Wednesday, April 24, 2024

हालात से बेखबर बजट, मध्यम वर्ग को किया गुमराह  

बजट सत्र का पहला भाग सोमवार को समाप्त हो गया। दूसरा सत्र 13 मार्च से शुरू होगा। बजट पेश होने के दो सप्ताह बाद भी बजट पर चर्चाओं का दौर चल रहा है। केंद्रीय बजट अब एक वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय के वार्षिक विवरण भर नहीं है, बल्कि अब यह उससे अधिक महत्व का हो गया है। यह अब लोगों को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से अवगत कराने का प्रमुख साधन है। लोग बजट के विशिष्ट प्रस्तावों के साथ-साथ आर्थिक संकेतों के लिए भी बजट को देखते हैं।

लेकिन आम जनता के सरोकारों से बजट का कोई लेना देना नहीं है। उनकी पहुंच नीति-निर्माताओं तक नहीं है। राजनीतिक दलों और सांसदों के माध्यम से उनकी आवाज और जरुरत सरकार तक पहुंचती है। इस मुद्दे के लिए राजनीतिक दल और सांसद एक सेतु के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ दल का लोकसभा में बहुत ही प्रभावी बहुमत है, जिसके कारण वह आत्ममुग्ध है और राजनीतिक दलों या सांसदों से परामर्श ही नहीं करती है। लिहाजा जनता की वास्तविक भावनाओं से वह अनजान है।

बजट के तीन कमजोर दावे

बजट में तीन बातें स्पष्ट हैं: (1) 2022-23 में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित धन को खर्च करने में नाकामयाब  रहने के बावजूद , वित्त मंत्री ने 2023-24 में पूंजीगत व्यय के बजट अनुमानों को 33 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। (2) सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च में क्रूर कटौती करने के बाद, वित्त मंत्री ने गरीबों और वंचितों को आश्वस्त करने की कोशिश की है कि उनका कल्याण सर्वोपरि है। (3) 2020 में शुरू की गई आय कर की नई (कोई छूट नहीं) कर व्यवस्था (NTR) को  लोगों में स्वीकार्य बनाने में  विफल रहने के बाद, वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग के करदाता के लिए स्वीकार्य बनाने के लिए गोल मोल हिसाब का सहारा लिया है।

उपरोक्त तीन बिंदुओं में से कोई भी बारीकी से जांच में उचित नहीं ठहरॆगा। पहला, सरकारी पूंजीगत व्यय। वित्त मंत्री ने मौन रूप से स्वीकार किया है कि विकास के अन्य तीन इंजन लड़खड़ा रहे हैं। निर्यात नीचे है; वित्त मंत्री द्वारा उद्योगपतियों को डांटे जाने के बावजूद निजी निवेश सुस्त है; और खपत स्थिर है। ऐसे में वित्त मंत्री के पास सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। 2022-23 में, 7,50,246 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले संशोधित अनुमान घटकर 7,28,274 रुपये मात्र रह गया है, जो सरकारी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अंतर्निहित कमजोरियों को उजागर करता है। मंत्रालयों (जैसे, रेलवे और सड़क) की बाधाओं और और पैसा निवेश करने की  क्षमता को अनदेखा करते हुए, वित्त मंत्री ने इस साल 10,00,961 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं! इस आवंटन से पूंजीगत व्यय के प्रबल पैरोकार भी बौखलाए हुए हैं।

दूसरा, जन-कल्याण पर खर्च बढ़ाने का वादा। 2022-23 में, कई प्रमुखों मदों के तहत जैसे  कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, शहरी विकास, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और कमजोर समूहों के विकास के लिए  योजनाओं में पूर्व अनुमानित बजट के मुकाबले संशोधित बजट  घटा दिया गया है। और इस साल  यानि अगले वर्ष 2023-24 के लिए उर्वरक और खाद्य पर सब्सिडी चालू वर्ष के संशोधित बजट  के मुकाबले 1,40,000 करोड़ रुपये कम कर दी गई है। मनरेगा के लिए आवंटन में 29,400 रुपए की कटौती की गई है। सारतः जनकल्याण के नाम पर सुखदायक शब्दों के अलावा कुछ भी नहीं।

मध्यम वर्ग को गुमराह करना

बजट 2023-24 में, सरकार ने नई आय कर व्यवस्था (NTR) में मिठास घोली और करदाताओं को पुरानी कर व्यवस्था (OTR) से आगे बढ़ने का आह्वान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी घोषणाएं “मुख्य रूप से हमारे मेहनती मध्यम वर्ग को लाभान्वित करेंगी।”

मिडिल क्लास कौन है?

2017-18 में, आयकर विभाग ने खुलासा किया कि 1,47,54,245 व्यक्तियों ने 5-10 लाख रुपये की वार्षिक आय दिखाई है  और 45,08,722 व्यक्तियों ने 10-25 लाख रुपये की वार्षिक दिखाई है। कुल लगभग 2 करोड़ लोग हैं। आज यह संख्या और बढ़ सकती है।

हमें यह जानने की जरूरत है कि कितने आयकर फाइलर 8 लाख रुपये से 30 लाख रुपये की वार्षिक आय दिखाते हैं। विभिन्न डेटा बिंदुओं के आधार पर मोटा अनुमान अधिकतम 3-4 करोड़ व्यक्तियों का है। वित्त मंत्री ने मीठे एनटीआर के तहत उन्हें राहत देने का दावा किया है।

कई अखबारों ने (2 फरवरी को) ओटीआर और एनटीआर के तहत आय के विभिन्न स्तरों के लिए कर देयता की गणना और ओटीआर किस स्तर तक अधिक फायदेमंद है, इसकी गणना प्रकाशित की है।

द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ओटीआर अधिक लाभकारी है-कम कर देयता के साथ-15 लाख रुपये के आय स्तर तक। द हिंदू इसे 35 लाख रुपये रखता है। इकोनॉमिक टाइम्स ने इसे 60 लाख रुपये रखा है। अन्य अखबारों ने भी इसी तरह की तालिकाएं छापी हैं। वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए, OTR इन स्तरों पर स्पष्ट रूप से श्रेष्ठ है। सरकार ने इनमें से किसी भी रिपोर्ट या टेबल का खंडन नहीं किया है।

30 लाख रुपये तक की आमदनी के हर स्तर पर ओटीआर ज्यादा फायदेमंद है। यदि निर्धारिती के पास व्यवसाय और अन्य आय है, तो ओटीआर 10 लाख रुपये के आय स्तर तक अधिक फायदेमंद है और कर देयता 15 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के स्तर के बराबर हो जाती है। आम सहमति यह प्रतीत होती है कि ओटीआर मध्य वर्ग के लिए अधिक फायदेमंद है, जैसा कि परिभाषित किया गया है। सरकार का यह तर्क कि मध्यम वर्ग के करदाता एनटीआर के तहत कम कर का भुगतान करेंगे, स्पष्ट रूप से गलत है।

अलविदा बचत?

हालांकि,अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि क्या करदाता के दृष्टिकोण से, क्या यह विवेकपूर्ण और लाभदायक है यदि करदाता ‘बचाता है और खर्च करता है’ या ‘केवल खर्च करता है’। विकासशील देशों में घरेलू बचत के महत्व को सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है। अधिकांश भारतीयों को सरकार द्वारा बहुत कम या शून्य सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसलिए, 75 वर्षों तक सरकार ने घरेलू बचत के महत्व पर बल दिया। घरेलू बचत और कॉर्पोरेट बचत निजी पूंजी का मूल है जिसे निवेश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 

भाजपा सरकार ने इस चिंतन को उलट दिया है। सरकार कह रही है कि खर्च करना देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है। लोगों के खर्च करने पर सवाल नहीं उठाना है, लेकिन खर्च को बचत के साथ संतुलित करना चाहिए। ‘बचत करें और खर्च करें’ की सलाह ‘ऐसे खर्च करें जैसे कि कल नहीं है’ की तुलना में कहीं बेहतर है।

सरकार का इरादा अब एक गैर-छूट व्यवस्था में जाना है। जबकि एक ‘कम कर, कुछ छूट’ व्यवस्था होनी चाहिए जो बचत को प्रोत्साहित करेगा और खर्च करने के लिए भी आय छोड़ेगा। इसके अलावा यदि कर में कोई छूट नहीं देनी है तो टैक्स कम होना चाहिए। बजट 2023-24 के तहत,ओटीआर के तहत टैक्स की सीमांत दर 42।7 प्रतिशत है और एनटीआर के तहत यह 39 प्रतिशत है। ये दरें कम टैक्स व्यवस्था के मिथक को उजागर करती हैं। भगवान का शुक्र है, सरकार ने करदाता के लिए विकल्प छोड़ दिया है, लेकिन कब तक?

( यह इस लेख में नहीं बताया गया है कि ओटीआर के तहत जो 5 करोड़ रुपये से ऊपर की आय पर टैक्स की सीमांत दर 42.7 प्रतिशत है वो  एनटीआर के तहत  39 प्रतिशत है।अर्थात 5 करोड़ रुपये से ऊपर की सालाना आय वालों को कम से कम 19 लाख 24 हज़ार का आय कर में एनटीआर के अंतर्गत फायदा होगा।)

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