सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जा करने वाले गोडसेवादी हैं: रामधीरज

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वाराणसी। विनोबा भावे एवं लोकनायक जय प्रकाश नारायण द्वारा 60 वर्ष पूर्व स्थापित सर्व सेवा संघ परिसर, राजघाट पर पुलिस-प्रशासन के कब्जे के विरोध में गांधीवादियों के नेतृत्व में वाराणसी की जनता सड़क पर उतर कर प्रतिरोध दर्ज करा रही है। मंगलवार, 25 जुलाई को वरुणा नदी के किनारे शास्त्रीघाट पर एक प्रतिवाद सभा का आयोजन किया गया। तेज धूप और भारी उमस के बीच भारी हुजूम में से कुछ लोग काला छाता भी लेकर आए थे। यह छाता एक तरफ धूप से बचने के लिए था, तो दूसरी तरफ विरोध का प्रतीक भी। सभा में हर कोई जेपी-विनोबा के साधनास्थल सर्व सेवा संघ परिसर के बलात कब्जा से शर्मिंदा था। सभा में भारी संख्या में वाराणसी के राजनीतिक तथा सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। सभा में शासन-प्रशासन के इस अनैतिक कृत्य के विरोध में अंतिम दम तक संघर्ष का निर्णय किया गया।

सभा में वक्ताओं ने प्रशासन और रेलवे द्वारा परिसर से लोगों को अमानवीय तरीके से बाहर किये जाने की कार्यवाही को गुंडागर्दी, अन्यायपूर्ण और विधि विरुद्ध बताया। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि “परिसर को जबरिया खाली कराने की कार्यवाही न्यायालय की अवमानना है क्योंकि मामले की सुनवाई न्यायालय में लंबित है, उन्होंने आगे कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से अपना पक्ष रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को शांति भंग की धारा में चालान कर जेल भेजने की कार्रवाई प्रशासन की हताशा है।”

शास्त्री घाट पर प्रतिवाद सभा

सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट के संयोजक राम धीरज ने कहा कि “विगत शनिवार को प्रातः 7 बजे रेलवे और जिला प्रशासन के अधिकारी सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल और नशे में धुत सफाईकर्मियों को लेकर बिना किसी आदेश या नोटिस के परिसर में आ गये और जबरिया क्रूरतापूर्वक सभी 30 आवासों से लोगों का सामान बाहर फेंकवा दिए। लोगों के कीमती सामान नष्ट हो गए। सर्व सेवा संघ प्रकाशन की करोड़ों रुपये मूल्य की किताबें बाहर खुले में बारिश में भीगने के लिए फेंक दी गयी, जिनमें बहुत सी पुस्तकें दुर्लभतम हैं। हजारों पुस्तकें खराब हो गईं। पुलिस प्रशासन और रेलवे की इस बर्बर कार्यवाही के दौरान किसी को भी बाहर से आने या बाहर जाने पर रोक लगा दी गयी थी और परिसर की बिजली भी काट दी गयी थी, मीडिया का भी प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। परिसर के सीसी कैमरों को पुलिस वालों ने तोड़ दिया। प्रशासन द्वारा यह कृत्य अलोकतांत्रिक और अवैधानिक कहा जायेगा। इस कृत्य को करने वाले अधिकारी प्रशासनिक गोडसे हैं।”

शास्त्री घाट पर प्रतिवाद सभा के बाद कचहरी तक मार्च

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार गांधी विनोबा और जेपी के विचारों से डरती है और उनसे जुड़े स्मारकों और पुस्तकों को नष्ट करने पर आमादा है। जबकि ये विचार दुनिया के कोने कोने में स्वीकार्य हो चुके हैं। सभा के क्रम में पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा ने भी घटना पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि “हमें ऐसी घटनाओं का प्रबल विरोध दर्ज कराना ही होगा नहीं तो सत्ता निरंकुश होती जाएगी।”

इस क्रम में अफ़लातून ने कहा कि “सर्व सेवा संघ की जमीन को कब्जा करने के लिए मोदी सरकार के इशारे पर रेलवे और वाराणसी के जिलाधिकारी ने धोखाधड़ी की है। सत्य और तथ्य को नजरंदाज करके गांधीजनों को सर्व सेवा संघ से निकाल दिया। रेलवे और जिला प्रशासन नियम-कानून की बात करता है। सर्व सेवा संघ के जमीन के कागजात को कूटरचित बताया, लेकिन अब रेलवे ही कूटरचित दस्तावेज तैयार कर रहा है।”

धूप से बचने और विरोध के प्रतीक के रूप में काला छाता

प्रतिवाद सभा के बाद शास्त्री घाट से कचहरी तक प्रतिरोध मार्च निकाला गया। और जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन दिया जिसमें प्रमुखता से मांग की गयी कि मामले को संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति महोदया तत्काल हस्तक्षेप करें और राष्ट्रीय महत्व की इस संस्था को बर्बाद करने की सम्बन्धित विभागों की गतिविधि पर अंकुश लगायें।

सभा को प्रमुख रूप से रामबेटी, राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, दिनेश सिंह, राजेन्द्र मिश्र, जागृति राही, प्रजानाथ शर्मा, फादर आनंद, देवेंद्र भाई, अरविंद सिंह, अरुण श्रीवास्तव, वीरेंद्र यादव, संजीव सिंह, विनय शंकर राय मुन्ना, सलमान, आदि ने भी संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता आशा बहन, संचालन नंदलाल मास्टर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ नीति भाई ने किया।

प्रतिवाद मार्च में महिलाएं

सर्व सेवा संघ को सामाजिक-राजनीतिक संगठनों का समर्थन

वाराणसी जिला प्रशासन और रेलवे के बर्बरापूर्वक कार्रवाई के विरोध में सर्व सेवा संघ को विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने मंगलवार को शास्त्री घाट पर आकर समर्थन दिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से लोक समिति, लोक चेतना समिति, सर्वोदय मंडल, साझा संस्कृति मंच, लीला फाउंडेशन, महिला चेतना समिति, दखल संगठन, आशा परिवार, मनरेगा मजदूर यूनियन, खदान मजदूर संगठन, आदिवासी बनवासी कल्याण, समिति, पूर्वांचल किसान यूनियन, गोंडवाना पार्टी, समाजवादी जन परिषद, प्रेरणा कला मंच, केयर फ़ॉर एयर, जन विकास समिति, कांग्रेस, खेती बचाओ संघर्ष समिति, आम आदमी पार्टी, कम्युनिस्ट फ्रंट, समाजवादी पार्टी, संयुक्त किसान मोर्चा, अपना दल कमेरावादी, प्रबोधिनी फाउंडेशन, संगतिन किसान मजदूर संगठन, आदि के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही। जिसमें अरविंद सिंह, सलमा किन्नर, मनीष शर्मा, अनूप श्रमिक, धनन्जय, राजकुमार गुप्ता, हौशला यादव, फादर जयंत, एकता सिंह, सानिया अनवर, सतीश चौहान, इंदू पाण्डेय, सुरेश राठौर, एकता सिंह, वल्लभाचार्य पांडेय, महेंद्र राठोर, अपर्णा, चौधरी राजेन्द्र, रामजी यादव, रंजू सिंह, हरिराम बनवासी, अरविंद अंजुम, राजकुमार भारत, फादर दयाकर, जगन्नाथ कुशवाहा सहित सैकड़ों लोगों की उपस्थिति रही।

(वाराणसी से प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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