Saturday, April 20, 2024

अमेरिकी कम्पनी एम वे की 757 करोड़ की संपत्ति ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग में जब्त की

एमवे इंडिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने कंपनी की 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। एमवे इंडिया पर मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कैम चलाने का आरोप है।  जो संपत्तियां जब्त की गई हैं, उनमें तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में कंपनी की जमीन, फैक्ट्री, प्लांट्स व मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और एफडी शामिल हैं। ईडी ने एमवे की 411.83 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्ति जब्त की है। इसके अलावा 36 विभिन्न खातों से 345.94 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।हालांकि भारत और वैश्विक बाजार में एम वे की तरह और भी कम्पनियां सक्रिय हैं जो इस तरह के कारोबार में सक्रिय हैं।

अपनी कथित पिरामिड स्कीम प्रैक्टिसेज के लिए एमवे के खिलाफ कई देशों में और कई संस्थानों द्वारा जांच की गई है। लेकिन इसे कभी भी दोषी करार नहीं दिया गया। हालांकि कंपनी अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों को सेटल करने के लिए करोड़ों डॉलर का भुगतान कर चुकी है। आइए जानते हैं एमवे कहां की कंपनी है, इसकी शुरुआत कैसे हुई और भारत में इसने कब कदम रखा।

एमवे और विवादों का पुराना नाता है। कंपनी पर विभिन्न देशों में कई बार मुकदमे और जांच चले। कभी पिरामिड स्कीम को लेकर, कभी टैक्स फ्रॉड को लेकर, डिरेगुलेशन के लिए लॉबीइंग को लेकर, कभी नियमों के उल्लंघन को लेकर आदि। भारत में भी एमवे कई बार विवादों में रही और पुलिस की रेड, सर्च व सीजर जैसे ऑपरेशन चले। मई 2013 में एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज के तत्कालीन एमडी व सीईओ विलियम एस पिनकने को केरल पुलिस के क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने दो अन्य निदेशकों के साथ गिरफ्तार भी किया था। उन पर पिरामिड स्कीम चलाने का आरोप था, हालांकि उन्हें अगले ही दिन जमानत मिल गई और कारोबार प्रभावित नहीं हुआ। इसके बाद एक बार फिर एक कंज्यूमर की शिकायत पर पिनकने गिरफ्तार हुए और उन्हें दो महीने की जेल हुई। उसके बाद वह जमानत पर रिहा हो गए।

एमवे अमेरिका की कंपनी है, जिसका पूरा नाम ‘अमेरिकन वे’ है। एमवे एक मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी है, जो हेल्थ, ब्यूटी व होम केयर प्रॉडक्ट्स बेचती है। एमवे को साल 1959 में शुरू किया गया था। कंपनी का हेडक्वार्टर ऐडा, मिशीगन में है। एमवे और इसकी सिस्टर कंपनी ऐल्तिकार ने साल 2019 में 8.4 अरब डॉलर की बिक्री की थी। एमवे 100 से ज्यादा देशों व टेरिटेरीज में एफिलिएटेड कंपनियों के जरिए कारोबार करती है। भारत में यह एमवे इंडिया के जरिए मौजूद है।

जे वान ऐंडेलऔर रिचर्ड डेवोस स्कूल टाइम से दोस्त थे। उन्होंने कई छोटे-मोटे बिजनेस भी साथ में किए, जैसे कि हैमबर्गर स्टैंड, एयर चार्टर सर्विस आदि। 1949 में वैन एंडेल के कजिन ने उनकी पहचान न्यूट्रिलाइट प्रॉडक्ट कॉरपोरेशन से कराई। इसके बाद एंडेल और डेवोस न्यूट्रिलाइट फूड सप्लिमेंट्स के डिस्ट्रीब्यूटर बन गए। बेचे जाने वाले हर प्रॉडक्ट पर प्रॉफिट बढ़ाने के लिए न्यूट्रिलाइट, मौजूदा डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा जोड़े जाने वाले नए डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा की जाने वाली बिक्री पर कमीशन की पेशकश करती थी। यह सिस्टम मल्टी लेवल मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग के तौर पर जाना जाता है। 1958 आते-आते डेवोस और वैन एंडेल ने 5000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स का ऑर्गेनाइजेशन क्रिएट कर लिया। इसके बाद अप्रैल 1959 में उन्होंने व उनके कुछ टॉप डिस्ट्रीब्यूटर्स ने न्यूट्रिलाइट की स्टेबिलिटी को लेकर पैदा हो रही चिंताओं को देखते हुए एमवे का गठन किया। इसके पीछे एक मकसद मार्केट में अतिरिक्त प्रॉडक्ट्स की संभावनाएं तलाशना भी था।

एमवे के पहले प्रॉडक्ट का नाम फ्रिस्क था जो कि एक ऑर्गेनिक क्लीनर था और इसे ओहियो के एक वैज्ञानिक ने बनाया था। डेवोस और वैन एंडेल ने इसे मैन्युफैक्चर करने और डिस्ट्रीब्यूट करने के अधिकार खरीद लिए थे। बाद में इस प्रॉडक्ट का नाम लिक्विड ऑर्गेनिक क्लीनर कर दिया गया। इसके बाद जल्द ही उन्होंने एमवे सेल्स कॉरपोरेशन और एमवे सर्विसेज कॉरपोरेशन की स्थापना की। 1960 में एमवे ने एटको मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी ले ली और इसका नाम बदलकर एमवे मैन्युफैक्चरिंग कॉरपारेशन कर दिया। 1962 में कंपनी ने कनाडा में पहला इंटरनेशनल कार्यालय खोला। 1964 में एमवे सेल्स, एमवे सर्विसेज और एमवे मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन को मर्ज करके एमवे कॉरपोरेशन बनाई गई। एमवे ने न्यूट्रिलाइट में 1972 में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदे और 1994 में फुल ओनरशिप की मालिक हो गई। 2015 में एमवे ने एक्सएस एनर्जी ड्रिंक्स को खरीद लिया।

भारत, एमवे के टॉप 10 बाजारों में शामिल है। एमवे की चीन, भारत और अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं, वहीं ब्राजील, मैक्सिको और अमेरिका में न्यूट्रिलाइट ऑर्गेनिक फार्म हैं। 

ईडी ने एमवे पर एक मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कैम का आरोप लगाया, जहां देखा गया कि कंपनी द्वारा पेश किए गए अधिकांश प्रोडक्ट्स की कीमत खुले बाजार में उपलब्ध प्रतिष्ठित निर्माताओं के वैकल्पिक लोकप्रिय उत्पादों की तुलना में अधिक थी।कंपनी के खिलाफ ‘पिरामिड फ्रॉड’ करने का आरोप है।कंपनी के खिलाफ जांच में खुलासा हुआ है कि एमवे डायरेक्ट सेलिंग मल्टीलेवल मार्केटिंग नेटवर्किंग की आड़ में ‘पिरामिड फ्रॉड’ चला रहा है। इसके तहत इस वादे के साथ मेंबर्स जोड़े जाते थे कि उनके बाद जुड़ने वाले सदस्यों के जरिए उन्हें कमाई होगी और वे अमीर हो जाएंगे। हैदराबाद पुलिस ने साल 2011 में कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसके तहत ईडी ने कार्रवाई की है।

ईडी ने कहा कि आम लोगों को कंपनी का सदस्य बनाया जाता था और उसके बदले में मोटी फीस वसूली जाती थी, उन्हें मुनाफे का लालच देकर कंपनी के उत्पादों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इस तरह से आम लोग अपनी मेहनत की कमाई एमवे में गंवा रहे थे, जबकि शीर्ष पर बैठे लोग लगातार अमीर हो रहे थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।