नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दिल्ली में रिहाई के बाद कहा कि, ‘आज भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है’। बनर्जी और पार्टी के अन्य नेता केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय कार्यालय में 3 अक्टूबर को केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ धरना दे रहे थे तब उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। उसके कुछ घंटों बाद पुलिस ने मंगलवार रात उन्हें रिहा कर दिया।
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मंगलवार की घटना ‘न्यू इंडिया’ के उदाहरण के रूप में खड़ी होगी क्योंकि दिल्ली पुलिस की ओर से ‘जन प्रतिनिधियों को घसीटा गया और उनके साथ दुर्व्यवहार’ किया गया, साथ ही सरकार से सवाल करने वाले पत्रकारों पर आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया।
यह घटनाक्रम तब हुआ जब राज्य को धन जारी करने को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच रस्साकशी तेज हो गई और टीएमसी ने लगातार दूसरे दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले वे महात्मा गांधी की जयंती पर राजघाट पर दो घंटे तक धरना देते रहे। उसके एक दिन बाद बनर्जी ने पार्टी विधायकों, राज्य के मंत्रियों, मनरेगा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
बाद में उन्होंने कृषि भवन स्थित ग्रामीण विकास मंत्रालय तक मार्च निकाला, जहां उनकी राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से मुलाकात हुई। हालांकि, भवन में जाने के लगभग डेढ़ घंटे बाद, टीएमसी नेताओं ने दावा किया कि राज्यमंत्री ने यह कहते हुए उनसे मिलने से इनकार कर दिया कि वह पांच से अधिक प्रतिनिधियों से नहीं मिलेंगी। टीएमसी नेता ने तब तक जाने से इनकार कर दिया जब तक कि राज्यमंत्री उनसे नहीं मिलीं। वे अपने साथ प्रधानमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री को संबोधित पत्रों के बंडल अपने साथ लाए थे।
अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी नेताओं का एक समूह धरने पर बैठ गया, जो रात करीब 9 बजे तक जारी रहा। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया और मंत्रालय परिसर से बाहर निकाल दिया। बनर्जी ने कहा कि टीएमसी नेताओं और सरकारी योजना के लाभार्थियों समेत करीब 40 लोग ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से मिलने गए थे, लेकिन वह उनसे नहीं मिलीं।
पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर से टीएमसी सांसद ने दावा किया कि मंत्री शाम 6 बजे उनसे मिलने के लिए सहमत हुईं थी। उन्होंने कहा, ‘वह भाजपा नेताओं से मिलीं लेकिन हमें इंतजार कराया। रात साढ़े आठ बजे वह पिछले दरवाजे से चली गईं।’ उन्होंने कहा कि केंद्र को उस घोटाले से संबंधित ‘कागजात’ उपलब्ध कराने चाहिए, जिस पर उन्होंने आरोप लगाया है।
इसके तुरंत बाद मीडिया को संबोधित करते हुए टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा, “आप (भाजपा) बंगाल के लोगों के अधिकार छीन रहे हैं क्योंकि आप राज्य में हार गए हैं। भाजपा बंगाल में सभी चुनाव हार गई है, इसलिए उन्होंने लोगों का पैसा रोक दिया है।” उन्होंने कहा कि “राजभवन में भाजपा के जमींदार को नामांकित किया जाता है।”
बनर्जी ने दिल्ली पुलिस पर महिलाओं सहित निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “एक सांसद को लाखों लोगों द्वारा चुना जाता है। लेकिन जिस तरह से दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने आज व्यवहार किया, सांसदों को उनके बाल खींचकर बाहर निकाला गया। उन्हें घसीटा गया और उनके साथ मारपीट की गई। महुआ मोइत्रा, डोला सेन को जिस तरह से उनके हाथ-पैर पकड़कर पुलिस वैन में खींचा गया, लोग इसका जवाब देंगे।”
अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा, “अगले छह महीने में लोग आपको सबक सिखाएंगे। देश की जनता अपनी ताकत का इस्तेमाल करेगी और आज की घटना काला दिन बनकर रहेगी। यहां तक कि अंग्रेजों ने भी इतना बुरा व्यवहार नहीं किया जितना आज दिल्ली पुलिस ने किया।”
उन्होंने बीजेपी सरकार पर कई आरोप लगाते हुए कहा कि, “पत्रकारों पर कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं, जन प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है, भ्रष्ट लोगों को शामिल किया जा रहा है और उनके पाप धोए जा रहे हैं, बिलकिस बानो के बलात्कारियों को सम्मानित किया जा रहा है।”
टीएमसी महासचिव ने 5 अक्टूबर को कोलकाता में ‘राजभवन चलो’ मार्च की भी घोषणा की। बनर्जी ने कहा, “लोकतंत्र के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करने वाले भाजपा नेता आज चुप हैं। हम 50 लाख पत्रों को अपने साथ राजभवन ले जाएंगे। राज्यपाल को अब हमें जवाब देना होगा। हम हर पत्र का जवाब चाहते हैं।”