Wednesday, March 22, 2023

ग्राउंड रिपोर्ट: गुमला में भू-माफिया मिटा रहे हैं नदियों का अस्तित्व

विशद कुमार
Follow us:

ज़रूर पढ़े

गुमला। झारखंड अगल राज्य गठन के बाद राज्य में भू-माफियाओं और पत्थर माफियाओं का जो नंगा नाच शुरू हुआ, वह 22 साल बाद आज भी प्रशासनिक गठजोड़ से बदस्तूर जारी है। जहां राज्य के पहाड़ समतल होते जा रहे हैं, वहीं राज्य की नदियां नाले में तब्दील होती जा रही हैं।

नतीजतन कई उदाहरण आए दिन मीडिया की सुर्खियों में देखने सुनने को मिलते हैं। लेकिन न ही इन खबरों से स्थानीय प्रशासन की सेहत पर कोई फर्क पड़ता है और न ही सरकार के कान में कोई जूं रेंगती है, यानी सब मस्त मस्त!

chetar river

बता दें कि झारखंड का गुमला शहर एक तरह से नदियों के बीच बसा है। यही वजह है कि इसको नदियों का शहर कहा जाता है, जो शायद कुछ दिनों बाद यह केवल कथा कहानियों तक सिमट कर रह जाएगा। क्योंकि जिस तरह से क्षेत्र के भू माफियाओं द्वारा नदी के बगल की जमीनों पर अवैध कब्जा करके बेचा जा रहा है और उस पर लगातार मकान का निर्माण किया जा रहा है वैसे में इन नदियों का अस्तित्व ही एक दिन समाप्त हो जाएगा। वैसे भी अभी ये नदियां, नदियां न रहकर नाला बन गई हैं।

puggu river

बताना जरूरी होगा कि तेलगांव डैम, पहाड़ और सारू पहाड़ से दो नदी निकली है, जो गुमला शहर के चारों ओर से होकर बहती है। या कहा जाए दो नदियों के बीच गुमला शहर बसा हुआ है। पुग्गू नदी और कुम्हार ढलान नदी एक समय में गुमला शहर की लाइफलाइन हुआ करती थी। खेती-बाड़ी से लेकर घरेलू काम, पशुओं को नहाने धोने से लेकर शहर के लोग इन नदियों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन समय बदला और भूमि माफियाओं ने नदियों का अतिक्रमण कर उन्हें बेचना शुरू कर दिया। नतीजतन जो नदी 20 से 25 फीट चौड़ी हुआ करती थी, वह आज महज पांच से छह फीट चौड़ी नदी बची है। यह नदी भी अब खत्म हो रही है। लेकिन प्रशासन द्वारा इन नदियों को बचाने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है। इतना जरूर हो रहा है कि प्रशासनिक मिलीभगत से भू माफिया इन नदियों को बर्बाद करने में लगे हैं।

sisai puggu river

चैंबर ऑफ कॉमर्स, गुमला के पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार चीनी कहते हैं कि अस्तित्व खोती इन नदियों को न कोई देखने वाला है और न ही कोई इसके संरक्षण पर बात करने वाला है। इसका नतीजा है कि जिन नदियों में कभी पानी कम नहीं होता था, बरसात के मौसम में लंबी-चौड़ी नदियां उफान पर रहती थीं, जिन नदियों के पानी से खेती-बाड़ी भी होती थी, आज उन्हीं नदियों की स्थिति खराब है और कई जगहों पर तो वह दयनीय स्थिति में पहुंच गयी हैं।

jashpur road river

तेलगांव, बेलगांव, घटगांव, सारू पहाड़ सहित आसपास के गांवों का पहाड़ी और डैम का पानी गुमला शहर से होकर बहने वाली छोटी नदियों के माध्यम से बहा करता है। इसके अलावा बरसाती पानी भी बहता है। उपरोक्त गांवों के पहाड़ों का पानी गुमला शहर में दुर्गा नगर से प्रवेश करता है। दुर्गा नगर नदी गुमला शहर के वार्ड नंबर 17 के तहत है, जो मां काली मंदिर के पीछे से होते हुए श्माशान घाट से लक्ष्मण नगर, विंध्याचल नगर, सरनाटोली, होते हुए पालकोट रोड स्थित श्माशान घाट से पुग्गू पुल के नीचे से होते शांति नगर, नदी टोली से सिसई रोड पुग्गू पुल के रास्ते कई गांवों से गुजरती है।

इन गांवों के पहाड़ों, डैम एवं बारिश का पानी गुमला शहर के बस स्टैंड के पीछे से होते हुए अमृत नगर, चेटर, लोहरदगा रोड कुम्हार ढलान से होते हुए आजाद बस्ती के पीछे से होकर गुजरने वाली नदी से भी बहता है। पूर्व में उक्त नदियां काफी चौड़ी हुआ करती थीं। उनमें बहने वाला पानी साफ दिखता था। यहां तक कि पानी के अंदर पानी के साथ बहने वाला बालू, मछली सहित कई प्रकार के जलीय जीव आसानी से दिख जाया करते थे। लेकिन, वर्तमान में ये नदियां कई जगहों पर अस्तित्व हीन होने के कगार पर हैं। ज्यादातर जगहों पर ये नदियां अब नदी न होकर एक नाला का रूप ले चुकी हैं।

durga nagar river

जो पहले नदी हुआ करती थी, अब वह नाले में तब्दील हो गयी है, जिसके कारण पानी के अभाव से खेती-बाड़ी के लिए सिंचाई पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। नदी का पानी जिस क्षेत्र से होकर बहता है, उस क्षेत्र में खेती लायक काफी उर्वर भूमि है। लेकिन आज उक्त नदी में पानी के अभाव से खेती-बारी सिर्फ बरसाती पानी पर निर्भर रह गया है। पहले किसान नदी के भरोसे खरीफ एवं रबी के विभिन्न फसलों के साथ विभिन्न प्रकार की हरी साग-सब्जियों की भी खेती करते थे। लेकिन नदी का अब नाला बन जाने एवं उसमें पानी नहीं होने के कारण किसान बरसाती पानी के भरोसे सिर्फ धान की खेती करते हैं। इसके अलावा बहुत कम जगहों पर ही सब्जी की खेती होती है।

वहीं दूसरी तरफ नदी में पानी की कमी के कारण आस-पास के कुओं का जलस्तर भी कम हो गया है। पूर्व में नदी में पानी की कमी नहीं थी तो आस-पास के कुओं में भी पानी भरा रहता था। परंतु नदी में पानी की कमी होने का असर कुओं पर भी पड़ा है। अब कुओं में भी पानी कम हो गया है। बरसात के मौसम में तो कुओं में पानी भरा रहता था। लेकिन वर्तमान में कुओं में 15 से 25 फीट तक पानी नीचे है।

kumhar dhalan river

कहना ना होगा कि यदि इस दिशा में जल्द ही ठोस काम नहीं हुआ तो नदी का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा। पालकोट रोड में पुग्गू नदी के पुल के समीप और लोहरदगा रोड कुम्हार ढलान के नदी के पुल के समीप काफी मात्रा में मिट्टी डंप किया गया है। वहां कचरा भी फेका जा रहा है। जो नदी को पाटने का काम कर रहा है।

वहीं कई जगहों पर नदी में पानी की जगह कीचड़ और कचरा दिख रहा है। ज्यादातर जगहों पर नदी में घास-फूंस और झाड़ियां हैं। जशपुर रोड मां काली मंदिर के नीचे वाला पुल के दोनों ओर नदी में पानी की जगह कूड़ा-कचरा तैर रहा है। सरनाटोली की नदी में बजबजाता कीचड़ है। शाम होते ही वहां दुर्गंध फैलती है। जिससे आस-पास के लोगों को भारी परेशानी होती है।

(गुमला से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

अमृतपाल सिंह खालसा पर पंजाब के सियादी दलों ने खोली जुबान 

पंजाब में 'ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा' पर सियासत होने लगी है। शनिवार से अमृतपाल सिंह की धरपकड़ की कवायद...

सम्बंधित ख़बरें