Saturday, April 20, 2024

अकबर इलाहाबादी से अकबर प्रयागराजी तो अमरूद इलाहाबादी कैसे!

जब से हमारे इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया, तब से मैं सोचता रहा हूं कि वहां के अमरूदों का नाम क्यों नहीं बदला गया? क्या इलाहाबाद के नागरिकों के मुकाबले अमरूदों की तरफ से ज्यादा कड़ी प्रतिक्रिया की आशंका थी? इधर काफी समय से मेरा इलाहाबाद उर्फ प्रयागराज जाना नहीं हुआ इसलिए इलाहाबाद के प्रयागराज बन जाने के बाद के हालात पर अमरूदों के रूख के बारे में जानकारी नहीं हासिल कर पाया। पर कुछ मशहूर शायरों के बारे में कल अचानक एक दिलचस्प सूचना मिली। पता चला कि सन् 1846 में जन्मे और 1921 में दिवंगत हुए भारतीय उपमहाद्वीप के मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी अब ‘अकबर प्रयागराजी’ हो गये हैं! सिर्फ वही नहीं, उस दौर के कई बड़े शायरों के नाम में भी इलाहाबादी हटाकर ‘प्रयागराजी’ जोड़ा गया है। इससे मेरा चिंतित होना स्वाभाविक था। सिर्फ अमरूदों को लेकर नहीं, स्वयं अपने बारे में भी चिंता हुई! आखिर मैं भी ठहरा एक पूर्व-इलाहाबादी! कहीं मुझे भी ‘पूर्व-प्रयागराजी’ कहने को बाध्य करने सम्बन्धी कोई आदेश न जारी हो जाय!

देश की प्रमुख न्यूज़ एजेंसियों के मुताबिक अकबर इलाहाबादी सहित कई शायरों के नाम-बदल के कथित फैसले का पता चला-उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग(यूपीएचईएससी) की वेबसाइट से। आयोग की वेबसाइट पर अचानक नये नामों की सूची देखी गई। विश्व में अपने ढंग का इसे अनोखा फैसला माना गया। किसी शासकीय संस्था की वेबसाइट ने मृत लोगों के नाम बदल दिये। हालांकि आयोग ने मंगलवार को देर शाम साफ किया कि उसने ऐसा नहीं किया था, उसकी वेबसाइट ही ‘हैक’ हो गयी थी। इसकी शिकायत सम्बद्ध एजेंसी या थाने में भी कर दी गई है। सारी गड़बड़ी हैकिंग के चलते हुई! पर तब तक अकबर इलाहाबादी सहित कई शायरों के नाम-बदल की खबर चर्चा में आ चुकी थी।

बहरहाल, मैं आयोग की तरफ से आई सफाई के बाद आश्वस्त हो गया कि वेबसाइट हैक होने से यह सब हुआ होगा। हैकिंग के बारे में सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई। नींद में भी इलाहाबाद-प्रयागराज से पिंड नहीं छूटा। सपने में ही अपने पुराने इलाहाबाद पहुंच गया। वहां अमरूद के बगीचों में घूमता रहा। अमरूदों में भी भारी कन्फ्यूजन देखा गया। उन्हें पक्की खबर नहीं थी कि इलाहाबादी अमरूद का नाम आधिकारिक तौर पर ‘प्रयागराजी अमरूद’ हो पाया है या नहीं! खबर मिली कि नाम बदलने के ऐसे किसी प्रस्ताव से इलाहाबादी अमरूदों के एक हिस्से में भारी रोष है। रोष इतना ज्यादा है कि कंपनी गार्डेन के पुराने इलाके के अमरूद फल धारण करने से इंकार कर सकते हैं! वहीं पर किसी अमरूद ने बताया कि शासन की तरफ से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल जल्दी ही ‘इलाहाबादी अमरूद समूह’ के वरिष्ठ प्रतिनिधियों से वार्ता करने प्रयागराज जायेगा! इस प्रतिनिधिमंडल में सम्बद्ध मंत्रालय के अलावा ‘नागपुर’ से ‘नाम-परिवर्तन परियोजना’ के कुछ विशेष आमंत्रित विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं।

बगीचे से बाहर निकलकर सिविल लाइंस की तरफ गये। कॉफी हाउस में बैठकी हुई। हिंदी भाषी क्षेत्र के कॉफी हाउसों में हर विषय के विशेषज्ञ मिल जाते हैं। यहां मिले कुछ ‘विशेषज्ञो’ की मानें तो अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी बनाने के कुछ ही देर बाद यह शुभ सूचना मरहूम शायर तक पहुंचाई गयी। ‘ऑपरेशन जन्नत’ के इस खास अभियान के तहत उनसे जन्नत में संपर्क के लिए खास लोगों को भेजा गया। हाल में चर्चित हुई ‘धर्म संसद’ के तीन स्वनामधन्य चेहरों को आगे किया गया ताकि उनकी धार्मिक लगने वाली वेशभूषा आदि से प्रभावित होकर स्वर्ग(जन्नत) के द्वारपाल स्वयं ही अंदर जाने का रास्ता दे दें! जिस वक्त ‘धर्म-संसद’ के तीन भगवाधारी-खुराफाती वहां पहुंचे, स्वर्ग के द्वारपाल महोदय किसी मादक द्रव्य के दिव्य असर के चलते टुन्न पड़े थे। तीनों अनुभवी खुराफातियों ने मौका देखकर स्वर्ग का द्वार खोला और अंदर दाखिल हो गये।

वहां अकबर साहब (जो 1846 में सैयद हुसैन के नाम से इलाहाबाद में पैदा हुए थे) को भी उन्होंने आसानी से खोज लिया। वे जन्नत की बाहरी लॉन में टहलते हुए गुनगुना रहे थेः ‘हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती!’ तीनों प्रतिनिधियों ने फौरन भांप लिया कि हो न हो, यह अकबर प्रयागराजी ही हो सकता है! दुआ-सलाम के बाद उन्हें बताया गया कि 2021 के इस आख़िरी सप्ताह में उनके ‘अकबर प्रयागराजी’ बनाये जाने के फैसले पर अपनी सहर्ष सहमति देने के क्या मायने होंगे! इससे भारत के ‘विश्व गुरू’ बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने में कितनी आसानी हो जायेगी!

जब इलाहाबाद जैसा जीवित शहर ‘प्रयागराज’ बनने पर राज़ी हो गया तो आप तो एक मरहूम शायर भर हैं! अकबर साहब भी अब क्या करते, इलाहाबादी की जगह उन्हें प्रयागराजी बनाया जा चुका था। धरती से गये मां-भारती के प्रतिनिधियों ने उन्हें यह भी बताया कि मौजूदा निजाम तो हर उस शहर, कस्बे, गांव, सड़क, विद्यालय, विश्वविद्यालय और संस्थान का नाम बदलने में जुटा है, जिसमें हमारी अपनी गौरवशाली हिन्दुत्व-संस्कृति का आभास न मिलता हो! समय की अनुकूलता देखकर निकट-भविष्य में अपने गौरवशाली राष्ट्र का भी नया नामकरण हो सकता है। इससे ‘मां भारती’ का गौरव और पूरे राष्ट्र का सम्मान बढ़ेगा! संयुक्तराष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में ‘वीटो पावर’ के साथ हमे स्थायी सदस्यता मिल जायेगी! 

यह सब बातें सुनकर अकबर इलाहाबादी मुस्कराये. .बोले: ‘….तो मेरे इलाहाबाद में अब कोई ‘इलाहाबादी’ नहीं बचा, सब प्रयागराजी बन गये? जब तक ‘धर्म संसद’ के वे स्वनामधन्य चेहरे अकबर साहब को कोई जवाब देते, स्वर्ग की ‘विशेष सुरक्षा एजेंसी’ के चुस्त दस्ते ने धरती से आकर स्वर्ग में अवैध इंट्री करने वाले तीनों भगवाधारी मुस्टंडों को हिरासत में ले लिया और उन्हें सीधे ‘नर्क के कुम्भीपाक’ प्रकोष्ठ भेजने का फैसला किया! एक घरघराती वैन में बिठाकर उन्हें कुम्भीपाक प्रकोष्ठ पहुंचाया गया। वहां पहुंचते ही उनके ऊपर स्वर्ग में अवैध इंट्री करने के अलावा कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इनमें एक मामला नाथूराम गोडसे जैसे कुख्यात हत्यारे को महिमामंडित कर उसकी पूजा करने के आह्वान का अपराध भी शामिल था।

यही नहीं, स्वर्ग के प्रशासन ने अकबर इलाहाबादी को भी दंडित करने का फैसला किया। प्रशासन ने धरती से आकर स्वर्ग में अवैध इंट्री करने वाले कुछ खुराफाती तत्वों से उनके मिलने को अनुशासनहीनता माना। स्वर्ग के माननीय न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि अकबर इलाहाबादी को अब ऐसे खुराफाती और मनुष्यता को कलंकित करने वाले तत्त्वों से भारत को बचाने के पवित्र उपक्रम में शामिल होना होगा। यह काम वह अपनी शायरी से कर सकते हैं। उन्हें स्वर्ग में अब से कोई जिम्मेदारी नहीं दी जायेगी। वह सिर्फ शायरी करेंगे। स्वर्ग के न्यायाधीश ने उसी वक्त मरहूम इकबाल बानो को बुलाकर अकबर साहब की हर नयी शायरी को अपनी आवाज़ देने का आदेश जारी किया! साथ में यह भी कहा गया कि अकबर साहब अब से इश्क और हुस्न की शायरी की जगह देश, समाज और लोगों के हाल पर ज्यादा लिखेंगे।

इस आदेश के 24 घंटे बाद खबर मिली कि यूपी उच्चत्तर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट हैक हो जाने से अकबर साहब और कुछ अन्य शायरों के नाम बदल गये थे। उनके नाम के आगे इलाहाबादी से प्रयागराजी जुड़ गया था। उसे ठीक कर दिया गया है। जब यह बात स्वर्ग के माननीय न्यायाधीश के समक्ष ले जायी गयी तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहाः वेबसाइट हैक हुई तो सब कुछ यथावत् रहा, सिर्फ इलाहाबादी से प्रयागराजी ही बदला! यह बात कुछ हजम होने वाली नहीं है! इसलिए स्वर्ग की अदालत का फैसला यथावत् रहेगा। वैसे भी नर्क के कुम्भीपाक प्रकोष्ठ को बहुत दिनों बाद एक-साथ तीन-तीन दंड-भागी मिले थे। कुम्भीपाक प्रकोष्ठ का प्रभारी अपने काम में जुटा रहा।

यह सब देख ही रहा था कि मेरा सपना टूट गया!

(उर्मिलेश वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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