देश को नरबलि तथा अंधविश्वास के साए से निजात दिलाने के लिए पिछली सरकारों ने पुरजोर प्रयास किए। इसमें काफ़ी हद तक सफलता भी परिलक्षित होती दिखाई दी। किंतु एक दशक से जिस तरह अंधश्रद्धा का दौर जारी है तथा प्रवचनकारी बाबाओं की बाढ़ आई हुई है। देश को हिंदू राष्ट्र की ओर ले जाने की कवायद जारी है। मंदिर-मंदिर का शोर है। सबके सामने है राम मंदिर की तथाकथा। उसके नाम पर चुनाव जीतने का काम हुआ।
राम मंदिर अयोध्या, विश्वनाथ मंदिर बनारस, महाकाल मंदिर उज्जैन, केदारनाथ धाम में जिस तरह मंदिर विकास और कारीडोर बनाए गए।इसकी सूची बड़ी लंबी है जहां मंदिरों का पुनरुत्थान और मंदिरों की सुरक्षा के साथ व्यापार के इंतज़ामात किए जा रहे हैं। उससे हिंदुत्ववादी आस्था को बढ़ावा तो मिला ही है साथ ही साथ अंधश्रद्धा में एक बार फिर विश्वास की पुनरावृत्ति हुई है।
पिछले दिनों मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के चंदेरा पुलिस थाना क्षेत्र में एक युवक की सिरकटी लाश मिलने से हड़कंप मच गया। युवक का कटा हुआ सिर धड़ से काफ़ी दूर अलग पड़ा था। वहीं साथ में चिलम, नींबू, नारियल और नमकीन भी पड़ा था।जिससे नरबलि की पुष्टि होती है। यहां इंदौर में ही चर्चित राजा हत्या कांड में भी नरबलि की बात सामने आई है।
जिसकी जांच पड़ताल हो रही है। एक अन्य ख़बर के मुताबिक मध्य प्रदेश के ही जापान निवासी इंद्र कुमार तिवारी (उम्र 38 वर्ष) ने प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से अपनी शादी न होने की बात बताई थी। बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास 18 एकड़ पुश्तैनी जमीन है। इसी सूचना का फ़ायदा उठाकर एक महिला ने उनके साथ धोखा किया, प्यार का जाल बिछाया, शादी का नाटक किया और फिर उनकी हत्या कर दी गई। काश ये आचार्य महोदय ये सब सार्वजनिक न करते तो युवक की जान बच जाती। ज़मीन की लालच से एक युवती ने ये षड्यंत्र रचा।
इधर बिहार के पूर्णिया जिले में बच्चे की मौत की वजह चुड़ैल को बताते हुए एक पूरे परिवार को रात में जिंदा जला दिया गया। उस परिवार का एक बच्चा सोनू कुमार किसी महिला के सहयोग से भाग निकला। वह बच गया। जिसने रात के अंधेरे में सब कुछ अपनी आंखों से देखा है।
एक बार फिर समाज क्रूरता के जंजाल में फंसता जा रहा है जिसके लिए जिम्मेदार कथित बाबाओं और कथावाचकों की बड़ी फ़ौज है जो कथित सनातन सरकार के संरक्षण में लोगों में अंधश्रद्धा फैला रहे हैं। याद आते हैं अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के निर्माण और उसमें अपनी सक्रियता के लिए प्रसिद्ध डाक्टर नरेंद्र दाभोलकर जी। जिनकी ऐसे ही पाखंडियों द्वारा अलसुबह भ्रमण करते हुए हत्या कर दी गई। जो आज तक नहीं पकड़े गए हैं।
उन्होंने महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा निर्मूलन हेतु कानून भी बनवाया तथा आज भी यह समिति अभियान भी संपूर्ण देश में चलाती है। उनकी मृत्यु के बाद भी यह अभियान ज़िंदा है लेकिन सरकार के असहयोग से ढोंगी बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री को रातों-रात भागना पड़ता है। समिति सदस्यों को परेशान किया जाता है।
इन त्रासददायक घटनाओं से सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं क्योंकि अंधश्रद्धा को कथित भक्ति भाव से जोड़कर वे जनमानस को कूपमण्डूक बनाना चाहते हैं। इसलिए शिक्षा से ज़्यादा महत्व वे इन कथावाचकों को दे रहे हैं। जब हमारे प्रधान ही ऐसे लोगों के दरबार में हाजिरी लगाएंगे तो देश का यह हाल होना ही है। इस बीच संघ द्वारा एक लाख सभाओं के आयोजन होने की ख़बर भी डराती है। उनके इरादे नेक नज़र नहीं आते हैं।
(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)