Saturday, April 27, 2024

यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर

लखनऊ। 16 मार्च की रात 10 बजे से उत्तर उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी 72 घंटे की हड़ताल पर चले गये हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारियों और संविदा कर्मियों से एकजुटता बनाये रखने और हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है। इसी के साथ यूपी सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच टकराव तेज हो गया है। पिछले 3-4 दिनों से जारी तकरार के बाद गुरुवार रात 10 बजे से बिजलीकर्मी हड़ताल पर चले गए हैं।

यह हड़ताल अगले तीन दिनों तक जारी रहेगी। सरकार की ओर से सख्त चेतावनी जारी किये जाने के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि हमारा आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। आंदोलन के दौरान यदि किसी भी कर्मचारी को गिरफ्तार किया जाता है तो इसके खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल और जेल भरो आंदोलन किया जाएगा।

आंदोलनरत बिजली कर्मचारियों के समर्थन में देशभर के 27 लाख विद्युत कर्मचारी भी आगे आ गए हैं। देश के विभिन्न प्रांतों में यूपी के बिजली कर्मचारियों के समर्थन में मार्च निकाले गये। इसी के साथ यूपी के करीब 1 लाख बिजलीकर्मी हड़ताल पर चले गये हैं। इनमें बिजली अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, टेक्नीशियन, ऑपरेटिंग स्टॉफ, लिपिक और संविदा कर्मचारी शामिल हैं। प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजलीकर्मी पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार पर हैं।

वहीं आज ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने प्रेस कांफ्रेस के दौरान अपने वक्तव्य में कहा है कि विद्युत् आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रण में है। छोटी-मोटी घटना के अलावा हालात सामान्य हैं। विद्युत आपूर्ति बदस्तूर जारी है। चिंता और चुनौती की इस घड़ी में यूपी की आम जनता को संयम बनाए रखने की अपील है। जो भी कर्मचारी सरकार के साथ हैं, और अपनी सेवायें देना चाहते हैं, उन्हें कोई रोके ना इसका ध्यान जनप्रतिनिधि रखें। सरकारी काम में विघ्न डालने वालों को ऐसा करने से रोकें ताकि विद्युत आपूर्ति प्रभावित न हो।

उन्होंने आगे कहा कि ‘कल कुछ ऐसी बातें सामने आई हैं जिसमें कुछ विद्युत कर्मी अलग-अलग तरीकों से लाइन और फीडर को बाधित करते पाए गये हैं। ऐसे लोगों की तस्वीरों को मैंने ट्वीट भी किया है, वे चाहे जंगल में हों या आकाश या पाताल में, उन्हें खोज निकालेंगे और उचित कार्यवाई की जायेगी। किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने देंगे। राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ी संस्था में भी काम ठप किया गया।’ उन्होंने सरकार के समर्थन में आये 9 संगठनों का जिक्र किया और उनके पदाधिकारियों को धन्यवाद प्रेषित किया।

बता दें कि हड़ताल को देखते हुए राज्य में पीएसी की सेवाएं ली जा रही हैं। कई जिलों में आईटीआई छात्रों से भी काम लेने के आदेश जिलाधिकारी जारी कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री की ओर से संविदा कर्मियों के लिए विशेष हिदायत जारी की गई है, जिसके चलते संविदाकर्मी ही बड़ी तादाद में काम पर लौटे हैं, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में बिजली आपूर्ति की बहाली नहीं हो सकी है। बयान के मुताबिक यदि आउटसोर्स कर्मी बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंचाते पाए जाते हैं, तो उनकी सेवा समाप्त कर नये लोगों को काम पर लिया जाये।

बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के सामने सरकार लगता है कि झुकने के मूड में नहीं है। ऊर्जा मंत्री ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि कार्यों में व्यवधान डालने, कार्मिक के साथ दुर्व्यहार करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में एनएसए और एस्मा के प्रावधानों के तहत एक्शन लिया जाएगा। हड़ताल को देखते हुए पीएसी तैनात कर दी गई है। प्रयागराज, महोबा और महाराजगंज समेत कई जिलों से नेताओं और कर्मचारियों की गिरफ्तारी की भी खबर है। खबर लिखे जाने तक 20 कर्मचारियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

प्रदेश में खबर है कि ओबरा, अनपरा और हरदुआगंज में शाम की शिफ्ट में काम पर आये बिजली कर्मियों को लगातार 16 घण्टे जबरन रोककर काम कराया गया। भूखे प्यासे बिजली कर्मियों को एक प्रकार से बंधक बनाकर कार्य कराया गया। ओबरा ताप बिजली घर में 200 मेगावॉट क्षमता की 9 व 11 नम्बर इकाइयां बिजली कर्मियों की उपलब्धता न होने के कारण बन्द कर दी गई। अनपरा में 210 मेगावॉट क्षमता की 1 व 2 नंबर इकाइयां बन्द की जा रही हैं।

ओबरा व अनपरा में अन्य इकाइयों का संचालन एनटीपीसी के लोग कर रहे हैं। वहीं परीछा के सभी बिजली कर्मी काम पर नहीं आये हैं। इसकी विभिन्न इकाइयों का संचालन रिलायंस व बजाज के कर्मी कर रहे हैं। परीछा में 210 मेगावॉट की 4 नंबर इकाई बंद कर दी गई है। हरदुआगंज में एनटीपीसी के कर्मी तैनात किये गए हैं किंतु 660 मेगावॉट की इकाई पर बिजली कर्मियों को 16 घंटे से रोक कर रखा गया था। अब हरदुआगंज में भी सभी बिजली कर्मी बाहर आ गए हैं।

पूर्वांचल डिस्कॉम के 75 फीडर डाउन थे

तीन दिवसीय हड़ताल का ऐलान करने वाली विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि ‘कार्य बहिष्कार मजबूरी में कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री ने 3 दिसंबर 2022 को मांगों को पूरा करना का आश्वासन दिया था। इसको लेकर लिखित समझौता हुआ था। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी पॉवर कॉरपोरेशन का प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री दोनों अपनी बात से मुकर रहे हैं। ऐसे में हड़ताल पर जाना हमारी मजबूरी बन गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की है।’

इससे पहले 14 मार्च को अपनी मांगों पर मशाल जुलूस निकालते हुए विद्युतकर्मियों ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों सहित राजधानी लखनऊ और प्रदेश में चालू सभी संयंत्रों में मार्च निकाला। लखनऊ में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के पदाधिकारियों ने बिजलीकर्मियों की सभा में कहा कि हमारे 72 घंटे के शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान यदि किसी का उत्पीड़न किया गया तो हम सब मूकदर्शन नहीं बने रहेंगे।

  • बिजली कर्मचारियों के लंबित बोनस का भुगतान किया जाए।
  • कर्मचारियों की वेतन संबंधी विसंगतियां दूर की जायें।
  • 25 हजार करोड़ रूपये के बिजली मीटर खरीद आदेश को रद्द किया जाए।
  • बिजली कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
  • दिल्ली, पंजाब एवं तेलंगाना जैसे राज्यों की तर्ज पर बिजली निगमों के सभी सदस्यों को नियमित किया जाए।
  • 9 साल, 14 साल और 19 साल की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
  • सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
  • निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत, निदेशकों, प्रबंध निदेशकों एवं चेयरमैन के पदों पर नियुक्ति हो। बिजली कर्मचारी मौजूदा चेयरमैन एम देवराज को हटाने की मांग कर रहे हैं।
  • 765/400/220 केवी विद्युत उपकेंद्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने के फैसले को रद्द किया जाए।
  • निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द किया जाए।
  • आगरा फ्रेंचाइजी और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण निरस्त किया जाए।

बता दें कि प्रदेश के कई जिलों में कल रात 10 बजे से ही बिजली गुल थी और सुबह तक इसे बहाल नहीं किया जा सका था। प्रदेश के कई जिलों में इस बीच बारिश हो जाने के कारण तापमान में कमी आई है। सनद रहे, यूपी में बिजली की दरें देश के कई राज्यों से अधिक हैं। कुछ शहरों में बिजली वितरण का निजीकरण किया जा चुका है।

बिजली के मीटरों को बदलने के लिए जारी निविदा पर अनियमितता को देखते हुए हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद ही अडानी को अवार्ड किये गये टेंडर को निरस्त कर दिया गया था। देखना है कि यूपी सरकार जिसे अभी तक किसी भी बड़े गतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा था, प्रदेश कर्मचारियों से भी सख्ती से निपटने की अपनी कार्यनीति पर आगे बढ़ती है या उसे अपनी कार्यशैली में आवश्यक बदलाव करने के लिए विवश होना पड़ता है?

(रविंद्र पटवाल स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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