मणिपुर में हो रही हिंसा की स्थिति का जायजा लेने और हिंसा के शिकार लोगों से मिलने के लिए गए विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के सांसदों ने मणिपुर की राज्यपाल को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की ‘विफलता’ को उजागर करते हुए, पूर्वोत्तर राज्य में हुए व्यापक मौतों और विनाश का ब्यौरा दिया गया है।
दो पन्नों के ज्ञापन में मणिपुर के जातीय संघर्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ को ‘राज्य में हिंसा के प्रति उनकी निर्लज्ज उदासीनता’ को रेखांकित किया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि, ‘दोनों समुदायों के बीच हुई जातीय हिंसा में 140 से अधिक मौतें हुई हैं, 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं, 5,000 से अधिक घरों को जलाया गया है और 60,000 से अधिक लोगों को आंतरिक विस्थापन का सामना करना पड़ा है।’ सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने में केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है।
ज्ञापन कहता है कि ‘पिछले कुछ दिनों में लगातार गोलीबारी और घरों में आगजनी की खबरों से यह बिना किसी संदेह के स्थापित हो गया है कि राज्य मशीनरी पिछले लगभग तीन महीनों से राज्य में स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है। राहत शिविरों में स्थिति दयनीय है।’ जबकि केंद्र और मणिपुर दोनों में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है।
‘इंडिया’ गठबंधन के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चुराचांदपुर, बिष्णुपुर और इंफाल जैसे इलाकों के चार राहत शिविरों का जायजा लेने के एक दिन बाद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। ‘इंडिया’ के प्रतिनिधिमंडल ने दोनों पक्षों द्वारा अभूतपूर्व हिंसा के वजह से हुए पीड़ितों को ‘परेशानी, अनिश्चितता, दुख और दर्द की चौंकाने वाली कहानियां’ सुनीं।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘सभी समुदायों में गुस्सा और अलगाव की भावना है, जिसे बिना किसी देरी के बात-चीत करके दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।’
विस्थापन और हिंसा से प्रभावित बच्चों और छात्रों की देखभाल की आवश्यकता पर जोर देते हुए, ‘इंडिया’ के द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में यह भी बताया गया कि कैसे इंटरनेट प्रतिबंध अभी भी ‘जारी’ है और ‘मौजूदा समय में यह जनता के बीच अविश्वास को बढ़ावा दे रहा है’। ज्ञापन में राज्यपाल से अनुरोध किया गया कि वे केंद्र को मणिपुर में चरमराती कानून-व्यवस्था से अवगत कराएं ताकि उन्हें शांति और सामान्य जीवन को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़े।
द टेलीग्राफ से बात करते हुए इंडिया प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा कांग्रेस के गौरव गोगोई और तृणमूल की सुष्मिता देव ने अलग-अलग बातचीत में बताया कि राज्यपाल उइके के साथ 45 मिनट की बैठक ‘बहुत सकारात्मक’ थी और उन्होंने राज्य में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा की वकालत भी की थी।
गोगोई ने कहा कि ‘अभी अगर कोई सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आता है, तो हमें प्रभावी शांति प्रक्रिया में योगदान करने में खुशी होगी। हमने उन्हें बताया कि स्थिति अभी भी गंभीर है, दोनों समुदायों के बीच भारी मात्रा में एक-दूसरे के प्रति अविश्वास है।’
गोगोई ने आगे कहा कि ‘उस पर आम सहमति थी। राज्यपाल ने यह भी कहा कि (मणिपुर का दौरा करने के लिए) एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की आवश्यकता है।’
उन्होंने कहा कि ‘राज्यपाल ने इंडिया प्रतिनिधिमंडल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने कुछ समय पहले राज्य का दौरा किया था।’।
मणिपुर में संयुक्त यात्रा इंडिया गठबंधन द्वारा किसी भी राज्य की पहली ऐसी पहल है, जिसे 2024 के आम चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से मुकाबला करने के लिए 18 जुलाई को बेंगलुरु में शुरू किया गया था।
देव के अनुसार, राज्यपाल ने कहा कि इस समस्या को हल करने का ‘एकमात्र तरीका पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर काम करना है।’ क्योंकि यह एक मानवीय त्रासदी है।
सुष्मिता देव आगे कहती हैं ‘इस समय ऐसी स्थिति है जहां लोगों को पार्टी की सीमाओं को भूलकर एक साथ आना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल से अनुरोध किया था कि वे गृह मंत्री से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए कहें। लेकिन वे सहमत नहीं हुए और इसलिए हमें आना पड़ा।’
सुष्मिता देव आगे बताती हैं कि ‘राज्यपाल ने यह भी कहा कि हमें शांति बहाल करने के लिए अपने स्तर पर सीएसओ (नागरिक समाज संगठनों) से बात करने की कोशिश करनी चाहिए, और मणिपुर के लोगों को यह संदेश देना चाहिए कि हम सभी उनके साथ हैं। ’रविवार को राजभवन के एक बयान में कहा गया कि राज्यपाल मणिपुर के लोगों की समस्याओं से पूरी तरह अवगत हैं।
(द टेलीग्राफ में प्रकाशित खबर पर आधारित)
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