नई दिल्ली। गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों पर भाजपाइयों ने हमले की कोशश की है। हालांकि किसानों की समय पर गोलबंदी के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा है। बताया जा रहा है कि हमला करने वालों की संख्या दो दर्जन से ज्यादा थी। सभी के हाथ में बीजेपी के झंडे थे। और सभी नारे लगा रहे थे। ये हमलावर पुलिस के संरक्षण में आए थे। यह जानकारी किसान मोर्चे की कोर कमेटी के सदस्य आशीष मित्तल ने दी।
उन्होंने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताते हुए कहा कि दोपहर के वक्त सभास्थल के पास एकाएक कुछ लोगों की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो गयी। और उन्होंने वहां से किसानों के खिलाफ अपशब्द बोलने शुरू कर दिए। यह सिलसिला तकरीबन आधे घंटे तक चला। जब दूसरे किसानों की इसकी सूचना मिली तब सभी वहां एकत्रित हो हो गए और उनसे पूछने लगे कि आखिर वो क्या चाहते हैं।
और यहां किस मकसद से आए हैं। लेकिन उन्होंने किसानों की बात सुनने से इंकार कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान पुलिस पूरा मौन साधे रही। उसने एक बार फिर उन्हें धरनास्थल से दूर हटाने का प्रयास नहीं किया। हालांकि बाद में जब किसानों की संख्या बढ़ गयी तब उन्हें वहां से भागना पड़ा। बताया जा रहा है कि जाते-जाते उन लोगों ने कुछ तोड़फोड़ भी की है।
दरअसल किसानों का यह धरना बीजेपी और केंद्र सरकार के गले की फांस बन गया है। ऐसे समय में जबकि यूपी में चुनावों की तैयारी शुरू हो गयी है। गाजीपुर का जमावड़ा बीजेपी के लिए बड़ा नुकसानदेह साबित हो सकता है। लिहाजा पार्टी की कोशिश यह होगी कि चुनाव से पहले इसे कैसे इसे हटा दिया जाए। आज के हमले को भी उसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। बहरहाल इस मामले में यूपी पुलिस का रवैया बेहद शर्मनाक रहा। जिसने शांतिपूर्ण तरीके से धरना देने वाले किसानों के पक्ष में खड़े होने की जगह उपद्रवियों का साथ दिया।
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