कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर आज लोहड़ी मनाएंगे किसान

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आज किसान आंदोलन का 49वां दिन है। आज लोहड़ी का दिन है और किसान आज भी सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, कुंडली बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर व शाहजहांपुर बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं।  किसान यूनियनों ने अपील किया है कि आज किसान लोहड़ी में तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलायें। दिल्ली बॉर्डर पर देर शाम लोहड़ी के साथ कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जााएंगी। 

दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान मंगलवार से ही लोहड़ी त्योहार की तैयारी कर रहे हैं। आंदोलनरत किसानों के परिवार के सदस्य भी उनके साथ लोहड़ी मनाने के लिए आज दिल्ली बॉर्डर पहुंच रहे हैं। जहां आज शाम को किसान तीनों कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी का पर्व मनाएंगे।

बता दें कि लोहड़ी नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। किसान अच्छी फसल के लिए लोहड़ी पर प्रार्थना करते हैं अलाव जलाकर और गीत गाकर और उसके चारों ओर नाचते हुए त्योहार मनाते हैं। इस साल किसान तीन नए कानूनों की प्रतियां जलाकर प्रतिरोध के गीत गाएंगे।

गौरतलब है कि कल प्रेस कांफ्रेंस में किसान यूनियनों ने दोहराया था कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। 

किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में शामिल होंगे। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। आज लोहड़ी पर तीनों कानूनों को जलाने का कार्यक्रम, 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आज़ाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेगा।

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन देश भर के किसान दिल्ली पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से “किसान गणतंत्र परेड” आयोजित कर गणतंत्र का गौरव बढ़ाएंगे। इसके साथ-साथ अडानी अंबानी के उत्पादों का बहिष्कार करने और भाजपा के समर्थक दलों पर दबाव डालने के हमारे कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेंगे। तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए किसानों का शांति पूर्वक एवं लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रहेगा।

उससे पहले कल मंगलवार को किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति को मान्यता नहीं दी और कहा कि वे समिति के सामने पेश नहीं होंगे और अपना आंदोलन जारी रखेंगे। सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य सरकार समर्थक हैं।

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