बीजापुर, बस्तर। सोशल मीडिया के जमाने में किसी भी घटना को वायरल होने में समय नहीं लगता है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में आती तस्वीरें और वीडियो कब वायरल हो जाएं यह कोई नहीं जानता। कई बार कुछ तस्वीरें और वीडियो लोगों के जीवन में सकरात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसी ही कुछ तस्वीरें छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग से सोशल मीडिया पर तैरने लगीं। जिन्हें लेकर लोगों ने सरकार की नीतियों और काम पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।
दरअसल शनिवार को सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हुईं जिसमें मरीजों को जमीन पर तिरपाल बिछाकर इलाज किया जा रहा है और पेड़ की टहनियों के सहारे ग्लूकोज चढाया जा रहा है। ये तस्वीरें बस्तर संभाग की बीजापुर जिले के दूरदराज गांव की हैं। जहां मेडिकल कैंप लगाकर लोगों का इलाज किया जा रहा है।
दो दिन तक चला मेडिकल कैंप
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें बीजापुर जिले के इंद्रावती नदी पार में बसे ताकिलोड और उसके पास के गांव की हैं। जहां दो दिनों तक मेडिकल कैंप लगाकर ग्रामीणों का इलाज किया गया। गांव में आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। जिसके कारण मेडिकल टीम को इलाज के दौरान पेड़ की टहनियों और त्रिपाल का सहारा लेना पड़ा।
इसी महीने के पहले सप्ताह में बीजापुर के कलेक्टर ने दूरदराज और संवेदनशील इलाकों में मेडिकल शिविर लगाने के निर्देश दिये थे। 17 मई के बाद कई जगहों पर मेडिकल शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसी के तहत 17 और 18 मई को भैरमगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव में भी मेडिकल कैंप लगाया गया था।
दो दिन तक चले इस मेडिकल कैंप में लगभग 300 ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। जिसमें से कई लोगों का ओपीडी में इलाज कर उन्हें दवाइयां दी गईं और कुछ लोगों को पहले ब्लॉक और फिर जिला अस्पातल में भर्ती कराया गया।
पहले भी हुआ था मेडिकल कैंप का आयोजन
मेडिकल टीम में शामिल लोगों से ‘जनचौक’ की टीम ने फोन पर बात कर वायरल फोटो के बारे में जानकारी ली। टीम में शामिल डॉ संदीप कश्यप ने बताया कि दो दिन के इस कैंप में उन्होंने 310 लोगों का चेकअप किया। जिसमें निमोनिया, मलेरिया, बीपी, रक्त की कमी, खुजली और बीपी के मरीज शामिल थे।
डॉ संदीप ने बताया कि यह कैंप पहली बार नहीं लगा था। ऐसे मेडिकल कैंप का आयोजन होता रहता है। ताकि ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि अभी कुछ दिनों में बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा। ऐसे में इंद्रावती नदी उफान पर होगी, हालात यह होंगे कि गांव बाकी जगहों से कट जाएंगे। बरसात के मौसम में लोगों को दवाई से संबंधित कोई परेशानी न हो इसलिए पहले ही उनका चेकअप करके बुखार, दस्त और अन्य रोगों की दवाइयां दी गईं। ताकि अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उनके पास दवाई हो। गर्भवती महिलाओं का खास ख्याल रखा जाता है।
डॉ संदीप ने बताया कि इन गांवों में लगभग हर पंद्रह दिन में नर्स लोगों को देखने जाती हैं। लेकिन बरसात के दिनों को देखते हुए गांव में कैंप लगाया गया ताकि अगर बरसात के चलते गांव अन्य जगहों से कट भी जाते हैं तो सामान्य बुखार और दस्त के लिए लोगों के पास दवाइयां हों।
वायरल फोटो पर बात करते हुए डॉ संदीप ने बताया कि दूरदराज का गांव होने के कारण वहां किसी तरह की सुविधा नहीं थी। लेकिन लोगों का इलाज करना था, इसलिए मेडिकल टीम ने नक्सलगढ़ गांव के चबूतरे पर अपना डेरा डाला और उसके अगल-बगल लोगों का इलाज करना शुरू किया। जो लोग ज्यादा कमजोर लगे उन्हें ग्लूकोज चढ़ाया गया।
ग्लूकोज चढ़ाने के लिए पेड़ की टहनियों के सहारे रस्सी बांधी गई और जमीन पर तिरपाल बिछाकर खुले आसमान के नीचे 40 लोगों को ग्लूकोज चढ़ाया गया। जिसमें 30 मरीज गंभीर बीमारी वाले थे।
गांव में नहीं है लाइट
इस टीम के सेक्टर सुपरवाइजर आरआर मसीह ने इस दो दिन के मेडिकल कैंप के बारे बताया कि टीम में डॉक्टर, नर्स, एएनएम, मेडिकल स्टॉफ समेत 18 लोग शामिल थे। टीम सीएससी भैरमगढ़ के 15 किलोमीटर तक एंबुलेस से गई। उसके आगे डोंगी के सहारे नदी पार की और लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलने के बाद इलाके के एक ट्रैक्टर में दवाइयां और खाद्य सामग्री लेकर गांव तक गई।
उन्होंने बताया कि अबूझमाड़ का क्षेत्र होने के कारण गांव में किसी तरह की सुविधा नहीं थी। न वहां लाइट थी न ही मोबाइल में नेटवर्क। दो दिन तक मेडिकल टीम को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।
गांव में लाइट नहीं है इसलिए मेडिकल टीम टार्च और मोमबत्तियां साथ लेकर गई थी, इन्हीं के सहारे रात गुजारनी पड़ी। दूसरे दिन रात को टीम वहां से वापस भैरमगढ़ गई। इस दौरान आंख के नौ मरीज भी टीम के साथ थे। जिन्हें पहले कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में रखा गया और बाद में बीजापुर जिला अस्पताल में ऑपरेशन के लिए भेजा गया।
(छत्तीसगढ़ के बस्तर से पूनम मसीह की रिपोर्ट)