गुजरात दंगे में व्यापक साजिश का कोई साक्ष्य नहीं:एसआईटी

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गुजरात दंगे मामले में एसआईटी ने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और अन्य को क्लीन चिट दी थी। इस आदेश के खिलाफ जाकिया जाफरी की अर्जी पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में एसआईटी ने कहा कि गुजरात दंगे में व्यापक साजिश का कोई साक्ष्य नहीं है। एसआईटी ने दलील दी कि दंगे को राज्य द्वारा प्रायोजित बताने का याची द्वारा जो दावा किया जा रहा है वह दुर्भावना से प्रेरित है। एसआईटी ने कहा कि राज्य प्रायोजित बताने के पीछे मकसद, मामले को हमेशा गर्म रखना है।

जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच के सामने एसआईटी की ओर से दलील दी गई कि जाकिया जाफरी ने व्यापक साजिश का जो आरोप लगाया था उसके तहत शिकायत एफआईआर में नहीं बदली गई थी क्योंकि हाई कोर्ट ने एसआईटी से कहा था कि वह मामले में गौर करे और फिर कानून के तहत कार्रवाई करे।

एसआईटी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जाकिया जाफरी ने जो विरोध अर्जी दाखिल की है, उसे शिकायत माने जाने को कहा गया है। लेकिन हमारी दलील है कि 20 साल बाद इसे शिकायत क्यों माना जाए। इस मामले को आप (जाकिया) गर्म रखना चाहती हैं क्या? यह सब दुर्भावनापूर्ण संकेत हैं। सुप्रीम कोर्ट में रोहतगी ने दलील दी कि इस मामले को इसलिए राज्य प्रायोजित बताया जा रहा है ताकि मामले को गर्म रखा जा सके। सुनवाई जारी है। अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में एसआईटी ने कहा था कि इस मामले में गहन छानबीन हुई और मामले में किसी को बचाया नहीं गया। सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी की ओर से मुकुल रोहतगी पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि किसी को नहीं बचाया गया और पूरी छानबीन गहन तरीके से हुई है। छानबीन पूरी दक्षता से की गई।

दंगे के दौरान मारे गए एहसास जाफरी की पत्नी का आरोप है कि इस मामले में व्यापक साजिश की गई थी। जाकिया जाफरी की ओर से उच्चतम न्यायालय में दलील दी गई थी कि गुजरात दंगे में हिंसा को एक योजना के तहत अंजाम दिया गया था और यह बात दस्तावेजों से जाहिर होता है। कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की दंगे में मौत हो गई थी। उनकी पत्नी जाकिया ने एसआईटी की क्लीन चिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।

इसके पहले जाकिया जाफरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि साबरमती एक्सप्रेस की घटना के बाद जो हुआ वह ‘‘राष्ट्रीय त्रासदी’’ की तरह था। सिब्बल ने कहा कि मैं संविधान को देख रहा हूं और खुद से कह रहा हूं, हमारे सिस्टम में कानून के राज के तहत क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है और अगर इसकी अनुमति दी जा रही है तो हमारी रक्षा कौन करेगा?’’

कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां कानून की महिमा गंभीर रूप से तार-तार  हुई है। गोधरा की 2002 की घटनाओं और उसके बाद के दंगों को राष्ट्रीय त्रासदी बताते हुए सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता इस बात से चिंतित है कि कानून की महिमा ऐसे मुद्दों से कैसे निपटेगी जब लोग जानवरों की तरह व्यवहार करते हैं।

अहमदाबाद में 28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में हिंसा के दौरान मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती दे रखी है। जाफरी द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री का जिक्र करते हुए सिब्बल ने पीठ से कहा कि ये हत्या या की गई हिंसा के किसी एक व्यक्तिगत मामले से संबंधित नहीं है। यह ऐसी हिंसा है जिसे सोच-समझकर अंजाम दिया गया था और दस्तावेजों से इसका पता चलता है।

सिब्बल ने कहा कि ये दस्तावेज आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा हैं और विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इन पहलुओं की जांच ही नहीं की। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता किसी विशेष व्यक्ति का जिक्र नहीं कर रही और न ही किसी के खिलाफ मुकदमा चलाने की उनकी इच्छा है। सिब्बल ने कहा, ‘‘यह मुद्दा व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के मुद्दे से बहुत व्यापक है। यह इस देश की राजनीति से संबंधित है।

यह उस तौर-तरीके से संबंधित है जिसमें संस्थानों को राष्ट्रीय आपातकाल में कार्य करना होता है। यह एक राष्ट्रीय आपातकाल था। साबरमती (ट्रेन) में जो हुआ, वह राष्ट्रीय आपातकाल था।’ साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को गोधरा में जला दिया गया था, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी और इसके बाद 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे।

सिब्बल ने कहा कि साबरमती एक्सप्रेस की घटना के बाद जो हुआ वह राष्ट्रीय त्रासदी की तरह था। संविधान को देख रहा हूं और खुद से कह रहा हूं, हमारे सिस्टम में कानून के राज के तहत क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है और अगर इसकी अनुमति दी जा रही है तो हमारी रक्षा कौन करेगा?सिब्बल ने कहा कि विशेष जांच दल ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध कई पहलुओं और सामग्रियों की जांच नहीं की थी और निचली अदालत ने भी इस पर गौर नहीं किया। उन्होंने कहा कि शायद ही किसी के पास साजिश का प्रत्यक्ष सबूत हो सकता है और यह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है जो जांच होने पर ही सामने आएगा।

उन्होंने कहा कि यदि आप जांच नहीं करते हैं तो आप कभी भी परिस्थितियों का पता नहीं लगा पाएंगे और आप कभी भी साजिश का पता नहीं लगा पाएंगे।’’ सिब्बल ने अपनी दलील में यहां साजिश स्थापित करने के लिए नहीं हूं। यह मेरा काम नहीं है। यह एसआईटी का काम है।सिब्बल ने कहा कि मेरी शिकायत यह है कि उन्होंने इसकी जांच नहीं की।’’ सिब्बल ने अपनी दलील यह कहते हुए समाप्त की, गणतंत्र एक जहाज की तरह है, इसे स्थिर बनाना होगा और जहाज केवल तभी स्थिर रहेगा जब कानून की महिमा कायम रहे।

गोधरा ट्रेन की घटना के एक दिन बाद हुई हिंसा में मारे गए 68 लोगों में पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। एसआईटी ने 8 फरवरी, 2012 को मोदी (अब प्रधान मंत्री), और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य कोई सबूत नहीं है। जाकिया जाफरी ने 2018 में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर गुजरात उच्च न्यायालय के 5 अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी)

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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