Sunday, April 28, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

तेलंगाना चुनाव प्रचार में ‘इंदिरम्मा’ की चर्चा ने बीआरएस का उड़ाया होश

नई दिल्ली। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की चर्चा तेज हो गई है। कांग्रेस और बीआरएस दोनों पार्टियों के चुनाव प्रचार के केंद्र में इंदिरा गांधी आ गयी हैं। बीआरएस को जहां इंदिरा शासन की आलोचना करते हुए देखा जा रहा है, वहीं कांग्रेस राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में इंदिरा गांधी के शासनकाल में हुए काम के नाम पर वोट मांग रही है। दरअसल, तेलंगाना में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में आदिवासियों को दिए अधिकारों की चर्चा की। इसके बाद बीआरएस और केसीआर इंदिरा गांधी पर हमलावर हो गए हैं। केसीआर अब अपनी रैलियों और सार्वजनिक सभाओं में गिन-गिनकर कांग्रेस शासन की बखिया उधेड़ रहे हैं। केसीआर ने कहा कि इंदिरा गांधी का कार्यकाल भूख से मौतों, नक्सली आंदोलन में बढ़ोतरी और पुलिस हिरासत और फर्जी मुठभेड़ में हत्याओं के लिए जाना जाता है।

तेलंगाना में कैसे शुरू हुई इंदिरा गांधी की चर्चा?

19 नवंबर को आसिफाबाद और खानापुर निर्वाचन क्षेत्रों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रचार करते हुए, प्रियंका गांधी ने पूर्व पीएम की जयंती पर उनकी विरासत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में लोग इंदिरा गांधी को उनकी मृत्यु के 40 साल बाद भी प्यार से “इंदिरम्मा” कहते हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के शासनकाल में क्षेत्र के आदिवासियों को उनके “जल, जंगल, जमीन” पर अधिकार दिया।

प्रियंका ने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री के रूप में शुरू किए गए भूमि सुधारों के संदर्भ में कहा कि “कई नेता आएंगे और जाएंगे। कई नेताओं ने आपके लिए काम किया। लेकिन आपको इंदिराजी क्यों याद आती हैं? आप अब भी उन्हें इंदिरम्मा क्यों कहते हैं? उसका कारण…उन्होंने आपको भूमि का अधिकार दिया। इंदिरा गांधी ने गरीबों की समस्याओं को समझा और भूमिहीन गरीबों को सात लाख एकड़ जमीन बांटी। उन्होंने एकीकृत जनजातीय विकास प्राधिकरण बनाया और जनजातीय उप-योजना के तहत लाखों घर बनाए। वह आपकी संस्कृति का सम्मान करती थीं और हमें बताती थीं कि आपकी संस्कृति कितनी दिव्य है।”

आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से हारने के बाद, इंदिरा ने 1980 में दो सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसमें वर्तमान तेलंगाना में मेडक भी शामिल था, क्योंकि कांग्रेस दक्षिण में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही थी। जहां उन्होंने मेडक में 2.95 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की, वहीं संयुक्त आंध्र प्रदेश में कांग्रेस ने 42 में से 41 लोकसभा सीटें जीतीं। 1984 में अपनी हत्या के समय इंदिरा गांधी मेडक से सांसद थीं।

कांग्रेस ने तेलंगाना के चुनाव घोषणा पत्र में अपनी कई वर्तमान योजनाओं का नाम भी उनके नाम पर रखा है, जिनमें महिलाओं, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों और किसानों के लिए कार्यक्रम शामिल हैं।

इंदिरा गांधी की चर्चा से क्यों खफा हुए केसीआर  

चुनावी चर्चा में इंदिरा गांधी का नाम आने से केसीआर काफी आक्रामक रूख अपना रहे हैं। अब वह अपनी हालिया सार्वजनिक बैठकों में इंदिरा शासनकाल की जमकर आलोचना कर रहे हैं। रविवार को नागरकर्नूल निर्वाचन क्षेत्र में एक रैली में केसीआर ने कहा कि “कांग्रेस तेलंगाना में ‘इंदिराम्मा राज्यम’ लाने का वादा कर रही है। क्या आप जानते हैं कि उनके शासन में क्या हुआ था? भूख से मौतें हुईं, पूरे देश में नक्सली आंदोलन शुरू हो गया और फर्जी मुठभेड़ों में लोगों को गोली मार दी गयी। कांग्रेस पार्टी अपने दशकों के शासन के दौरान देश में बुनियादी पेयजल तक उपलब्ध कराने में विफल रही। इस क्षेत्र में नदियां बह रही हैं फिर भी कांग्रेस पानी उपलब्ध कराने में विफल रही। अब वे किस आधार पर वोट मांग रहे हैं?

केसीआर ने कहा संयुक्त आंध्र प्रदेश में थी ‘भुखमरी’

कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले के चंद्रशेखर राव लंबे समय तक तेलगु देशम पार्टी में रहे। वह एनटी रामाराव और चंद्रबाबू नायडू के कैबिनेट में मंत्री भी रहे। वह आंध्र प्रदेश विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी रहे। लेकिन अप्रैल 2021 में उन्होंने टीडीपी से इस्तीफा देकर तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन किया, और अलग तेलंगाना राज्य का अभियान चलाया।

केसीआर के अनुसार, कांग्रेस शासनकाल में एकीकृत आंध्र प्रदेश में भुखमरी थी और ऐसा तब तक था जब तेलुगु देशम पार्टी के एनटी रामाराव सत्ता में नहीं आए और उन्होंने 2 रुपये प्रति किलोग्राम चावल की योजना सुरू की, जिससे भुखमरी की स्थिति में बदलाव आना शुरू हुआ।  

बीआरएस प्रमुख ने कहा कि “तब तक यह भूख और भुखमरी का जीवन था। लोगों को देखना चाहिए कि पिछले 50 वर्षों में कांग्रेस के तहत क्या विकास हुआ और इसकी तुलना पिछले नौ वर्षों में बीआरएस के विकास से करनी चाहिए। तेलंगाना ने 2014 के बाद से जो प्रगति की है वह इंदिराम्मा राज्यम के तहत खो जाएगी।”

आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीआरएस के वादों में सभी राशन कार्ड धारकों को सामान्य चावल के बजाय सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों के माध्यम से 5 किलो फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराया जाएगा।

कांग्रेस पर तेलंगाना की इच्छा के विरुद्ध काम करने का आरोप  

सोमवार को, करीमनगर जिले के मानकोंदूर विधानसभा क्षेत्र में बोलते हुए, केसीआर ने कांग्रेस पर “लोगों की इच्छा के विरुद्ध” (1950 के दशक में) तेलंगाना को आंध्र प्रदेश में विलय करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि “इंदिरम्मा से बदतर कोई शासन नहीं है और कांग्रेस उन दिनों को वापस लाने का वादा कर रही है। यह घोटालों और सार्वजनिक धन की लूट का समय था। कांग्रेस ने तेलंगाना के लोगों की इच्छा के विरुद्ध तेलंगाना का आंध्र प्रदेश में विलय कर दिया, जिसके कारण हमें 50 वर्षों से अधिक समय तक नुकसान उठाना पड़ा है।”

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत, कई राज्यों की सीमाएं फिर से निर्धारित की गईं और भाषाई विभाजन के साथ नए राज्य बनाए गए। उस समय तेलुगु भाषी आंध्र प्रदेश को मद्रास प्रेसीडेंसी (अब तमिलनाडु) से अलग किया गया था।

एक दशक बाद 1969 में, अलग तेलंगाना राज्य के लिए पहला आंदोलन हुआ, जो प्रदर्शनकारी युवाओं और राज्य कांग्रेस सरकार के बीच झड़पों के साथ हिंसक हो गया। आंदोलन को रद्द कर दिया गया, लेकिन 300 से अधिक लोगों के मारे जाने का अनुमान है। अंततः कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2014 में तेलंगाना के निर्माण को मंजूरी दी।

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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