जहरीले डिबेट कराने वाले टीवी एंकरों को सुप्रीम संदेश

Estimated read time 2 min read

उच्चतम न्यायालय की इलेक्ट्रानिक मीडिया के जहरीले, साम्प्रदायिक, किसी की भी खिल्ली उड़ने और मानहानि कारक प्रसारण तथा हेटस्पीच पर भृकुटी टेढ़ी है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में जो आजकल चल रहा है उस पर उच्चतम न्यायालय ने सख़्त रुख अख्तियार किया है। सुरेश चव्हाणके के चैनल सुदर्शन टीवी के ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम को लेकर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने टीवी चैनलों और एंकरों को मर्यादा पालन करने को कहा था।

उच्चतम न्यायालय ने इसे सोमवार को सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी के लिए पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में और स्पष्ट कर दिया कि किसी डिबेट शो में एंकर समान सह-प्रतिभागी के तौर पर चल रही बहस में भाग लेगा और ऐन्गिल्ड बहस कराएगा तो उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई हो सकेगी। ऐसा एंकर संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में बच नहीं सकेगा।

दरअसल इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए प्रिंट मीडिया जैसे कानूनों का आभाव है। प्रिंट मीडिया में विज्ञापन से लेकर खबर, सम्पादकीय और विचार में जो कुछ प्रकाशित होता है उसके लिए पूर्ण रूप से सम्पादक और मुद्रक, प्रकाशक जिम्मेदार होता है और पूरे देश में गुलामी के दिनों से लेकर आज तक हजारों सम्पादक और मुद्रक, प्रकाशक के विरुद्ध अदालतों में मानहानि के मुकदमे चले हैं और आज भी बड़ी संख्या में लम्बित हैं। पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित होने वाले समाचारों, विज्ञापनों और डिबेट में व्यक्त विचारों के लिए कोई ठोस क़ानूनी प्रावधान नहीं हैं।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने अमीश देवगन मामले में कहा है कि तथ्यों को देखने से यह स्पष्ट है कि बहस में आरोपी अमीश देवगन केवल एक मेजबान या एंकर नहीं था बल्कि उसमें भाग ले रहे लोगों के साथ एक समान सह-प्रतिभागी था। पीठ ने अपने निर्णय में याचिकाकर्ता द्वारा इस कार्यक्रम में की गई बहस की प्रतिलेख (ट्रांसस्क्रिप्ट) के प्रासंगिक भागों को विस्तार से उद्धृत किया है । फैसले में पीठ ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि बहस में आरोपी अमीश देवगन केवल एक मेजबान या एंकर नहीं था बल्कि उसमें भाग ले रहे लोगों के साथ एक समान सह-प्रतिभागी था। इसलिए उसके खिलाफ दर्ज़ एफआईआर रद्द नहीं किया जा सकता।

दरअसल टेलीविजन में जो आजकल चल रहा है उस पर उच्चतम न्यायालय भी हाल फिलहाल सख़्त रुख अख्तियार किए हुए है। सुरेश चव्हाणके के चैनल सुदर्शन टीवी के ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम को लेकर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने पूरे उस मीडिया के लिए संदेश दिया था जो किसी न किसी समुदाय को निशाना बनाते रहते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह पत्रकारिता के बीच में नहीं आना चाहता है लेकिन यह संदेश मीडिया में जाए कि किसी भी समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। जब उच्चतम न्यायालय ने यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम पर रोक लगाई थी तब भी यही कहा था कि ऐसा लगता है कार्यक्रम का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना है और उन्हें कुछ इस तरह दिखाना है कि वे चालबाज़ी के तहत सिविल सेवाओं में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं।

ऐसा तब हो रहा है जब टीवी चैनलों पर चीखने-चिल्लाने की भाषा अब आम हो गई लगती है। लाइव डिबेट में कांग्रेस के प्रवक्ता दिवंगत राजीव त्यागी द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से इस पर हंगामा खड़ा हुआ था और फिर जनरल जीडी बख़्शी द्वारा माँ की गाली देने तक यह मामला पहुँच गया था।

सितंबर महीने में सुशांत सिंह राजपूत केस में लाइव रिपोर्टिंग के दौरान घटनास्थल पर मौजूद एक रिपोर्टर ने माँ की गालियाँ दे दीं। इसका ‘रिपब्लिक टीवी’ पर लाइव प्रसारण हो गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने दावा किया कि गाली देने वाला रिपोर्टर ‘रिपब्लिक टीवी’ का था, जबकि चैनल ने इन आरोपों को खारिज किया था। रिपब्लिक चैनल पर यह गाली का प्रसारण पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी गाली का प्रसारण हो गया था। चैनल पर लाइव डिबेट चल रही थी। डिबेट का मुद्दा भारत-चीन सीमा विवाद था। लाइव डिबेट के बीच बात इतनी बढ़ गई थी कि एक पैनलिस्ट मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने माँ की गाली दे दी थी।

लाइव प्रसारण में ऐसी ही गाली-गलौज का मामला न्यूज़ नेशन टीवी पर आया था। दीपक चौरसिया राम मंदिर निर्माण पर डिबेट करा रहे थे। इस बीच भाजपा के प्रवक्ता प्रेम शुक्ला और इस्लामिक स्कॉलर के तौर पर पेश किए गए इलियास शराफुद्दीन के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों तरफ़ से ‘कौवे’, ‘सुअर’, ‘कुत्ते’ जैसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया और दोनों तरफ़ से भाषा की मर्यादा लाँघी गई। हालाँकि दीपक चौरसिया ने दोनों को रोकने की कोशिश की, लेकिन इसी बीच इलियास शराफुद्दीन ने लाइव डिबेट में ही भाजपा प्रवक्ता के लिए गालियाँ दे दीं। इसके बाद दीपक चौरसिया ने उन्हें तुरंत लाइव शो से हटा दिया और इसके लिए उन्होंने माफ़ी भी माँगी थी।

इससे पहले अपशब्दों के प्रयोग का एक मामला ‘न्यूज़ इंडिया 18’ की लाइव डिबेट में भी हुआ था। क़रीब दो साल पहले एंकर अमीश देवगन मॉब लिंचिंग डिबेट शो करा रहे थे और उसमें तब के कांग्रेस प्रवक्ता और अब दिवंगत राजीव त्यागी भी शामिल थे। डिबेट के दौरान राजीव त्यागी ने आरोप लगाया था कि वह एकतरफ़ा एंकरिंग कर रहे थे और इसी को लेकर उन्होंने अमीश देवगन के लिए अपशब्द कहे थे।

देश भर से अब न्यूज चैनल के डिबेट, एंकरों के चीखने और प्रवक्ताओं के अनाप-शनाप बोलने पर रोक की मांग उठ रही है , इसके साथ ही टीवी डिबेट के बहिष्कार की भी आवाज उठ रही हैं। आए दिन सोशल मीडिया पर न्यूज़ चैनल से जुड़े चीखने-चिल्लाने, अभद्र भाषा का इस्तेमाल और हाथापाई के वीडियो क्लिप वायरल होते रहते हैं। ऐसे में अब इस घटना के बाद अलग-अलग पार्टी और टीवी देखने वाले लोग इस तरह की बहस में बदलाव की बात कर रहे हैं। न्यूज़ चैनल पर हो रहे अभद्र बहस के लिए सिर्फ किसी पार्टी के प्रवक्ता ही नहीं बल्कि एंकर और न्यूज़ चैनल भी जिम्मदार हैं।

बहुसंख्य न्यूज चैनलों को आज गोदी मीडिया कहा जा रहा है क्योंकि कई एंकर और न्यूज़ चैनल अपनी विचारधारा और पक्षपात को लोगों पर थोपने का काम कर रहे हैं और साम्प्रदायिक घृणा फैला रहे हैं। गोदी मीडिया टीवी बहस के दौरान सत्ता की पसंद की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए उनके समर्थक पैनेलिस्ट ज्यादा संख्या में रखते हैं और विरोधी पक्ष को जवाब देने के लिए या तो उचित समय नहीं देते और अगर देते भी हैं तो टोकाटाकी करके उनका समय नष्ट कर देते हैं। इतने से भी काम नहीं चलता और सत्ता पक्ष के पैनेलिस्ट जवाब नहीं दे पाते तो एंकर स्वयं बहस में उतर आते हैं। 

टीवी बहस के दौरान भाषा की मर्यांदाएं टूटती जा रही हैं और मीडिया ट्रायल के जरिये तुरन्त पैसला करने की प्रावृत्ति बढ़ती जा रही है। टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में जहरीली सोच रखने वाले ऐसे छोटे-मोटे नेताओं को अच्छी- खासी जगह दे दी जाती है जो गैर-जरूरी होती है और लोकतंत्र का नुकसान करती है। कई एंकर हाथ उठाकर या पटक-पटक कर इस अंदाज में डिबेट कराते हैं जैसे वहां कोई बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली हो।

मीडिया की निष्पक्षता ही सवालों के घेरे में आ गयी है। मीडिया के लिए जरूरी है कि वह न केवल निष्पक्ष रहे बल्कि निष्पक्ष दिखाई भी दे।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author