झारखंड। भले ही हेमंत सरकार ने साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की की हत्या बनाम आत्महत्या के मामले की जांच के लिए पिछले 09 जून को एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन करके जांच आयोग अधिनियम की धारा तीन के तहत इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। इसके बाद से लोगों के बीच यह सवाल तैरने लगा है कि क्या अब रूपा तिर्की को इंसाफ मिल जाएगा?
झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त पूर्व मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार गुप्ता को इस जांच की जिम्मेदारी दी गई है। बताते चलें कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार गुप्ता पूर्व में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड उच्च न्यायालय में भी मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार आयोग को अपनी रिपोर्ट देने के लिए छः महीने का समय दिया गया है।
यह आयोग रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत की हर कोण से निष्पक्ष जांच करेगा। प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री ने इस विषय में विशेष दखल देते हुए जांच आयोग का गठन करते हुए कार्यवाही को निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री के प्रवक्ता ने बताया कि जांच आयोग अपना काम करेगा और इस मामले में बोरियो थाने में दर्ज के तहत जांच प्रक्रिया जारी रहेगी।
लेकिन इस मामले पर विपक्ष खासकर भाजपा राजनीतिक रोटी सेंकने और हेमंत सरकार को आदिवासी विरोधी बताने की हर संभव कोशिश में लगी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने कहा है कि राज्य की होनहार पुलिस पदाधिकारी और रांची की बेटी रूपा तिर्की की मौत के मामले को राज्य सरकार पूरी तरह लीपापोती कर समाप्त करना चाहती है। दीपक प्रकाश ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने जो न्यायिक आयोग के गठन का निर्णय लिया है, वो पूरी तरह जनता की नजरों में धूल झोंकने जैसा है। दीपक प्रकाश ने कहा है कि न्यायिक आयोग राज्य की पुलिस के सहारे कितना न्याय दिला पाएगी, यह संदेहास्पद है। जहां आरोपियों को राज्य सरकार का प्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त हो, उसमें राज्य की पुलिस कितना सही जांच कर पाएगी, यह जगजाहिर है।
वहीं जैसे ही रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के एक माह बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा न्यायिक जांच के आदेश दिए गए, इसका विरोध शुरू हो गया है। रूपा तिर्की के परिजन ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। परिजन का कहना है कि न्यायिक जांच एक इंक्वायरी कमीशन है। उसे सरकार के इशारे पर काम करना होता है। वह स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय नहीं ले सकता। वहीं कई आदिवासी संगठन ने भी इस आदेश को नामंजूर कर दिया है। रूपा तिर्की के परिजन और आदिवासी समाज अब भी सीबीआई जांच मांग पर अडिग है।
वहीं इस मामले में हाईकोर्ट में पीआईएल विशेषज्ञ अधिवक्ता राजीव कुमार ने कई बिंदुओं पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि सरकार पंकज मिश्रा को बचाने के चक्कर में फंसती जा रही है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हमारे पास तबतक और भी कई ऐसे साक्ष्य उपलब्ध हो जाएंगे, जिससे न्यायिक जांच के आदेश को खारिज किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि रूपा तिर्की के मामले में न्यायिक जांच के आदेश का कोई लीगल वैल्यू नहीं हो सकता। इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

बता दें कि 03 मई 2021 को साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की, साहिबगंज के पुलिस लाइन स्थित अपने सरकारी आवास में फंदे पर लटकी मिली थीं। साहिबगंज पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था, जिसमें दो डीएसपी, एक इंस्पेक्टर सहित दो महिला सब इंस्पेक्टर को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। जांच के बाद रूपा तिर्की की मौत को आत्महत्या बताया गया। जांच में बताया गया कि आत्महत्या का कारण रूपा तिर्की के प्रेमी और उसका बैचमेट सब इंस्पेक्टर शिव कुमार कनौजिया है, जो कि चाईबासा पुलिस बल में कार्यरत था। एसआईटी की टीम ने उसके मोबाइल की तलाशी ली। एसआईटी की जांच में ये दावा किया गया था कि शिव कुमार कनौजिया रूपा तिर्की को तरह-तरह से मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था और शादी का झांसा देकर उसका दिल तोड़ा था, जिससे आहत हो भावना में आकर रूपा ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर शिव कुमार कनौजिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
लेकिन रूपा की मां पद्मावती का दावा है कि उनकी बेटी का जिस अवस्था में शव बरामद किया गया था, उससे साफ जाहिर है कि उसकी हत्या की गई है। रूपा की मां ने पुलिस को लिखित में शिकायत देते हुए रूपा की रूममेट एसआई मनीषा कुमारी और ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाना प्रभारी ज्योत्सना महतो के साथ-साथ सीएम के करीबी बरहेट विधायक प्रतिनिधि और झामुमो के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा पर प्रताड़ना सहित हत्या का आरोप लगाया था।
इस मामले में रूपा तिर्की के पिता देवानंद उरांव ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की। ऑनलाइन दायर की गई याचिका में बताया गया है कि साहिबगंज पुलिस की जांच टीम पंकज मिश्रा के प्रभाव में काम कर रही है और इसे आत्महत्या का मामला बता रही है।
याचिका में पंकज मिश्रा के साथ दाहू यादव को भी प्रतिवादी बनाया गया और इनकी सम्पति की जांच ईडी और इनकम टैक्स से भी कराने की मांग की गयी है। इसके साथ ही पीआईएल में साहिबगंज में ट्रांसफर-पोस्टिंग का रैकेट चलने की बात भी कही गयी। इससे संबंधित एक ऑडियो क्लिप भी याचिका के साथ संलग्न की गयी।
पीआईएल दाखिल करने वाले झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के अनुसार इसमें रूपा तिर्की की मौत को संदेहास्पद बताया गया है और इसमें झारखंड पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि रूपा की मौत मामले में वैसे लोगों का नाम सामने आ रहा है जो सामाजिक रुप से रसूखदार हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच होना मुश्किल है, ऐसी परिस्थिति में अगर सीबीआई इस मामले की जांच करेगी तभी रूपा तिर्की को न्याय मिलेगा।
बता दें कि मुख्यमंत्री के नजदीकी पंकज मिश्रा का नाम आते ही यह मामला राजनीतिक सुर्खियों में आ गया। मामले पर परिजन सहित कई सामाजिक संगठनों के लोग इसे हत्या का मामला बताकर सीबीआई जांच की मांग करने लगे। लगभग एक माह से खबरों की सुर्खियो में बने रहने के बाद अंतत: इस मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है।
उल्लेखनीय है कि साहेबगंज की पहली महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की का शव 3 मई 2021 को उनके ही सरकारी आवास में फंदे से लटका हुआ मिला। रात के करीब 10 बजे रूपा के परिवार वालों को घटना की सूचना मिली और रूपा का परिवार दूसरे दिन यानी 4 मई को दिन के साढ़े बारह बजे के लगभग साहेबगंज पहुँचा। घटना स्थल पर पहुंचकर वहाँ की स्थिति – परिस्थिति को देखकर परिवार वालों का कहना था कि रूपा की बहुत ही निर्मम तरीके से हत्या की गई है। रूपा का शरीर फंदे से लटका हुआ घुटनों के सहारे बेड़ पर था। गले में रस्सी के दो निशान और एक गहरा गड्ढे का निशान था। दोनों हाथों की कलाई में उंगलियों के निशान थे। घुटनों में चोट के निशान और मुँह में झाग था। इन सब चीजों को देखकर ये साफ पता चलता है कि रूपा की बहुत ही सुनियोजित तरीके से हत्या की गई है।
परिवार चीख – चीख कर में बोलता रहा कि मेरी बेटी की हत्या हुई है। लेकिन साहेबगंज पुलिस प्रशासन इसे आत्महत्या बताने की ही कोशिश रही और लगातार इसी एंगल में जाँच करती रही। आरोप है कि परिवार की अनुपस्थिति में पोस्टमार्टम कराना और बेसरा तक नहीं रखना, पुलिसिया जाँच पर कई बड़े सवाल खड़ा करता है।
5 मई 2021 को रूपा का पार्थिव शरीर को दफनाया गया। दफनाये जाने के बाद से कई सामाजिक संगठनों ने रूपा तिर्की को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन शुरू किया। सारे सामाजिक संगठनों ने लगातार कैंडल मार्च और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन सहित मानव श्रृंखला निकालकर रूपा तिर्की को न्याय दिलाने की मांग को तेज करते रहे। इस बीच #JusticeforRupaTixkay ट्विटर पर ट्रेंड भी कराया गया।
आखिरकार इतने विरोध के बाद जाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नींद रूपा तिर्की की मौत के एक महीने बाद खुली है और उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। खुले रूप में रूपा की हत्या का आरोप मुख्यमंत्री के सबसे नजदीकी व्यक्ति पंकज मिश्रा पर लगे हैं। पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बरहेट विधानसभा से विधायक प्रतिनिधि हैं और वे परोक्ष रूप से संथाल परगना में खुद को मुख्यमंत्री ही समझते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि उनकी इच्छा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता है।
कई गैर – कानूनी धंधों में अवैध खनन, गौ तश्करी और मानव तश्करी जैसे गंभीर आरोप पंकज मिश्रा पर लगे हैं। बताया जाता है कि मरने से पहले महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की इन्हीं मामलों पर काम कर रही थी। जनवरी – फरवरी के आस-पास रूपा राजस्थान भी गई थी, किसी महिला को रेस्क्यू कराने। पंकज मिश्रा के चचेरे भाई धनंजय मिश्रा के मर्डर केस पर भी रूपा काम कर रही थी, इसी बीच साहेबगंज का कुख्यात गुन्डा डाहू यादव के पिता पशुपति यादव, जिस पर किसी महिला के साथ छेड़छाड़ और रेप का आरोप था, उसपर भी रूपा काम कर रही थी। जिसके कारण रूपा तिर्की के ऊपर प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव भी बनाया जा रहा था। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि जिस तरह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूपा तिर्की जिस दबाव में काम कर रही थी, हो न हो इस सबमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पंकज मिश्रा और डाहू यादव का हाथ हो सकता है।
बताया जाता है कि पंकज मिश्रा रूपा की मौत के एक से डेढ़ महीने पहले ही उसे मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन रूपा ने वहाँ जाने से मना कर दिया था और अपने केबीन में आकर मिलने की बात कही थी। लेकिन रूपा की रूममेट ज्योत्स्ना और मनीषा ने उसे पंकज मिश्रा से मिलाने ले गई थी, जहाँ पंकज मिश्रा ने रूपा को मानसिक रूप से बहुत टॉर्चर किया था।
रूपा के बारे में
बता दें कि रूपा का जन्म 01 दिसम्बर 1993 को डंडई हेहल, रातू राँची (झारखण्ड) में हुआ था।उसकी प्ररंभिक शिक्षा आदिवासी बाल विकास परिषद में कक्षा 1 से 3 तक हुआ। उसके बाद कक्षा 4 से 6 तक संत जोसेफ स्कूल पहलगाँव, भागलपुर बिहार में हुआ। उसने डिनोब्ली हाई स्कूल मैथन, धनबाद से कक्षा 8 तक की पढ़ाई की। संत माइकल हाई स्कूल कोलाम्बी, रांची से 9वीं व 10वीं तक की पढ़ाई की। दिल्ली पब्लिक स्कूल, रांची से 2012 में 12वीं कम्पलीट की। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी से नैनो टेक्नोलॉजी में मात्र एक साल का कोर्स करने के बाद 2013-16 में संत जेवियर कॉलेज राँची से अंग्रेजी में स्नातक किया। 2016-2018 यानी दो साल तक सेल्फ स्टडी के साथ – साथ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। 2018 में मई, जून, जुलाई तक बैंक ऑफ इंडिया, भरनो, गुमला में क्लर्क की नौकरी की। 2018 अगस्त से सब – इन्सपेक्टर की ट्रेनिंग की और अक्टूबर 2019 में पहली पोस्टिंग साहेबगंज में हुई। 2020 में महिला थाना का थाना प्रभारी बनाया गया।
रूपा तिर्की के पिता देवानंद उरांव CSIF के जवान हैं और माता पद्द्मावती उराईन एक गृहिणी हैं। तीन बहनों में रूपा सबसे बड़ी थी। शुरुआती दौर में रूपा तिर्की के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। फिर रूपा के पिता ने रुपा को अच्छी शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। रूपा स्कूल के शुरुआती समय से ही मेधावी छात्रा रही हैं। जब वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थीं, तब भी ट्यूशन से मिलने वाले पैसों से घर की मदद करती थीं। पुलिस में नौकरी मिलने के उपरान्त रुपा पिता को घर बनाने के लिए हिम्मत दी और बाप – बेटी ने मिलकर पक्के घर की नींव रखी और वर्तमान में रूपा तिर्की का परिवार अभी इसी घर में रह रहा है।
(झारखंड से स्वत्रंत पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट)
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