जन्मदिन विशेष: फ़ांसी की सजा से भी बेखौफ रहे अशफ़ाक़उल्ला ख़ां

अक्टूबर महीने की 22 तारीख़ वतनपरस्त-सरफ़रोश-इंक़लाबी अशफ़ाकउल्ला ख़ां की यौम-ए-पैदाइश है। मुल्क की आज़ादी के लिए जिन्होंने सत्ताईस साल की…

लोकल से ग्‍लोबल तक का सफर करतीं भाषा की बहुरंगी कविताएं

नई दिल्ली। भाषा सिंह की ”कविताएं बहुरंगी हैं। किस तरह के समाज की कल्‍पना हम करते हैं, उसके प्रति चिंता व्‍यक्‍त करती…

किताब कौतिक: ताकि सोशल मीडिया के दौर में भी पढ़ी जाती रहें किताबें

नैनीताल। दो दिन पहले उत्तराखंड के हल्द्वानी से एक खबर आई। माता-पिता ने 13 साल की अपनी बेटी को मोबाइल…

सुधा भारद्वाज की जेल डायरी ‘फ्रॉम फांसी यार्ड’: दुःख, यातना, संघर्ष और उम्मीद की अकथ गाथा

मशहूर ट्रेड यूनियनिस्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुख्यात ‘भीमा कोरेगांव षड्यंत्र केस’ की अभियुक्त सुधा भारद्वाज के पसंदीदा लेखक चार्ल्स डिकेंस…

जन्मदिवस पर विशेष: इंक़लाब, तब्दीली और उम्मीद के शायर मजाज़

दीगर शायरों की तरह मजाज़ की शायराना ज़िंदगी की इब्तिदा, ग़ज़लगोई से हुई। शुरुआत भी लाजवाब हुई, तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूं न हुई…

दुर्गा भाभी भी आजादी के इतिहास को युवाओं के बीच ले जाने के लिए थीं बेहद फिक्रमंद

(शहीद-ए-आजम भगत सिंह की अभिन्न सहयोगी और स्वतंत्रता सेनानी दुर्गा भाभी का अभी कुछ दिनों पहले जन्मदिन था। उस मौके…

भारतीय साहित्य के निर्माता शैलेन्द्र: जीते जी जलने वाले, अंदर भी आग जला

साल 2023 कवि-गीतकार शैलेन्द्र की जन्मशती है। ‘तू ज़िंदा है, तो ज़िंदगी की जीत में यक़ीन कर’, ‘हर ज़ोर ज़ुल्म…

गांधी में कला और कला में गांधी

सन 2005 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार पाने वाले ब्रिटिश नाटककार हेराल्ड पिंटर ने पुरस्कार प्राप्त करते समय जो व्याख्यान…

मेरा रंग फाउंडेशन ने ‘समाज में भाषा और जेंडर’ पर आयोजित की संगोष्ठी, तसलीमा नसरीन ने पढ़ीं कविताएं 

नई दिल्ली। मेरा रंग फाउंडेशन के 7 वर्ष पूरे होने पर साहित्य अकादमी सभागार, रवींद्र भवन में ‘समाज में भाषा…

जन्मदिवस पर विशेष: बेगम अख़्तर के बग़ैर ग़ज़ल अधूरी है

वे सरापा ग़ज़ल थीं। उन जैसे ग़ज़लसरा न पहले कोई था और न आगे होगा। ग़ज़ल से उनकी शिनाख़्त है।…