इस बार NPR में माँ-बाप की जन्म तिथि व जन्म स्थान के बारे में भी जानकारी देनी है। केवल मौखिक जानकारी देनी है,कोई डाक्यूमेंट नहीं देना।
लेकिन अच्छा हो कि सरकार ये आश्वासन दे कि जो ये जानकारी नहीं देगा, उससे बाद में प्रूफ़ नहीं माँगा जाएगा।
आइए समझें क्यों:
सरकार ने कहा है NPR व NRC का आपस में सम्बंध नहीं है।ये भी कहा है कि ये 2010 में भी बनाया गया था।
सच है कि NPR 2010 में भी बनाया गया था। लेकिन दूसरी बात ठीक नहीं है।
सरकार ने 23 जुलाई,14 को राज्यसभा में बताया था कि NPR में जो जानकरियाँ एकत्र की जाएँगी, उनको verify कर NRC बनेगा।
इसे अलग तरीक़े से समझें
NRC व NPR में जो मुख्य फ़र्क़ है, वो है कि NPR में जानकरियाँ मौखिक होंगी, जबकि NRC में उन्हें साबित करने के लिए डॉक्यूमेंट जमा कराने होंगे
पिछली NPR में जानकरियाँ जनगणना में
एकत्र की जाने वाली ही कुछ जानकरियाँ थी, जिन्हें घर घर जा कर verify किया गया।
इस बार NPR में जो अतिरिक्त जानकरियाँ माँगी जाएँगी:
माँ-बाप की जन्मतिथि
माँ-बाप का जन्म्स्थान
पिछला पता
पैन नम्बर
आधार (मर्ज़ी से)
वोटर कार्ड नम्बर
ड्राइविंग लाइसेन्स नम्बर
मोबाइल नम्बर
इसके अलावा पिछली बार ली गयी जानकरियाँ भी हैं:
नाम
परिवार के मुखिया से रिश्ता
माँ-बाप का नाम
पति/पत्नी का नाम
सेक्स
जन्मतिथि
वैवाहिक स्थिति
जन्मस्थान
राष्ट्रीयता
वर्तमान पता
निवास अवधि
स्थायी पता
व्यवसाय
शैक्षिक योग्यता
आशंका क्या है?
NRC विरोधियों को संदेह है कि अभी तो माँ-बाप के जन्मस्थान/तिथि मौखिक रूप से माँगी गयी है। लेकिन करोड़ों लोग इसे नहीं दे सकेंगे, क्योंकि वो जानते ही नहीं हैं।
डर ये है कि कहीं बाद में ऐसे लोगों को अलग कर उनसे नागरिकता साबित करने के लिए डाक्यूमेंट तो नहीं माँगे जाएँगे?
NRC और NPR में यही मुख्य फ़र्क़ है।
डाक्यूमेंट माँगे तो NRC, मौखिक हुआ तो NPR
NPR को आधार से बायोमेट्रिक डेटा से भी जोड़ा जाएगा। अगर सरकार बाद में NRC लाना चाहे, सबके लिए या सिर्फ़ उनके लिए, जो माँ-बाप की जन्मतिथि/स्थान न बता सके, तो इस बायोमेट्रिक पहचान से पूरा कंट्रोल रहेगा।
इसलिए यदि सरकार आश्वासन देती है कि NPR को NRC से लिंक नहीं किया जाएगा, तो NPR से लोगों को दिक़्क़त नहीं होगी ।
लेकिन इसके लिए सरकार को राज्य सभा में दिए जवाब से औपचारिक रूप से पीछे हटना होगा । ये जवाब नीचे ट्वीट में देखें:
ये इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि इसी साल जून में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को model detention centre बनाने का एक manual भेजा है। इसमें विस्तार से निर्देश दिए हैं कि जो नागरिकता सिद्ध नहीं कर सकेंगे, उन्हें रखने के लिए देश भर में ये detention center की ज़रूरत होगी।
(गुरदीप सप्पल स्वराज एक्सप्रेस न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ हैं। यह लेख उनके ट्विटर हैंडल की पोस्ट पर आधारित है।)
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