19 सितंबर रविवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या से मुलाकात करने के 24 घंटे के भीतर आज शाम प्रयागराज के लेटे हनुमान मंदिर के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में लाश मिली है। उनका शव अल्लापुर में बाघम्बरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटका मिला है।
महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु पर उनके शिष्य आनंद गिरि, ने आरोप लगाते हुये कहा है कि “ उनकी हत्या करवायी गयी है। इसमें भूमाफिया शामिल हैं। पुलिस अधिकारी भी साजिश में शामिल हैं।”
प्रयागराज आईजी केपी सिंह ने बयान देकर मीडिया को बताया है कि “हमें आश्रम से फोन आया कि महाराज(महंत नरेंद्र गिरि) फंदे से लटक गए हैं। जब हम यहां आए तो देखा कि महाराज ज़मीन पर लेटे हुए थे। रस्सी पंखे में फंसी हुई थी। उनकी मृत्यु हो चुकी थी।”
आईजी ने आगे कहा है कि “प्रथम दृष्ट्या ये सुसाइड का मामला लग रहा है। उनका(महंत नरेंद्र गिरि) सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि मैं बहुत से कारणों से दुखी था इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं। मामले में जांच जारी है। “
इस साल मार्च में आयोजित हुये हरिद्वार कुंभ में महंत नरेंद्र गिरि कोरोना संक्रमित भी हो गए थे। कहा जा रहा है कि वह काफ़ी दिनों से तनाव में थे। बता दें कि महंत आनंद गिरि राममंदिर आंदोलन से जुड़े हुए थे। उन्होंने मंदिर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। महंत नरेंद्र गिरि को अक्टूबर 2019 में हुई 13 अखाड़ों की बैठक में दोबारा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिये बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी प्रबुद्ध (ब्राह्मण) सम्मेलन करवा रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ठाकुरवादी रवैये से नाराज़ ब्राह्मण समुदाय का झुकाव इस चुनाव में बसपा की ओर होने के आसार नज़र आ रहे हैं। यह बात भाजपा खेमे के लिये परेशानी वाली है। वहीं महंत नरेंद्र गिरि लगातार बहुजन समाज पार्टी के प्रबुद्ध सम्मेलन पर निशाना साधकर भाजपा का काम आसान करने में लगे हुये थे।
उन्होंने हाल ही में कहा था कि तिलक, तराजू और तलवार… का नारा देने वाली पार्टी सियासी फायदे के लिए ब्राह्मण सम्मेलन कर रही है। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से सवाल किया था कि जूते मारने की बात करने वाली पार्टी को अचानक ब्राह्मणों के सम्मान की बात कैसे याद आ गई।
वहीं दूसरी ओर महंत नरेंद्र गिरि का उनके शिष्य आनंद गिरि के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था जिसके चलते उन्होंने आनंद गिरि को मठ से निकाल दिया था। हालांकि बाद में शिष्य ने गुरु के पैर छूकर माफी मांग ली थी उसके बावजूद उनका निष्कासन वापस नहीं किया गया।
इस मामले में जमीन के कुछ विवाद का भी पक्ष जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि नरेंद्र गिरि ने मठ की कुछ जमीन बेंच दी थी जिसके बाद से ही उनके शिष्य उनके खिलाफ हो गए थे। इसके साथ ही तमाम भूमाफियाओं का भी इस पूरे प्रकरण से जुड़ाव हो गया था। यह सब कुछ मामले को और संदिग्ध बना देता है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुख जताते हुये उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
आचार्य नरेंद्र गिरि की मौत पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जताया है।
उत्तर प्रदेश में अपनी ज़मीन तलाश करती आदमी पार्टी ने भी उनकी मौत पर दुख व्यक्त किया है। आप सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने उनकी मौत पर दुख व्यक्त करते हुये CBI जाँच की मांग की है।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने कहा है “मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि पूज्य महंत नरेंद्र गिरि जी महाराज ने ख़ुदकुशी की होगी, स्तब्ध हूँ निःशब्द हूँ आहत हूँ,मैं बचपन से उन्हें जानता था,साहस की प्रतिमूर्ति थे,मैंने कल ही सुबह 19 सितंबर को आशीर्वाद प्राप्त किया था,उस समय वह बहुत सामान्य थे बहुत ही दुखद असहनीय समाचार है!”
उन्होंने आगे कहा है कि “पूज्य महाराज जी ने देश धर्म संस्कृति के लिए जो योगदान दिया है उसे भुलाया नहीं जा सकता है। “
शिवसेना प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने उनकी संदिग्ध मौत की जांच की मांग करते हुये दुख व्यक्त किया है।उन्होंने कहा है कि -” अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुःखद है, मैं परमात्मा से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करती हूँ। राज्य सरकार से माँग है कि उनकी ‘संदिग्ध’ मृत्यु की निष्पक्ष और समयबद्ध जाँच हो”।