उत्तराखंड: विपक्षी दल और सामाजिक संगठन आए साथ, चलाएंगे ‘नफरत नहीं, रोजगार दो’ अभियान

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नैनीताल। हाल के दिनों उत्तराखंड में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की घटनाओं और उसमें राज्य सरकार की कथित भूमिका के खिलाफ नैनीताल जिले के हल्द्वानी में करीब सभी राजनीतिक दलों और दर्जनों सामाजिक संगठनों ने सद्भावना सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में युवाओं को रोजगार देने के साथ ही नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई। साथ ही संविधान बचाने के लिए भविष्य में भी लगातार इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प व्यक्त किया गया।

इस सम्मेलन में साफ तौर पर कहा गया कि उत्तराखंड में सरकार की शह में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। और ऐसा 2024 के चुनावों में हार की आशंका को देखते हुए किया जा रहा है। वक्ताओं ने यह भी आशंका जताई कि लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार राज्य में सांप्रदायिक हिंसा को और बढ़ाने की कोशिश कर सकती है।

उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों और सिविल सोसायटी से जुड़े लोगों का पहला सम्मेलन 19 जून देहरादून में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में कांग्रेस प्रतिनिधियों के शामिल न होने के कारण माना जा रहा था कि एकता के इस तरह के प्रयास में कांग्रेस शामिल नहीं हो रही है, जिससे ऐसे किसी प्रयास की सफलता संदिग्ध मानी जा रही थी। लेकिन, हल्द्वानी सम्मेलन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश शामिल हुए और इस तरह के प्रयासों में लगातार सक्रिय रहने की बात कही।

जिन राजनीतिक दलों ने सद्भावना सम्मेलन में हिस्सा लिया, उनमें कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, आम आदमी पार्टी, आजाद समाज पार्टी शामिल हैं। इसके अलावा दर्जनों समाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी सद्भावना सम्मेलन का हिस्सा बने।

सम्मेलन में तय किया कि ‘नफरत नहीं, रोजगार दो’ और ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओं’ के नारे के साथ इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस के अवसर पर 25 जुलाई को टिहरी जिले के उनके गांव जौल में तमाम संगठनों के प्रतिनिधि आम नागरिकों के साथ प्रजातंत्र दिवस को मनाएंगे। उस दिन ऐसे ही कार्यक्रम प्रदेश भर में भी आयोजित किये जायेंगे।

भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी 9 अगस्त को देहरादून में इन्हीं मुद्दों पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा और प्रदेश भर में आवाज़ उठायी जाएगी। इस बीच में ‘नफरत नहीं, रोज़गार दो’ मुद्दे पर प्रदेश भर में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जायेगा।

वक्ताओं ने राज्य में धर्म के आधार पर निर्दाेष लोगों को निशाना बनाने और अल्पसंख्यक एवं दलित समुदाय पर बढ़ते अत्याचार की निंदा करते हुए कहा कि सरकार राज्य में कानून का राज स्थापित करे और रोज़गार की योजनाएं, वन अधिकार कानून, आदि पर काम करे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि जोशीमठ की त्रासदी से ले कर अंकिता हत्याकांड तक राज्य सरकार और उसके प्रतिनिधि मौन साधे रहे। लेकिन, नफरती गतिविधियों और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने में सरकार भरपूर मदद करती रही।

सीपीआई एमएल के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे शब्दों से अपराधों को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जबकि इन बातों का न कोई सबूत है और न ही कोई डाटा। ऐसी बहुत सी घटनाएं झूठी भी साबित हो गयी हैं। उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने कहा कि राज्य के इतिहास और संस्कृति में नफरत कभी नहीं रही, जिसको आज झूठ के आधार पर फैलाया जा रहा है।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवाड़ी ने कहा कि सरकार के कदमों में धार्मिक भेदभाव साफ दिख रहा है। इस सबके पीछे असली प्रयास यह है कि इस तरह का माहौल खड़ा करके लोगों का ध्यान बंटाया जाए और राज्य की संपत्ति उद्योगपतियों को सौंप दी जाए।

सम्मेलन को हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी, समाजवादी लोक मंच के मुनीश कुमार, सीपीआई के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी, सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, उत्तराखंड सर्वाेदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन, क्रान्तिकारी लोक संगठन के पीपी आर्य, पीपल्स साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट, एसएफआई के हिमांशु चौहान, रचनात्मक महिला मंच के अजय जोशी, वरिष्ठ आंदोलनकारी बच्ची सिंह बिष्ट, वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन के मोहम्मद इशाक और कई अन्य वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया।

सद्भावना समिति उत्तराखंड के भुवन पाठक और वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी ने कार्यक्रम का संचालन किया और उत्तराखंड महिला मंच की उमा भट्ट ने अध्यक्षता की।

हल्द्वानी का सम्मेलन एक तरह से राज्य में एक बड़े बदलाव का संकेत दे गया है। राज्य में हाल के महीनों में पुरोला से लेकर कमलुआगांजा से सांप्रदायिक तनाव फैलाने की तमाम कोशिशें की गई हैं। इन सब के बीच हल्द्वानी में राज्यभर से सैकड़ों लोगों का जमा होना और एक स्वर में कहना कि हाल के दिनों में राज्य में हुई सांप्रदायिक तनाव सरकार समर्थित था, कहीं न कहीं बीजेपी सरकार के प्रयासों पर पानी फेरना जैसा है।

हालांकि कई वक्ताओं ने यह भी कहा कि भाजपा चाहती है कि राज्य में हिन्दू-मुसलमान का मुद्दा गरम रहे, इसलिए हमें उसकी पिच पर खेलने से परहेज करना चाहिए। वक्ताओं का कहना था कि राज्य और केन्द्र सरकार हर मुद्दे पर असफल रही है। हमें इन मुद्दों को लेकर बीजेपी को घेरना चाहिए और आम लोगों तक इस मुद्दों को पहुंचाना होगा।

सम्मेलन की एक खास बात यह भी रही कि जो संगठन और उनके प्रतिनिधि इस सम्मेलन में उपस्थित नहीं हो पाये उन्होंने संदेश भेजकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। इनमें उत्तराखंड इंसानियत मंच के प्रो. रवि चोपड़ा, बीज बचाओ आंदोलन के विजय जड़धारी जैसे कई गणमान्य लोग शामिल थे।

(नैनीताल से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट)

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