‘तुम्हारी औकात नहीं है जो राजधानी में सफर करो’ कहते हुए दो मजदूरों को राजधानी से उतारा

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कृषि और रेलवे के कारपोरेटीकरण का जमीनी असर दिखने लगा है, कहीं किसान को लूटकर व्यापारी बिना भुगतान के भाग जा रहे हैं तो रेलवे के निजीकरण के बीच क्लास थ्री कर्मचारी टीटीई को भी लगने लगा है कि वातानुकूलित राजधानी एक्सप्रेस में केवल इलीट क्लास के लोगों को ही चलने का हक़ है।

अब इसका क्या मतलब है कि कन्फर्म टिकट पर चल रहे दो श्रमिकों से टीटीई कहे ‘तुम लोग छोटा आदमी हो…..तेरी औकात नहीं कि राजधानी जैसी वीआईपी ट्रेन में चढ़ो! इस ट्रेन में अधिकारी रैंक और बड़े लोग सफर करते हैं…..चलो उतरो ट्रेन से। ज्यादा गाल बजाया और ट्रेन से नहीं उतरे तो पांच हजार रुपए का फाइन काट देंगे’।

बीते बुधवार अहले सुबह 5:22 बजे कोडरमा स्टेशन पर टीटीई ने दो मजदूर यात्री रामचंद्र यादव और अजय यादव को यह कहकर नई दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी ट्रेन से धक्का मार कर उतार दिया। दोनों के पास कंफर्म सीट के टिकट थे और भुवनेश्वर जा रहे थे।

राजधानी एक्सप्रेस के एक टीटीई के खिलाफ दो मज़दूरों ने झारखंड के कोडरमा स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराई है। मज़दूरों का आरोप है कि, कंफर्म सीट के टिकट होने के बावजूद टीटीई ने उन्हें राजधानी ट्रेन से यह कहते हुए उतार दिया कि तुम लोग छोटा आदमी हो इस ट्रेन में बैठने की तुम्हारी औकात नहीं है। मज़दूरों ने इस बात की शिकायत कोडरमा स्टेशन के स्टेशन मास्टर से की है। जिसके बाद डीआरएम ने कहा कि जांच के बाद टीटीई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

रामचंद्र यादव और अजय यादव नाम के दो मजदूर यात्री नई दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी ट्रेन से विजयवाड़ा जा रहे थे। तभी सुबह 5:22 बजे कोडरमा स्टेशन पर टीटीई ने दोनों को ट्रेन से धक्का मार कर उतार दिया। टीटीई ने कहा, “तुम लोग छोटा आदमी हो, तेरी औकात नहीं कि राजधानी जैसी VIP ट्रेन में चढ़ो! इस ट्रेन में अधिकारी रैंक और बड़े लोग सफर करते हैं, चलो उतरो ट्रेन से। ट्रेन से नहीं उतरे तो 5 हजार रुपए का फाइन काट देंगे।”

दोनों टिकट दिखाते हुए ट्रेन से नहीं उतारने का आग्रह करते रहे, लेकिन टीटीई नहीं माना। दोनों भुवनेश्वर जा रहे थे। इसके बाद दोनों स्टेशन मास्टर के चैंबर में पहुंचे और शिकायत पुस्तिका में पूरी घटना का जिक्र करते हुए अपनी शिकायत दर्ज कराई।

रिपोर्ट के मुताबिक दोनों  श्रमिक विजयवाड़ा के नैनूर में पोकलेन ऑपरेटर का काम करते हैं। दोनों को  भुवनेश्वर जाना था। वहां से उन्हें विजयवाड़ा और फिर नैनूर जाना था। ठंड में सफर आसान हो, इसलिए उन्होंने राजधानी ट्रेन में सीट बुक कराई। इससे पहले दो बार टिकट बुक कराया था, लेकिन सीट कंफर्म नहीं हुई। तीसरे प्रयास में 16 दिसंबर को राजधानी ट्रेन की बी-6 बोगी में 10 व 15 नंबर की बर्थ कंफर्म हुई।

इस मामले को लेकर  पूरे रेल महकमे में बवाल मच गया है और इस खबर की सुर्खियां बनने से सरकार के कारपोरेटीकरण  का उघाड़  हो गया है ।

रेलवे की किसी यात्री कोड में नहीं लिखा है कि राजधानी में केवल इलीट क्लास के ही लोग चल सकते हैं श्रमिक या समाज के निचले तबके के लोग नहीं चल सकते। लोकतंत्र में सभी नागरिक समान हों कोई खास नहीं। केवल यही एक घटना बता रही है कि आजादी के 73 सालों बाद भी समाज में भेदभाव, ऊंच-नीच की भावना किस कदर व्याप्त है ।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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