी की तरह तर्क करेगा। यह भाषा का गुलाम नहीं रहेगा, बल्कि विचारों को गढ़ेगा, उनका परीक्षण करेगा, और नई संभावनाओं को जन्म देगा।
कल्पना कीजिए कि आप किसी जटिल दार्शनिक या वैज्ञानिक प्रश्न पर AI से संवाद कर रहे हैं और वह केवल उत्तर नहीं दे रहा, बल्कि आपके साथ बहस कर रहा है, आपकी सोच को चुनौती दे रहा है! यदि यह ट्रेंड आगे बढ़ा, तो हम केवल मशीन से बातें नहीं करेंगे-हम उससे सीखेंगे, उससे प्रेरित होंगे, और शायद… उससे पराजित भी होंगे।
2025 तक, AI हमारे जीवन को ऐसे बदलने जा रही है, जैसे हम कभी सोच भी नहीं सकते थे। AI का जादू सिर्फ उभरती तकनीक नहीं रहेगा, यह हमारी राजनीति, सुरक्षा, नौकरी और यहां तक कि समाज की चेतना तक को चुनौती देगा।
2023 में ChatGPT के आगमन ने जो हलचल मचाई थी, वह 2024 में तेज़ी से बढ़ी, और अब हम ऐसी दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, जिसमें AI हमसे सिर्फ बातचीत नहीं करेगी, बल्कि हमारी ज़िंदगी के हर फैसले में दखल देगी-स्वायत्तता से लेकर आंतरिक संरचनाओं तक।
AI एजेंट्स की जो कल्पना अब तक केवल किताबों और विज्ञान-फिल्मों तक सीमित थी, वह 2025 में हकीकत बनने वाली है। ये AI एजेंट्स न केवल बेतहाशा सवालों का जवाब देंगे, बल्कि खुद से काम करेंगे-ऑटोमेटेड सॉफ़्टवेयर बनाना, हमारी मीटिंग्स और अपॉइंटमेंट्स शेड्यूल करना, और शायद भविष्य में हमारे व्यक्तिगत सचिव बनकर हमारी पूरी दिनचर्या को मैनेज करना।
एंथ्रोपिक द्वारा Cloude नामक AI को कंप्यूटर पर क्लिक करने, टाइप करने और स्क्रॉल करने का जो अधिकार दिया गया, वह बस शुरुआत है। सोचिए, ये एजेंट्स हमारे दिन भर के जटिलतम कामों को कितनी तेजी से और त्रुटिहीन तरीके से कर पाएंगे!
लेकिन क्या होगा जब AI इन कामों में गलती करेगा, और यह गलती हमारी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी को नुकसान पहुंचा दे? तब इसके परिणामों से बचने के लिए हम क्या करेंगे?
अभी तक यह केवल तकनीकी बदलाव जैसा लग सकता है, लेकिन क्या यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का नया मोर्चा नहीं बनेगा? AI अब केवल डेटा प्रोसेसिंग और कार्यों को स्वचालित करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय शक्ति संघर्ष का केंद्र बन जाएगा।
अमेरिका और चीन के बीच AI को लेकर चल रही जंग इस स्तर तक पहुंच चुकी है कि अब यह महज़ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा नहीं रही, बल्कि यह पूरी दुनिया की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली गंभीर रणनीति बन गई है।
अमेरिका ने चीन के चिप्स तक पहुंच को रोककर अपनी तकनीकी श्रेष्ठता बनाए रखी है, जबकि कंपनियां जैसे Meta और Anthropic, अपनी AI तकनीकें अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को सौंप रही हैं। क्या आपको लगता है कि आने वाले वक्त में AI शक्ति के नए महासंघों का निर्माण करेगा? या यह केवल एक और कड़ी प्रतिस्पर्धा का रूप लेगा?
सरकारें इस तेजी से बढ़ते AI के विकास को नियंत्रित करने के लिए क़ानून बना रही हैं, लेकिन क्या वे वाकई इसे संभाल पाएंगी? यूरोपीय संघ ने AI पर कानून बनाने की दिशा में सबसे पहले कदम उठाया है, लेकिन क्या यह वैश्विक स्तर पर प्रभावी हो पाएगा? अमेरिका में कानून तो बने हैं, लेकिन यह बहुत धीमी गति से हो रहा है।
और जहां AI का उपयोग भविष्य में वैश्विक प्रतिस्पर्धा और कूटनीतिक संघर्षों का कारण बन सकता है, वहीं अगर यह सही तरीके से नियंत्रित नहीं हुआ, तो यह मानवता के लिए खतरनाक शक्ति बन सकता है।
AI का अगला धमाका निवेश के मोर्चे पर होगा। आज से कुछ साल पहले तक AI सिर्फ संभावित तकनीक थी, लेकिन अब अरबों डॉलर इसमें डाले जा चुके हैं।
कंपनियां अब यह साबित करने के लिए दबाव महसूस करेंगी कि इन निवेशों का वास्तविक रूप में क्या लाभ हुआ। खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में, AI का फायदा साफ दिख रहा है-नए डायग्नोस्टिक उपकरण और दवाइयों के प्रभाव का मॉनिटरिंग सिस्टम।
फिर आता है AI का वीडियो निर्माण, जो 2025 में सच्चे अर्थों में ‘वायरल’ हो जाएगा। OpenAI और Google ने दिसंबर 2024 में जो वीडियो मॉडल पेश किए, वे AI द्वारा बनाए गए यथार्थवादी वीडियो की नई दुनिया खोल रहे हैं।
अब, स्मार्ट चश्मों के माध्यम से AI, आपके आसपास की दुनिया का वीडियो बनाकर उसे समझेगा और आपको असल समय में सही दिशा दिखाएगा-जैसे बाइक की मरम्मत के दौरान आपके हर कदम की गाइडलाइन। यह केवल कल्पना नहीं, बल्कि वह भविष्य है जहां AI वास्तविक समय में मानव कार्यों को समझकर उन्हें बेहतर बना देगा।
2025, ऐसी दुनिया में कदम रखने का वर्ष होगा, जहां AI हमारी सोच, समझ और दुनिया को नई दिशा में बदल देगा। यह दुनिया जितनी रोमांचक होगी, उतनी ही खतरनाक भी।
AI के साथ उठने वाली संभावनाएं और चुनौतियां हमारे अस्तित्व पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न छोड़ जाएंगी। क्या हम इस तकनीकी विशालकाय शक्ति का उपयोग जिम्मेदारी से करेंगे, या यह हमें उसी क्षण में नष्ट कर देगी, जब हम इसे अपने सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू करेंगे?
(मनोज अभिज्ञान स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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