मेहसाणा। मुसलमानों से घृणा का जो वातावरण खड़ा किया गया है, उसका असर अब स्कूल-कॉलेज के बच्चों ही नहीं आचार्य और संचालकों पर भी दिख रहा है। मेहसाणा जिले की एक तहसील खेरालू है। इसी तहसील के लुड़वा गांव में के.टी. पटेल स्मृति विद्या विहार है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्कूल ने दसवीं में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने का कार्यक्रम रखा था। अरजना सरवर खान ने अपने स्कूल में दसवीं की परीक्षा में सबसे अधिक नंबर लाकर स्कूल टॉप किया था। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्कूल द्वारा इस छात्रा का सम्मान होना था। लेकिन स्कूल संचालकों ने पहले नंबर पर आई छात्रा का नाम हटा कर दूसरे नंबर पर आई हिंदू छात्रा को टॉपर बताकर उसका सम्मान कर दिया।
स्कूल के सभी लोग जानते थे कि अरजना टॉपर है और उसको सम्मानित किया जाएगा। लेकिन सम्मानित करना तो दूर वास्तविक टॉपर का सम्मान समारोह में नाम भी नहीं लिया गया। आहत छात्रा रोते-रोते अपने पिता के पास गई और स्कूल द्वारा किए गए कृत्य के बारे में बताया तो पिता स्कूल के प्रिंसिपल के पास गए और पूछा मेरी बेटी ने स्कूल में टॉप किया और आपने दूसरे नंबर की छात्रा को सम्मानित कर दिया। अपने टॉपर का नाम लेना भी ठीक नहीं समझा।
इसके जवाब में स्कूल संचालक बिपिन पटेल ने गोल गोल बातें करते हुए कहा कि ‘2024 को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में 1 ईनाम के बजाय 10 इनाम दे देंगे’। पिता सरवर खान ने स्कूल संचालक को कहा ‘हमें ईनाम नहीं चाहिए। यदि हमारी बेटी के नाम का ऐलान स्कूल समारोह में होता तो हमें गौरव होता’। इस कृत्य के बारे में जब ‘जनचौक’ ने स्कूल संचालक से फोन पर बात करने की कोशिश की तो फोन उनकी पत्नी उठाती हैं, जिनका जवाब होता है- ‘उन्हें इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करनी है’।
सोशल मीडिया पर लोग अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं। लोग स्कूल द्वारा किए गए इस कृत्य की निंदा कर रहे हैं। Humanism and Rational Thinking के रमेश सवानी ने कहा “यह कृत्य गोडसेवादी सोच के तहत इरादा पूर्वक किया गया है। स्कूल में बच्चों को सिखाया जाता है- भारत मेरा देश है, सभी भारतीय मेरे भाई बहन हैं। मैं अपने माता पिता, गुरु और बड़ों का आदर करूंगा। लेकिन के.टी. स्मृति विद्यालय में क्या सिखाया जा रहा है। लोगों के दिमाग़ में नफरत डाली जा रही है। जो देश को विनाश की ओर ले जा रहा है।”
जमावट मीडिया के संस्थापक देवांशी जोशी ने कहा कि “अरजना मामले में संचालक या प्रिंसिपल भले ही कुछ न बोल रहे हों लेकिन सबको पता है उन्होंने अरजना को मुस्लिम होने की वजह से सम्मानित नहीं किया, क्योंकि स्कूल संचालकों में मुसलमानों से नफरत भरी हुई है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके खिलाफ सभी को बोलना चाहिए।”
सामाजिक कार्यकर्ता नदीम शेख़ ने कहा “अरजना को स्कूल भले ही सम्मानित नहीं किया लेकिन अरजना और उसके परिवार के साथ पूरा गुजरात खड़ा है। स्कूल की इस ओछी सोच के खिलाफ गुजरात ही नहीं देश से आवाज़ उठ रही है। अरजना का सम्मान अब बढ़ गया है।”
सामाजिक कार्यकर्ता आबेदा पठान ने कहा “दसवीं में स्कूल टॉप करने वाली अरजना यदि कल आईएएस या आईपीएस होकर मेहसाणा की कलेक्टर या एसपी बनकर आती है तो यही संचालक अरजना से आंख कैसे मिलाएंगे। स्कूल संचालक ने जो किया निंदनीय है। संचालकों को माफी मांगनी चाहिए।”
(गुजरात के मेहसाणा से कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)
भेद भाव बढ़ता जा रहा है , इस नफ़रती दौर की वजह से जिसे बडावा दिया जा रहा है !